Que1.
पर्यावरण प्रदूषण किसे
कहते हैं ? इसके प्रकार बताइए। अथवा प्रदूषण और प्रदूषकों में क्या भेद है ?
ANS. पर्यावरण में अवांछित पदार्थ जो पर्यावरण
के लिए हानिकारक होते हैं, पर्यावरण प्रदूषण कहलाते हैं।
जब प्रकृति
की सीमाओं से पार जाकर मनुष्य पारितंत्र के विरुद्ध कार्य करता है तो प्रदूषण होने
लगता है।
धूल, धुआं, गंद, ठोस कण,
मलिन जल, अनावश्यक शोर आदि पर्यावर्णीय प्रदूषक कहलाते हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार :-
1.
जल
प्रदूषण
2.
वायु
प्रदूषण
3.
ध्वनि प्रदूषण
4. भू या भूमि प्रदूषण
Que2.
जल प्रदूषण क्या है ?
इसके कारण और इसके उपाय बताइए। अथवा भारत
में जल प्रदूषण की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
ANS. जल में अवांछित पदार्थ जो जल और जीव
जन्तुओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं, जल प्रदूषण कहलाते
हैं।
जल प्रदूषण के कारण : -
1. नदियों में शहरों और मानवीय बस्तियों तथा
फैक्ट्रियों का गंदा पानी और सीवरेज को डालना।
2. जनसंख्या वृद्धि।
3. औद्योगिक कचरा, जैसे - चमडा उद्योग – कानपुर,
गंगा नदी को दूषित करता है।
4. पहाड़ों पर तीव्र वर्षा से होने वाला मृदा अपरदन।
5. पेड़ पौधों और जीव जन्तुओं के अवशिष्ट।
6. पेट्रोरसायन उद्योग, वस्त्र उद्योग, जूट उद्योग,
चीनी उद्योग आदि का नदियों किनारे अवस्थित होना।
7. नगरीय अपशिष्ट और कूड़े कर्कट का ढेर।
8. वर्षा के दौरान दूषित जल का भौम जल में मिल जाना।
9. समुद्रों में तेल टैंकरों से तेल का रिसाव।
10. कृषि क्षेत्र यानि खेतों में रासायनिक उर्वरक और
कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग।
11. तीर्थ यात्राओं, धार्मिक मेलों, पर्यटन आदि के
कारण।
12. नदियों में अस्थियों को बहाना।
13. दिल्ली का अपशिष्ट जल यमुना नदी के प्रदूषण का
मुख्य कारण है।
जल
प्रदूषण के प्रभाव :-
1. जल जनित बीमारियाँ, जैसे दस्त (डायरिया), आँतों
में कीड़े होना, हेपेटाइटिस का होना।
2. भौम जल का दूषित होना।
3. नदियों के जल की गुणवत्ता का कम होना।
4. नदीय या जलीय जीवों की मृत्यु होना।
5. जलीय जीवों के अस्तित्व को खतरा।
6. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की
रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग एक – चौथाई संचारी रोग जल – जनित होते हैं।
जल
प्रदूषण की रोकथाम के उपाय :-
1. पानी का पुन: चक्रण करना।
2. सख्त नियम और कानून बनाना तथा अवमानना पर सख्त
सजा देना।
3. जनसंख्या को नियंत्रित रखना।
4. अपशिष्ट का निपटान जैविक खाद के रूप में करना।
5. जन जागरूकता को बढ़ाना।
6. जल प्रदूषण की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय स्तर
पर गंगा सफाई अभियान “नमामि गंगे कार्यक्रम” आरंभ किया गया है। जिसके अंतर्गत घनी आबादी से बहने
वाली भारत की सबसे पवित्र मानी जाने वाली गंगा नदी (Ganga
River) के
प्रदूषण, जो चिंता का विषय बना हुआ है, को कम करने के लिए शहरों में सीवर
ट्रीटमेंट की व्यवस्था करना, औद्योगिक प्रवाह की निगरानी करना, नदियों का विकास
करना, नदी के किनारे वनीकरण और जैव विविधता को बढ़ाना, नदी तल की सफाई करना,
उत्तराखंड, यू. पी., बिहार, झारखंड में ‘गंगा ग्राम’ का विकास करना, नदी में किसी
भी प्रकार के पदार्थ न डालना तथा लोगों में जागरूकता लाना आदि शामिल हैं।
Que3.
वायु प्रदूषण क्या है ?
इसके कारण बताते हुए, इसकी रोकथाम के उपाय बताइए। अथवा वायु प्रदूषण के प्रमुख
स्रोतों का वर्णन कीजिए अथवा मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के क्या प्रभाव पड़ते
हैं ?
ANS.
