कुल
जनसंख्या में कार्यरत जनसंख्या का प्रतिशत अनुपात, सहभागिता दर कहलाता है।
पुरुषों और स्त्रियों के लिए
सहभागिता दर अलग – अलग होती है। सहभागिता दर को आयु संरचना, जीवन प्रत्याशा,
रोजगार की उपलब्धि, कार्य के प्रति लोगों का दृष्टिकोण और कार्य में स्त्रियों की
भागीदारी आदि कारक प्रभावित करते हैं।
आर्थिक स्तर और सहभागिता दर
के आधार पर जनसंख्या को तीन वर्गों में बाँटा जाता है :-
1. मुख्य
कामगार या श्रमिक – वह व्यक्ति जिसे एक वर्ष में कम
से कम 183 दिन काम मिल जाता है। देश की 30.5% जनसंख्या मुख्य
श्रमिक श्रेणी में है।
2. सीमांत
कामगार या श्रमिक – वह
व्यक्ति जिसे एक वर्ष में 183 दिन से कम काम मिल पाता है। देश की 8.7% जनसंख्या
सीमांत श्रमिक श्रेणी में है।
3. अश्रमिक
या गैर कामगार - वह व्यक्ति जिसे वर्ष भर अपनी आजीविका चलाने के
लिए काम नहीं मिलता है।