▂▄▅▆▇█🐥█▇▆▅▄▂ *लाजवाब पंक्तियाँ* *तन्हा बैठा था एक दिन मैं अपने मकान में,* *चिड़िया बना रही थी घोंसला रोशनदान में।* *पल भर में आती पल भर में जाती थी वो,* *छोटे छोटे तिनके चोंच में भर लाती थी वो।* *बना रही थी वो अपना घर एक न्यारा,* *कोई तिनका था, ना ईंट उसकी कोई गारा।* *कुछ दिन बाद....* *मौसम बदला, हवा के झोंके आने लगे,* *नन्हे से दो बच्चे घोंसले में चहचहाने लगे।* *पाल रही थी चिड़िया उन्हे,* *पंख निकल रहे थे दोनों के,* *पैरों पर करती थी खड़ा उन्हे।* *देखता था मैं हर रोज उन्हें,* *जज्बात मेरे उनसे कुछ जुड़ गए ,* *पंख निकलने पर दोनों बच्चे,* *मां को छोड़ अकेला उड़ गए।* *चिड़िया से पूछा मैंने..* *तेरे बच्चे तुझे अकेला क्यों छोड़ गए,* *तू तो थी मां उनकी,* *फिर ये रिश्ता क्यों तोड़ गए?* *चिड़िया बोली...* *परिन्दे और इंसान के बच्चे में यही तो फर्क है,* *इंसान का बच्चा.....* *बड़ा होते ही अपना हक जमाता है,* *न मिलने पर वो मां बाप को,* *कोर्ट कचहरी तक भी ले जाता है।* *मैंने बच्चों को जन्म दि...