मानव भूगोल में नूतन संकल्पनायें अथवा उपागम कौन – से हैं ? What are the recent concepts or approaches in human geography?
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अनेक क्षेत्रों में वृद्धि एवं परिवर्तन हुए, जिनके मुददों व समस्याओं को नई विधियाँ ही सुलझा सकती हैं। जो इस प्रकार :-
1. कल्याणपरक (Welfare Approach) अथवा मानवतावादी विचारधारा
2. मूलवादी विचारधारा (Radical Approach)
3. प्रत्यक्षवाद विचारधारा (Positivism Approach)
4. व्यवहारवादी विचारधारा (Behavioral Approach)
कल्याणपरक (Welfare Approach) अथवा मानवतावादी विचारधारा:- विश्व के अनेक देशों में पूंजीवाद के बढ़ते प्रभाव से बढ़ती आर्थिक असमानता की प्रतिक्रिया स्वरूप मानव भूगोल में कल्याणपरक विचारधारा का जन्म हुआ।
इस विचारधारा के मुख्य प्रवर्तक या प्रचारक डी.एम. स्मिथ और डेविड हार्वे (David Harvey) थे।
यह विचारधारा निर्धनता, भूख, बेरोजगारी, विकास में प्रादेशिक असंतुलन, नगरीय झुग्गी झोपडी, मलिन बस्ती व इसके अभाव, जैसे विषयों को मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र में लेकर आई।
इस विचारधारा का उद्देश्य है –
1. कल्याणपरक (Welfare Approach) अथवा मानवतावादी विचारधारा
2. मूलवादी विचारधारा (Radical Approach)
3. प्रत्यक्षवाद विचारधारा (Positivism Approach)
4. व्यवहारवादी विचारधारा (Behavioral Approach)
कल्याणपरक (Welfare Approach) अथवा मानवतावादी विचारधारा:- विश्व के अनेक देशों में पूंजीवाद के बढ़ते प्रभाव से बढ़ती आर्थिक असमानता की प्रतिक्रिया स्वरूप मानव भूगोल में कल्याणपरक विचारधारा का जन्म हुआ।
इस विचारधारा के मुख्य प्रवर्तक या प्रचारक डी.एम. स्मिथ और डेविड हार्वे (David Harvey) थे।
यह विचारधारा निर्धनता, भूख, बेरोजगारी, विकास में प्रादेशिक असंतुलन, नगरीय झुग्गी झोपडी, मलिन बस्ती व इसके अभाव, जैसे विषयों को मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र में लेकर आई।
इस विचारधारा का उद्देश्य है –
1. मानव भूगोल के अध्ययन को मानव के कल्याण एवं सामाजिक चेतना से जोड़ना।
2. इस विचारधारा का उदय 1970 के दशक में हुआ।
3. इसमें आवास, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे पक्षों पर ध्यान दिया जाता है।
4. यह मनुष्य की केन्द्रीय एवं क्रियाशीलता पर बल देती है।
5. इसमें प्रादेशिक असमानता, निर्धनता, अभाव जैसे विषयों के कारणों एवं उनके उपायों पर बल दिया जाता है।
मूलवादी विचारधारा (Radical Approach): - इस विचारधारा ने निर्धनता के कारण और सामाजिक असमानता की व्याख्या के लिए कार्ल मार्क्स (Karl Marx) के सिद्धांत (समाजवाद) का उपयोग किया।
प्रत्यक्षवाद विचारधारा (Positivism Approach): - इस विचारधारा के समर्थक बी. जे. एल. बैरी, विलियम बंग, तथा डेविड हार्वे जैसे विद्वान् थे। इस विचारधारा का उदय पचास के दशक में मात्रात्मक विधियों के उपयोग को प्रोत्साहन देने हेतू हुआ, ताकि भौगोलिक विश्लेषण को वस्तुनिष्ठ (Objective) बनाया जा सके। व्यवहारवादी विचारधारा (Behavioral Approach):- इस विचारधारा का प्रतिपादन मनोविज्ञान के गेस्टाल्ट सम्प्रदाय (Gestalt School) द्वारा किया गया। इस विचारधारा का मानना था कि जिन पदार्थों को हम दुनिया में देखते हैं, उन्हें अलग हिस्से के रूप में देखने की अपेक्षा अगर हम उसे उसकी समग्रता (Totality) के रूप में देखें तो उसका अर्थ अलग होगा। वास्तव में यह प्रत्यक्षवाद की विरोधी विचारधारा है।
2. इस विचारधारा का उदय 1970 के दशक में हुआ।
