महिला – एक माँ है, बहन है, बेटी है, और जीवन संगिनी है। यह पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति और प्रगति का माध्यम बनकर ‘प्रकृति’ है, ‘जीवन’ है, ‘जननी’ है।
“जब यह शिव के साथ होती है तो ‘पार्वती’ कहलाती है,
भक्ति में लीन हो जाती है तो ‘मीरा’ और ‘सबरी’ बन जाती है।
तलवार उठा लेती है तो ‘रानी लक्ष्मीबाई’ कहलाती है।
अंतरिक्ष में जाए तो कभी कल्पना चावला, तो कभी सुनीता विलियम बन जाती है।
पर्यावरण की रक्षा में यह कभी गौरा देवी (चिपको आंदोलन), मेधा पाटकर, ग्रेटा थनबर्ग कहलाती है।
जब समाज सेवा करने में यह अपना जीवन बिताती है तो ‘मदर टेरेसा’ बन जाती हैं।
वर्तमान समय में यह कभी ‘जोया अग्रवाल’ के रूप में दुनिया की सबसे लंबी कॉमर्शियल फ्लाइट उड़ती है, तो कभी क्रू मेम्बर बनकर अकेली ही पूरी मालगाड़ी चलाती हैं।
जब यह रिंग में उतरती है तो मुक्केबाजी में मैरीकॉम बन जाती है,
कोर्ट में उतरे तो साइना नेहवाल और पीवी सिंधु बन जाती है।
भार उठाए तो कर्ण मल्लेश्वरी, तेज दौड़ लगाकर कभी पीटी उषा तो कभी हेमा दास कहलाती है।
हॉकी सटीक पकड़े तो रानी राम पाल और क्रिकेट का बल्ला थामे तो यह मिताली राज बन जाती है।
यह मां, बहन, बेटी, प्रियसी के रूप में घर, परिवार, जग, संसार, दुनिया को चलाती है। यह दुनिया की आधी आबादी, माँ – जननी का कर्तव्य निभाती है।
जब यह आतंकियों से लड़ती है तो मलाला, और बन्दूक उठा लेती है तो फूलन देवी बन जाती है।
जब यह अपनी आत्मकथा लिखती है तो रास सुंदरी देवी, और देश के पहले स्कूल की स्थापना करती है तो सावित्री बाई फूले कहलाती है।
जब इसको प्रशासन की जिम्मेवारी मिलती हैं तो यह
मुखिया के रूप में कभी द्रौपदी मुर्मू, कभी प्रतिभा, कभी इंदिरा, तो कभी मीरा कुमार और निर्मला बन जाती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह कभी इंदिरा नूरी, कमला हैरिस, और विजय लक्ष्मी पंडित की भूमिका निभाती है।
जब यह शिव की जटाओं से उतरती है तो भागीरथी और माँ गंगा कहलाती है, कभी यह धन की देवी लक्ष्मी, तो कभी ज्ञान स्वरूप सरस्वती बन जाती है।
भक्तजनों के लिए यह कभी चिंतपूर्णी, वैष्णो, मनसा, कामाख्या बन जाती है, तो कभी – कभी अपना रौद्र रूप चण्डी, दुर्गा और काली के रूप में दिखाती है।
कभी यह श्री राम जी की संगिनी बनकर वनवास जाती है तो सीता कहलाती है। कभी यह मातृत्व रूप में यशोदा, तो कभी प्रेम रूप में राधा कहलाती है।
यह जीवन की जननी बन, बच्चे की पालक, पहली शिक्षिका, परिवार की रक्षक और समाज की सुधारक बन जाती है।
कभी यह खुद की इज्जत – आबरू बचाने के लिए जोहर कर सती हो जाती है, तो कभी-कभी यह पुरुषवादी कुकृत्य का शिकार हो, निर्भया कहलाती है।
कभी-कभी खुद की कुटिल मनोवृतियों के कारण यह सुरपनखा, मंथरा या कैकेयी भी बन जाती है।
सुबह की शुरुआत रसोई या ग्रह कार्यों से करके, परिवार की सबसे व्यस्त सदस्य होकर भी बिना सैलरी के आजीवन “गर्हणी” कहलाती है।
परिवार, बच्चे और समाज की पहली शिक्षिका बनकर, समाज में विविध रूपों में आजीवन अपनी भूमिका निभाती है।
लगी रहती है चुपचाप, अपनी जिम्मेवारियों में कभी नहीं यह हठ खाती है।
रख गर्भ में नौ माह भ्रूण को 'वसुंधरा' का कर्तव्य निभाती है।
Thanks & Regards
All Females of the Earth
“Happy World Women Day”
Abhimanyu Dahiya (Lecturer Geography)
Haryana Education DepartmentMy Poem in Image format
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A poem by My Respected Guru Ji Sh. Zile Singh Ji, Retired DEO from Education Department
नारी पर्वत नापती,नापे क्षितिज अछोर ।
चली नापने चन्द्रमा,अंतरिक्ष की ओर।।
नारी के अस्तित्व से,पुरुषों का घर-बार ।
सच करती सामर्थ्य से,सपनों का संसार।।
कहाँ सुरक्षित आज भी,सिया नगर के बीच ।
आते बनकर स्वर्णमृग,नित्य नये मारीच।।
नारी है संवेदना,नारी नर का अर्थ ।
बिना गहन अनुभूति के,शिल्पपक्ष है व्यर्थ।।
बेटी की किलकारियाँ,पूर्ण करें व्यक्तित्व ।
बिना बेटियों के कहाँ,बेटों का अस्तित्व।।
बदलो अपनी सोच का,पुरुष पुराना ढंग ।
मत समझो हैं बेटियाँ,जैसे कटी पतंग। ।
दृष्टि सदा मैली रही,बस उज्ज्वल है भेष।
ऐसे लोगों के लिए,नारी वस्तु विशेष।।
बस महिमामण्डित किया,किया नहीं स्वीकार ।
संसद में अब तक दबे,नारी के अधिकार।।
नारी तुम सद्भावना,तुम हो प्रेम निवास ।
तुमसे ही तो सतत् है,उद्भव और विकास। ।
सूरज बैठा ही रहा,धरे हाथ पर हाथ ।
कोहरा मनमानी करे,खिली धूप के साथ।।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सभी महिलाओं को नमन।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की आप सभी को पुन: बधाई।
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INTERNATIONAL WOMEN'S DAY - MARCH 8 (Facts)
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