भारतीय भाषाओं को चार मुख्य भाषा परिवारों में वर्गीकृत किया जाता है :-
1. भारतीय यूरोपीय भाषा परिवार (आर्य) – यह भारत में विशालतम भाषाई समूह है। ये भाषाएँ भारत के पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गोआ आदि में (भारत की कुल जनसंख्या का 73 % भाग) बोली जाती हैं। इनमें हिंदी, पंजाबी, राजस्थानी, गुजराती, अवधी, बघेली, छतीसगढ़ी, उड़िया, बिहारी, असमिया, मराठी, कोंकणी, कच्छी, सिन्धी आदि भाषाएँ शामिल हैं।2. द्रविड़ भाषा परिवार (द्रविड़) – ये भाषाएँ भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना आदि राज्यों में (भारत की कुल जनसंख्या का 20 % भाग) बोली जाती हैं। इनमें तमिल, कन्नड़, मलयालम, तेलुगु आदि भाषाएँ शामिल हैं।
3. आग्नेय या आस्ट्रिक भाषा परिवार (निषाद) – भारत में बोली जाने वाली आग्नेय भाषा, ऑस्ट्रो – एशियाई उप –परिवार की भाषा है। भारत में इस भाषा परिवार की भाषाओं को बोलने वालों की कुल संख्या भारत की कुल जनसंख्या का 1.38 % भाग है। इन भाषाओं को भारत के 60 लाख लोग बोलते हैं जिनमें से सबसे बड़ा भाषाई समूह संथाली भाषा (30 लाख लोग) का है। ये भाषाएँ भारत के मेघालय, निकोबार द्वीप समूह, संथाल परगना, राँची आदि क्षेत्रों में बोली जाती हैं। इस भाषा परिवार को मुंडा और मान खेर, दो उप वर्गों में बाँटा जाता है।
4. चीनी – तिब्बत भाषा परिवार (किरात) – ये भाषाएँ भारत के लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर आदि क्षेत्रों में (भारत की कुल जनसंख्या का 0.85 % भाग) बोली जाती हैं। इनमें तिब्बती, भोटिया, लद्दाखी, डफला, बोडो, नागा और मयनमारी आदि प्रमुख भाषाएँ शामिल हैं।