यह संसार का सबसे लम्बा रेलमार्ग है। इसकी लम्बाई 9322 km है। इसकी यात्रा करने में 7 दिन का समय लगता है। यह 14 वर्षों में बनकर 1905 में तैयार हुआ। इसे इंजीनियरिंग का करिश्मा भी कहते हैं, क्योंकि यह प्रतिकूल धरातल, हजारों पुलों और सैंकड़ों नदियों को पार करता है। यह दोहरा विद्युतीकृत रेलमार्ग है। यह दो महाद्वीपों (एशिया और यूरोप) और दो महासागरों (प्रशांत और बाल्टिक सागर) को जोड़ता है। यह रेलमार्ग पश्चिम में बाल्टिक सागर में फिनलैंड की खाड़ी पर स्थित सेंट पीटर्सबर्ग (जिसका पुराना नाम लेनिन के नाम पर लेनिनग्राद था) को एशिया के सुदूर पूर्व में प्रशांत महासागर के तट पर स्थित व्लादिवोस्तोक तक जोड़ता है।
Trans-Siberian Railway Route |
यह
सेंट पीटर्सबर्ग (रूस
की उत्तर – पश्चिम बन्दरगाह) से शुरू होकर रूस
के सबसे बड़े नगर और राजधानी मास्को
पहुँचता है। यहाँ से वोल्गा नदी, यूराल पर्वत, स्टेपिज
घास एवं गेंहू के मैदानों को पार करते हुए नोवोसिब्रंस्क पहुंचता है।
यहाँ से विश्व की सबसे गहरी झील बैकाल के दक्षिण में स्थित नगर इरकुस्टस्क (फर केंद्र) होते हुए चीता नामक कृषि केंद्र से खाबरोवस्क से व्लादिवोस्तोक तक जाता है।
ट्रांस साइबेरियन पारमहाद्वीपीय रेलमार्ग का महत्व:-
1. यह पश्चिम यूरोप के बाजारों को एशिया के आन्तरिक एवं पूर्वी भागों से जोड़ता है। प्राचीन काल में सैनिक कार्यवाही के लिए यूरोपीय सैनिक इसी मार्ग से जापान पर आक्रमण के लिए भेजे जाते थे।
2. इस मार्ग के बनने से रूस का काला पानी कहलाने वाला प्राकृतिक सम्पदाओं का खजाना, अपेक्षित एवं अत्यंत पिछड़ा पूर्वी साइबेरिया का विकास हो सका।
3. इस मार्ग से पश्चिम से मशीनें और औद्योगिक उत्पाद पूर्व की ओर तथा कोयला, लकड़ी, लुग्दी, चमड़ा, मक्खन आदि पश्चिम की ओर भेजे जाते हैं।
4. इस मार्ग के बनने से मध्य एशिया और साइबेरिया के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन सम्भव हो सका।
5. जापान के राजधानी टोकियो से लन्दन तक की समुद्री यात्रा में डेढ़ महीना लग जाता था, लेकिन इस मार्ग से यह यात्रा केवल 15 दिन में तय होने लगी।
6. साइबेरिया में जनसंख्या का बसाव इस रेलमार्ग के सहारे – सहारे ही है।
7. यह रेलमार्ग जिन महत्वपूर्ण नदियों को पार करता है, वे स्थान महत्वपूर्ण वाहनांतरण बिंदु (Transit Points) के रूप में विकसित हो चुके हैं।