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कार्यशील जनसंख्या किसे कहते हैं अथवा भारत में श्रमजीवी संघटन या सहभागिता दर का वर्णन कीजिए।

कुल जनसंख्या में कार्यरत जनसंख्या का प्रतिशत अनुपात, सहभागिता दर कहलाता है।

पुरुषों और स्त्रियों के लिए सहभागिता दर अलग – अलग होती है। सहभागिता दर को आयु संरचना, जीवन प्रत्याशा, रोजगार की उपलब्धि, कार्य के प्रति लोगों का दृष्टिकोण और कार्य में स्त्रियों की भागीदारी आदि कारक प्रभावित करते हैं।

आर्थिक स्तर और सहभागिता दर के आधार पर जनसंख्या को तीन वर्गों में बाँटा जाता है :-

1.   मुख्य कामगार या श्रमिक – वह व्यक्ति जिसे एक वर्ष में कम से कम 183 दिन काम मिल जाता है। देश की 30.5% जनसंख्या मुख्य श्रमिक श्रेणी में है।

2.   सीमांत कामगार या श्रमिक वह व्यक्ति जिसे एक वर्ष में 183 दिन से कम काम मिल पाता है। देश की 8.7% जनसंख्या सीमांत श्रमिक श्रेणी में है।

3.   अश्रमिक या गैर कामगार -  वह व्यक्ति जिसे वर्ष भर अपनी आजीविका चलाने के लिए काम नहीं मिलता है।

भारत में राज्य स्तर और लिंग के स्तर पर सहभागिता दर में अत्यधिक विषमता पाई जाती है। श्रमिकों का अनुपात लक्षद्वीप में  25% से मिजोरम में 52.6% तक मिलता है। इसी प्रकार देश में पुरूष मुख्य कामगार 52% हैं, जबकि इस वर्ग में महिलाएं मात्र 25.6% ही हैं।