उन्होंने मां को नहीं बताया था कि वो रेल मंत्री हैं।
कहा था कि "मैं रेलवे में नौकरी करता हूं"।
वह एक बार किसी कार्यक्रम में आए थे जब उनकी मां भी वहां पूछते पूछते पहुंची कि मेरा बेटा भी आया है, वह भी रेलवे में है।
लोगों ने पूछा क्या नाम है जब उन्होंने नाम बताया तो सब चौंक गए " बोले यह झूठ बोल रही है"।
पर वह बोली, "नहीं वह आए हैं"।
लोगों ने उन्हें लाल बहादुर शास्त्री जी के सामने ले जाकर पूछा," क्या वही है?"
तो मां बोली "हां वह मेरा बेटा है"
लोग मंत्री जी से दिखा कर बोले "क्या वह आपकी मां है"
तब शास्त्री जी ने अपनी मां को बुला कर अपने पास बिठाया और कुछ देर बाद घर भेज दिया।
तो पत्रकारों ने पूछा "आपने उनके सामने भाषण क्यों नहीं दिया"
तो वह बोले-
मेरी मां को नहीं पता कि मैं मंत्री हूं। अगर उन्हें पता चल जाए तो वह लोगों की सिफारिश करने लगेगी और मैं मना भी नहीं कर पाऊंगा।..... और उन्हें अहंकार भी हो जाएगा।
जवाब सुनकर सब सन्न रह गए।
"कहां गए वो निस्वार्थि ,सच्चे ,ईमानदार लोग"।
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