येलो अलर्ट सचेत रहने की चेतावनी
येलो अलर्ट में हल्की से मध्यम बारिश की चेतावनी होती है. मौसम के अनुसार इस अलर्ट या चेतावनी का मतलब होता है कि हम हमारे इलाके या रूटीन को लेकर सचेत रहें और सावधानी बरतें. येलो अलर्ट जारी करने का मतलब वास्तव में लोगों को सतर्क करना होता है. इस अलर्ट के मुताबिक तुरंत कोई खतरा नहीं होता, लेकिन मौसम के हाल को देखते हुए अपनी जगह और गतिविधि को लेकर सावधान रहना चाहिए.
ऑरेंज अलर्ट तैयार रहने की चेतावनी
ऑरेंज अलर्ट में मध्यम से भारी बारिश के लिए चेतावनी जारी की जाती है. मौसम विभाग ऑरेंज अलर्ट जारी करता है तो इसका मतलब होता है कि मौसम की मांग है. अब आप को खराब मौसम के लिए तैयार रहने की जरूरत है और इसके लिए आप तैयार हो जाएं. मौसम ऐसे करवट लेता है जिसका असर जनजीवन पर पड़ सकता है. तब इस तरह का अलर्ट जारी किया जाता है. खराब मौसम के लिए यात्रा कामकाज और दूसरी गतिविधियों में तैयारी रखने की जरूरत होती है.
रेड अलर्ट एक्शन के लिए चेतावनी
रेड अलर्ट में भारी से अति भारी बारिश की चेतावनी जारी की जाती है. मौसम विभाग गंभीर स्थितियों में रेड अलर्ट जारी किया जाता है. इस तरह का अलर्ट कम ही होता है. रेड अलर्ट के मायने हैं कि अब जान माल की सुरक्षा का समय आ चुका है. अक्सर इस अलर्ट के बाद खतरे के जोन में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया जाता है और मौसम के मुताबिक सुरक्षा के इंतजाम किए जाते हैं. रेड अलर्ट अगर गर्मी के मौसम में जारी होता है तो आपको घर से बाहर नहीं निकलना है और जरूरी इंतजाम करने की सलाह दी जाती है. इसी तरह बारिश में अगर रेड अलर्ट जारी होता है तो इसका मतलब साफ है कि किसी तरह का बाढ़ या तूफान आने वाला है.
मौसम विभाग द्वारा मौसम से संबंधित चेतावनी देने के लिए रेड अलर्ट, ऑरेंज अलर्ट, येलो अलर्ट और ग्रीन अलर्ट को जारी किया जाता है. चेतावनी देने के लिए रंगों का चुनाव कई एजेंसियों के साथ मिलकर किया जाता है. इन अलर्ट को मौसम के ख़राब होने की तीव्रता के आधार पर जारी किया जाता है. यानि भीषणता के माध्यम से रंग बदलते रहते हैं. सबसे भीषण चक्रवात के लिए रेड अलर्ट जारी किया जाता है.
आइये इन अलर्ट के बारे में विस्तार से जानते हैं;
1. रेड अलर्ट: जब भी कोई चक्रवात अधिक तीव्रता के साथ आता है जैसे तेज बारिश के साथ हवा की रफ़्तार 130 किमी. प्रति घंटा (केवल यही एक पैमाना नहीं) से अधिक तो मौसम विभाग की ओर से तूफ़ान की रेंज में पड़ने वाले इलाकों के लिए रेड अलर्ट जारी किया जाता है और प्रशासन से जरूरी कदम उठाने के लिए कहा जाता है.
रेड अलर्ट का मतलब होता है खतरनाक स्थिति. मौसम विभाग का कहना है कि जब मौसम खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है और भारी नुकसान होने का खतरा रहता है तो रेड अलर्ट जारी किया जाता है.
इस प्रकार के अलर्ट की घोषणा तभी की जाती है जब 30 मिमी. से अधिक बारिश की संभावना हो और यह कम से कम 2 घंटे तक होती ही रहे. ज्यादातर मामलों में निचले इलाकों में रह रहे लोगों को बाहर निकाल लिया जाता है क्योंकि तेज बारिश के कारण बाढ़ आने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
2. ऑरेंज अलर्ट: मौसम विभाग का कहना है कि जैसे-जैसे मौसम खराब होता जाता है, वैसे ही येलो अलर्ट को अपडेट करके ऑरेंज अलर्ट जारी किया जाता है. ऑरेंज अलर्ट के अंतर्गत इस प्रकार की वार्निंग जारी की जाती है " इस चक्रवात के कारण मौसम के बहुत अधिक ख़राब होने की संभावना है जो कि सड़क और वायु परिवहन को नुकसान पहुँचाने के साथ-साथ जान और माल की क्षति भी कर सकता है.
इसलिए लोगों को घरों में रहने की सलाह दी जाती है. इस प्रकार की वार्निंग जारी किये जाने वाले चक्रवात में हवा की स्पीड लगभग 65 से 75 किमी. प्रति घंटा होती है और 15 से 33 मिमी. की घनघोर बारिश होने की संभावना रहती है. इस अलर्ट में प्रभावित क्षेत्र में खतरनाक बाढ़ आने की प्रबल संभावना होती है. इस प्रकार के अलर्ट की सूचना में लोगों को प्रभावित एरिया से बाहर निकालने का प्लान तैयार रखना पड़ता है.