3. इसमें आवास, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे पक्षों पर ध्यान दिया जाता है।
4. यह मनुष्य की केन्द्रीय एवं क्रियाशीलता पर बल देती है।
5. इसमें प्रादेशिक असमानता, निर्धनता, अभाव जैसे विषयों के कारणों एवं उनके उपायों पर बल दिया जाता है।
मूलवादी विचारधारा (Radical Approach): - इस विचारधारा ने निर्धनता के कारण और सामाजिक असमानता की व्याख्या के लिए कार्ल मार्क्स (Karl Marx) के सिद्धांत (समाजवाद) का उपयोग किया।
प्रत्यक्षवाद विचारधारा (Positivism Approach): - इस विचारधारा के समर्थक बी. जे. एल. बैरी, विलियम बंग, तथा डेविड हार्वे जैसे विद्वान् थे। इस विचारधारा का उदय पचास के दशक में मात्रात्मक विधियों के उपयोग को प्रोत्साहन देने हेतू हुआ, ताकि भौगोलिक विश्लेषण को वस्तुनिष्ठ (Objective) बनाया जा सके। व्यवहारवादी विचारधारा (Behavioral Approach):- इस विचारधारा का प्रतिपादन मनोविज्ञान के गेस्टाल्ट सम्प्रदाय (Gestalt School) द्वारा किया गया। इस विचारधारा का मानना था कि जिन पदार्थों को हम दुनिया में देखते हैं, उन्हें अलग हिस्से के रूप में देखने की अपेक्षा अगर हम उसे उसकी समग्रता (Totality) के रूप में देखें तो उसका अर्थ अलग होगा। वास्तव में यह प्रत्यक्षवाद की विरोधी विचारधारा है।
After the Second World War, there were growth and changes in many areas, whose issues and problems can be solved only by new methods. Which is as follows: -
1. Welfare Approach or Humanist ideology
2. Radical Approach
3. Positivism Approach
4. Behavioral Approach
Welfare Approach or Humanistic Ideology: - In many countries of the world, welfare ideology was born in human geography as a reaction to the increasing economic inequality due to the growing influence of capitalism.
The main promoter or propagator of this ideology was D.M. Smith and David Harvey.
This ideology brought topics like poverty, hunger, unemployment, regional imbalance in development, urban slums, slums and its absence in the study area of human geography.
The purpose of this ideology is –
1. Linking the study of human geography with human welfare and social consciousness.
2. This school of thought emerged in the 1970s.
3. In this, attention is paid to aspects like housing, health and education.
4. It emphasizes the centrality and activity of man.
5. In this, the causes of subjects like regional inequality, poverty, lack and their remedies are emphasized.
Radical Approach: - This school of thought used the theory of Karl Marx (Socialism) to explain the causes of poverty and social inequality.
Positivism Approach: - Supporters of this school of thought B. J. Ale. Barry, William Bang, and David Harvey. This school of thought emerged in the fifties to encourage the use of quantitative methods, so that geographical analysis could be made objective. Behavioral Approach: - This ideology was propounded by the Gestalt school of psychology. This school of thought believed that the things we see in the world would have a different meaning if we looked at it as a totality rather than as separate parts. In fact, it is the antithesis of positivism.