चार दशक लंबे राजनीतिक कार्यकाल के बाद वर्ष 2012 में प्रणब मुखर्जी देश के प्रथम नागरिक यानी राष्ट्रपति बने थे। वे भारत के 13वें राष्ट्रपति थे। हालांकि राष्ट्रपति बनने से प्रणब दा का वो सपना अधूरा ही रहा गया, जिसके लिए राजनीतिक हलकों में हमेशा चर्चा होती थी। यह सर्वविदित था कि यूपीए और कांग्रेस पार्टी के भीतर प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री पद के सबसे मजबूत और बड़े दावेदार थे। इसी वजह से उन्हें पीएम इन वेटिंग भी कहा जाता था। लेकिन उनकी किस्मत में सात रेसकोर्स रोड नहीं बल्कि राष्ट्रपति भवन का पता लिखा था। अपनी जीवनयात्रा पर लिखी पुस्तक "द कोलिशन ईयर्स- 1996 - 2012" में खुद प्रणब मुखर्जी ने इस बात का खुलासा किया था कि वो प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। प्रणब दा का प्रशासनिक जीवन उप मंत्री, औद्योगिक विकास फरवरी, 1973 से जनवरी, 1974 तक उप मंत्री, पोत-परिवहन एवं सड़क परिवहन जनवरी 1974 से अक्तूबर, 1974 तक उप मंत्री, इस्पात एवं उद्योग वित्त राज्य मंत्री अक्तूबर से दिसंबर 1975 तक राजस्व एवं बैंकिंग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिसंबर 1975 से मार्च, 1977 तक वाणिज्य एवं इस्पा...
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