3. येलो अलर्ट: मौसम विभाग येलो अलर्ट का प्रयोग लोगों को सचेत करने के लिए करता है. इसका मतलब होता है खतरे के प्रति सचेत रहें उदासीन नहीं. बता दें यह अलर्ट जस्ट वॉच का सिग्नल है. इस प्रकार की चेतवानी में 7.5 से 15 मिमी. की भारी बारिश होती है जो कि अगले 1 या 2 घंटे तक जारी रहने की संभावना होती है जिसके कारण बाढ़ आने की संभावना रहती है. इस अलर्ट में मौसम पर लगातार कड़ी नजर रखी जाती है.
4. ग्रीन अलर्ट: कई बार मौसम विभाग द्वारा ग्रीन अलर्ट जारी किया जाता है. इसका मतलब होता है कि संबंधित जगह पर कोई खतरा नहीं है.
अलर्ट घोषित होने की स्थिति में निम्न सावधानियां बरतीं जानी चाहिए;
1. अलर्ट जारी होने की स्थिति में लोगों को सबसे पहले अपने घर पहुंचना चाहिए और यदि चक्रवात ज्यादा खतरनाक होने की संभावना हो तो सरकार द्वारा बनाये गए सुरक्षित स्थलों पर चले जाना चाहिए.
2. चक्रवात की प्रगति की जानकारी के लिए अपने पोर्टेबल रेडियो को सुनते रहें
3. घर की लाइट और गैस कनेक्शन को बंद कर दें
4. सुनिश्चित करें कि पालतू जानवरों को सुरक्षित रूप से आश्रय दिया गया है
5. अपने घर के सबसे मजबूत, सबसे सुरक्षित हिस्से (आंतरिक दालान, बाथरूम या शौचालय) या निकटतम कल्याण केंद्र में तुरंत जाएं
6. दरवाजे और खिड़कियों से दूर रहें और उन्हें बंद रखें
7. अपना आपातकालीन किट अपने साथ रखें
इस प्रकार स्पष्ट है कि इस प्रकार की वार्निंग जारी करने के पीछे सरकार और अन्य एजेंसियों का मुख्य मसकद किसी भी चक्रवात से होने वाले जान और माल के नुकसान को कम करना होता है और इस प्रकार की सूचनाएँ वाकई में लोगों की मददगार साबित होतीं हैं.
यलो अलर्ट - सचेत रहें
मौसम के अनुसार इस अलर्ट या चेतावनी का मतलब होता है कि आप अपने इलाके या रूटीन को लेकर सचेत रहें. कुछ सावधानियां बरतें. यलो अलर्ट जारी करने का मकसद वास्तव में लोगों को सतर्क करना होता है. इसके मुताबिक आपको तुरंत कोई खतरा नहीं होता, लेकिन मौसम के हाल को देखते हुए आपको जगह और अपने मूवमेंट को लेकर सावधान रहना चाहिए.
ऑरेंज अलर्ट - तैयार रहें
मौसम विभाग जब ऑरेंज अलर्ट जारी करता है, तो इसका मतलब होता है कि मौसम की मांग है कि अब आप और खराब मौसम के लिए तैयार हो जाएं. जब मौसम इस तरह की करवट लेता है, जिसका असर जनजीवन पर पड़ सकता है, तब ये अलर्ट जारी किया जाता है. खराब मौसम के लिए आपको अपनी यात्राओं, कामकाज या स्कूली बच्चों के लिए आवागमन के बारे में तैयारी रखने की ज़रूरत होती है.
रेड अलर्ट - एक्शन का वक्त
हालांकि बेहद गंभीर स्थितियों में रेड अलर्ट जारी किया जाता है, इसलिए यह कम ही होता है. फिर भी, रेड अलर्ट का मतलब होता है कि जान माल की सुरक्षा का समय आ चुका है. अक्सर इस अलर्ट के बाद खतरे के ज़ोन में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया जाता है. मौसम के मुताबिक सुरक्षा के इंतज़ाम किए जाते हैं, जैसे गर्मी के मौसम में अगर रेड अलर्ट जारी हो तो आपको घर से बाहर नहीं निकलने और ज़रूरी इंतज़ाम करने की हिदायत होती है. इसी तरह, बारिश के मौसम में अगर ये अलर्ट जारी हो तो इसका साफ संकेत होता है बाढ़, तूफान या नुकसानदेह बारिश की चेतावनी है इसलिए ज़रूरी इंतज़ाम करें.
रेड अलर्ट के समय सामान्य जनजीवन के लिए खतरे को भांपते हुए अक्सर पब्लिक ट्रांसपोर्ट, स्कूल संचालन जैसे नियमित कामकाज बंद किए जा सकते हैं.
भारत और दुनिया भर में चेतावनी सिस्टम
रंगों के आधार पर चेतावनी या अलर्ट जारी करने के सिस्टम के चलते कई तरह की आपदाओं से पहले की तुलना में ज़्यादा बचाव संभव हो सका है. इस प्रणाली की शुरुआत 2016 में हुई थी और यूके के मौसम विभाग के बाद भारत समेत कई देशों ने इस चेतावनी प्रणाली को अपनाया. कलर कोड चेतावनी प्रणाली में हरे रंग के कलर कोड का मतलब सब ठीक होने का संकेत है इसलिए इसे अलर्ट के तौर पर नहीं इस्तेमाल किया जाता.
भारत के भू विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय मौसम विभाग नियमित तौर पर अपनी वेबसाइट पर इस कलर कोड के ज़रिये मौसम का हाल और भविष्यवाणियां बताता है. इस कलर कोड प्रणाली के मुताबिक आप आसानी से अपने इलाके के मौसम का हाल समझ सकते हैं.