विजयदशमी (दशहरा) के पावन अवसर पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण सीख - Happy Vijayadashami (Dasara) to all of you
बुराई पर अच्छाई, अधर्म पर धर्म, अन्याय पर न्याय की विजय के पर्व (Festival) विजयदशमी (दशहरा) के पावन अवसर पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण सीख * Knowledge होना अच्छी बात है। अपने ज्ञान पर गर्व करने, लेकिन अहंकार (Over Confidence) न करें। क्योंकि विजयदशमी (दशहरा) से सीख मिलती है कि 'अहंकार' के कारण ही त्रिलोक के विजेता, सर्वज्ञानी रावण का कुल सहित नाश हुआ। * मैं श्रेष्ठ हूँ - ये आपका आत्म विश्वास (Self Confidence) है , लेकिन केवल मैं ही श्रेष्ठ हूँ - यह अहंकार है। उदाहरण के लिए रावण का जीवन देख लें। * जीवन संग्राम में बाहर के शत्रु नहीं हैं। असली शत्रु (अरूप रावण के रूप में) तो आज भी हमारे अंदर जिंदा हैं और वे हैं - काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या - द्वेष, लालच, छल, अहंकार, हठ ( पशुवर्ती) और 'मैं' में रहना। * हर साल रावण (दुर्गुणों का पुलिंदा) के बड़े - बड़े पुतले जलाना ही विजयदशमी (दशहरा) नहीं हैं। राम के जीवन से सीख लेते हुए, किसी अच्छे गुण को जीवन में धारण करना तथा रावण रूपी अंदुरूनी दुर्गुणों का नाश करना ही सही मायने ...