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Showing posts from June, 2021

Do You Know ? जगुआर लड़ाकू विमान की गति से भी तेज घूमती है अपनी धरती (Earth)?

क्या ये जानते हैं कि धरती की घूर्णन गति कितनी है?  इसकी अपनी धुरी पर घूमने की गति और सूरज के चारों तरफ घूमने की गति कितनी है? धरती अपनी धुरी (Axis) पर हर 23 घंटे, 56 मिनट और 4 सेकेंड (लगभग 24 घंटे) में एक चक्कर लगाती है। धरती की परिधि 40,070 किलोमीटर है। अगर आप इस दूरी को समय से विभाजित करें या भाग दें तो धरती की गति 1670 किलोमीटर प्रतिघंटा आती है।  यानी यह अपनी धुरी पर इतनी गति से घूमती है, जो किसी भारतीय वायुसेना के जगुआर फाइटर जेट से ज्यादा है। जगुआर 1350 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से उड़ता है ।   वहीं, धरती, सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाने के लिए 1,07000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती है। पृथ्वी से संबंधित आवश्यक तथ्य पृथ्वी की आयु 4.60 अरब वर्ष के आसपास होने का अनुमान है । पृथ्वी की विषुवतीय परिधि 40,067 कि०मी० है और विषुवतीय व्यास 12,757 कि०मी० है । पृथ्वी की ध्रुवीय परिधि 40,000 कि०मी० है, और ध्रुवीय व्यास 12,714 कि०मी० है । पृथ्वी का कुल सतह क्षेत्र 510,100,500 वर्ग किलोमीटर है । पृथ्वी का जल क्षेत्र (हाइड्रोस्फीयर) कुल सतह क्षेत्र का 70.8% और स्थलमंडल (लिथोस्फीयर) 29.2% ह

Do you know? भारत में हिमालय की नदियों में बहने वाले पानी में ग्लेशियरों के पिघलने से प्राप्त जल का योगदान कितना प्रतिशत है और बारिश के पानी (मानसून ऋतु) का हिस्सा कितना होता है ?

हिमालय क्षेत्र की नदियों में ग्लेशियरों की बर्फ के योगदान के बारे में हाल के वर्षों में कई शोध किए गए, इनके नतीजे दिखा रहे हैं एक अलग तस्वीर स्वामिनाथन एस अंकलेसरिया अय्यर उत्तराखंड में हाल में अचानक बाढ़ की जो हालत बनी, उसे काफी लोगों ने 'ग्लेशियर फटने' की घटना करार दिया। ग्लेशियर गुब्बारे नहीं होते और न ही फटते हैं।  इस घटना के चलते पुरानी चेतावनियां फिर दी जाने लगीं कि  ग्लोबल वॉर्मिंग  से हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने का खतरा है। यह भी कि इससे गंगा के मैदानी इलाकों में भीषण बाढ़ आ सकती है। खेती-बाड़ी तबाह हो सकती है। जमीन का बड़ा हिस्सा बंजर भी हो सकता है। ब्रह्म चेलानी जैसे शिक्षाविद तो पानी की तंगी को लेकर जंग तक होने का खतरा जता रहे हैं। साल 2007 में जलवायु परिवर्तन पर बने एक इंटरनेशनल पैनल ने एक गलत अनुमान जताया था। कहा कि साल 2035 तक खत्म हो सकता है हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियरों का वजूद। बाद में उसने अनुमान में बदलाव किया।  पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने ग्लेशियरों के बारे में विशेषज्ञ माने जाने वाले वी के रैना की अगुवाई में एक स्वतंत्र अध्ययन शुरू कराया

What is a Heat Dome? हिट डोम क्या है?

"जब मध्य और ऊपरी वातावरण की सतह पर भारी वायुमंडल दबाव बनता है तो उसकी वजह से यह परत एक अवरोध की तरह काम करती है और धरती से जो गर्म हवा ऊपर की ओर जाती है, यह वायुमंडलीय परत और दबाव की स्थिति उस गर्म हवा को धरती पर वापस भेज देती है। ऐसी परिस्थितियां 'हिट डोम' कहलाती हैं जिसके कारण पृथ्वी पर ताप लहर (Heat Wave) जैसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं" । जैसा कि जून 2021 के आखिरी सप्ताह में दुनिया के उत्तरी गोलार्ध में स्थित कुवैत, ईरान, ओमान और यूएई जैसे देशों में बना हुआ है। यहां के अधिकांश शहरों में औसत तापमान 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है।  कुवैत के नवासिब शहर में तापमान 53.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है।   इसी के साथ दुनिया का सबसे ठंडा प्रांत साइबेरिया (रूस), जहां सामान्य तौर पर जून में तापमान -11 डिग्री सेल्सियस रहता है, वहां 120 साल का रिकॉर्ड टूट गया है। वहां इस साल जून में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है ।  वहां गर्मी इस कदर हो चुकी है कि शहरों में पानी का छिड़काव किया जा रहा है।

What is a Monsoon Break? When it's declared by IMD?

ब्रेक मानसून की घोषणा तब की जाती है " जब मॉनसून ट्रफ हिमालय की तलहटी में शिफ्ट हो जाती है। गंगा के मैदानी क्षेत्रों और देश के मध्य भागों में शुष्क पछुआ हवाओं द्वारा आर्द्र पूर्वी हवाओं की जगह ले ली जाती है"।   मानसून ब्रेक के दौरान देश के अधिकांश हिस्सों में मौसम लगभग शुष्क हो जाता है। मानसून ब्रेक 10 से 15 दिन की मौसमी परिस्थितियां होती है।  इसे मानसून अंतराल (Monsoon Gap) कहते हैं। वास्तव में मानसून की बारिश, मानसून की ऋतु में बरसात के और शुष्क मौसम के कुछ दौरों (Periods) के रूप में होती है। जिस अवधि में कुछ दिनों तक बरसात नहीं होती, वह अवधि मानसून ब्रेक कहलाती है।

Kabir Das Jayanti पर Kabir Ke Dohe (105 दोहे), अर्थ सहित

कबीर दास का जन्म ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए प्रतिवर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन उनकी जयंती मनाई जाती है।  कबीरदास भक्तिकाल के प्रमुख कवि थे, वे ज्ञानाश्रयी- निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे।  उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज की बुराइयों को दूर करने में लगा दिया ।  दोहे के रूप में उनकी रचनाएं आज भी गायी गुनगुनाई जाती हैं।  कबीर दास जी का जन्म काशी में 1398 में हुआ था, जबकि उनका निधन 1518 में मगहर में हुआ था।  संत कबीर ने अपने पूरे जीवन काल में पाखंड, अंधविश्वास और व्यक्ति पूजा का विरोध करते हुए अपनी अमृतवााणी से लोगों को एकता का पाठ पढ़ाया।  आज भी कबीर की वाणी अमृत के समान है, जो व्यक्ति को नया जीवन देने का काम कर रही है।  संत कबीर के लोकप्रिय दोहे हमें अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश में ले जाने का काम करते हैं। कबीरदास जी ने अपने पूरे जीवनकाल में लोगों के बीच प्रेम, सद्भाव और एकता कायम करने का प्रयास किया।  उन्होंने अपनी अमृत वाणी से ही नहीं बल्कि स्वयं का उदाहरण पेश करते हुए लोगों के भ्रम को तोड़ने की कोशिश की थी।  उनके नाम से कबीर पंथ संप्रदाय की स्