वायु में अवांछित पदार्थ,
जैसे – धूल, धुआं एवं बदबू आदि जो वायु की गुणवत्ता को कम कर देते हैं,
वायु प्रदूषण कहलाते हैं।
वायु प्रदूषण के कारण : -
1. फैक्ट्रियों और परिवहन साधनों का धुआं ।
2. अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि
3. वृक्षों की अंधाधुंध कटाई।
4. ईट के भट्टे
5. धूल भरी आंधियाँ
6. ज्वालामुखी विस्फोट
7. जंगल की आग
8. नगरीय अपशिष्ट और कूड़े कर्कट का ढेर
9. खेतों में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का
छिडकाव
10. बैक्टीरिया और वायरस।
11. जीवाश्म ईंधनों, जैसे – कोयला, पेट्रोल, डीजल
आदि का जलाना
12. परमाणु विस्फोट
13. रासायनिक प्रक्रियाएँ
14. खनन कार्य।
वायु
प्रदूषण के प्रभाव :-
1. स्वास सम्बन्धित बीमारियाँ, जैसे - दमा, सांस के
रोग, चर्म रोग, एलिर्जी आदि का होना आदि।
2. वायु का दूषित होना।
3. धूम्र कोहरा छाना।
4. वैश्विक तापन (ग्लोबल वार्मिंग) का बढ़ना।
5. एसिड रेन या अम्ल वर्षा का होना।
6. पृथ्वी पर ग्रीन हाउस गैसों का बढ़ना।
7. WHO की रिपोर्ट बताती है कि दक्षिण पूर्वी एशिया (South East Asia) में वायु प्रदूषण (Air Pollution) मृत्यु का सबसे
बड़ा (Biggest Killer) कारण है।
8. विश्व
भर में प्रति वर्ष लगभग 8 लाख मौतों का कारण वायु प्रदूषण है।
9. Chernobyl (Ukraine), Dzerzhinsk (Russia), Haina
(Dominican Republic), Kabwe (Zambia), La Oroya (Peru), Linfen (China),
Mailuu-Suu (Kyrgyzstan), Norilsk (Russia), Ranipet (Tamil Nadu, India), Rudnaya
Pristan (Russia) आदि शहर Living
Hell (जीवित नरक) कहलाते हैं।
वायु
प्रदूषण की रोकथाम के उपाय :-
1. सख्त नियम और कानून बनाना तथा अवमानना पर सख्त
सजा देना।
2. जनसंख्या को नियंत्रित रखना।
3.
जन
जागरूकता को बढ़ाना।
4.
वृक्षारोपण
करना।
5.
सार्वजनिक
वाहनों का प्रयोग बढ़ाना।
6.
प्रकृति
की सीमाओं में रहकर कार्य करना।
7.
वाहनों
की नियमित जाँच करवाना।
8.
जीवाश्म
ईंधनों की अपेक्षा जल विद्युत आदि का प्रयोग बढ़ाना।
9.
सौर
ऊर्जा का अधिक से अधिक प्रयोग करना।
10.
नगरीय
अपशिष्ट निपटान करना।
Note - वायु
में अवांछित पदार्थ, जैसे – धूल,
धुआं एवं बदबू आदि जो वायु की गुणवत्ता को कम कर देते हैं, वायु प्रदूषण कहलाते हैं।
वायु प्रदूषण के कारण : - फैक्ट्रियों
और परिवहन साधनों का धुआं, अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि, वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, ईट
के भट्टे, धूल भरी आंधियाँ, ज्वालामुखी विस्फोट, जंगल की आग, नगरीय अपशिष्ट और
कूड़े कर्कट का ढेर, खेतों में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का छिडकाव, बैक्टीरिया
और वायरस, जीवाश्म ईंधनों, जैसे – कोयला, पेट्रोल, डीजल आदि का
जलाना, परमाणु विस्फोट, रासायनिक प्रक्रियाएँ, खनन कार्य आदि।
Que4.
ध्वनि प्रदूषण क्या है ? इसके कारण और इसके उपाय बताइए। OR शोर प्रदूषण के
कारण, प्रभाव और उपायों का वर्णन कीजिए।
ANS. अवांछित ध्वनि जो
कानों को अप्रिय लगती है, ध्वनि प्रदूषण कहलाती है। यह जल,
मृदा और वायु प्रदूषण से भिन्न है क्योंकि इसका प्रभाव तुरंत और स्थाई भी हो सकता
है।
ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल
(Db) में मापा जाता है। डेसीबल को मापने का यंत्र साउंड मीटर
कहलाता है। शून्य
से 25 डेसीबल ध्वनि को ख़ामोशी; 65 डेसीबल तक शान्त; 65 – 75 डेसीबल तक साधारण
आवाज; 75 डेसीबल से ऊपर शोर; 90 से 120 डेसीबल तक स्वास्थ्य के लिए संकट;
120 से 190 डेसीबल ध्वनि असहनीय पीड़ाजनक होती है। WHO (विश्व स्वास्थ्य संघठन)
के अनुसार 45 डेसीबल ध्वनि मानव जीवन के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित रहती
है। साधारणतया मनुष्य के कान 20 से 20000 कम्पन्न प्रति सैकिण्ड तक की ध्वनि
स्पष्ट सुन सकते हैं।
ध्वनि प्रदूषण के कारण : -
1. फैक्ट्रियों और परिवहन का शोर।
2. वायुयानों और सुपरसोनिक विमानों का शोर
3. डायनामाइट विस्फोट।
4. युद्ध अभ्यास
5. लाउडस्पीकर
6. ज्वालामुखी विस्फोट, बिजली का कडकना, बादलों का
गर्जना
7. DJ, रेडियो, TV आदि
8. परमाणु विस्फोट
9. आतिशबाजी
10. खनन कार्य
11. सायरन
12. फेरी वाले
13. सामुदायिक गतिविधियाँ एवं उत्सवों से संबंधित
आवधिक शोर-गुल
ध्वनि
प्रदूषण के प्रभाव :-
1. कान का पर्दा फटना
2. चिडचिडापन,
3. सिर दर्द,
4. तनाव,
5. क्रोध
6. उच्च रक्तचाप (HIGH BP)
7. शारीरिक थकान
8. नींद न आना
9. Scripps Institute of Oceanography के एक अध्ययन के अनुसार 1960 के दशक की तुलना में महासागरों में 10 गुणा ज्यादा शोर-गुल (Noisier) बढ़ गया है। महासागरों में ध्वनि प्रदूषण का स्तर 2003-04 में 1964-1966 की तुलना में 10 से 12 डेसीबल (Decibels) ऊंचा हो गया है।
ध्वनि
प्रदूषण की रोकथाम के उपाय :-
1. सख्त नियम और कानून बनाना तथा अवमानना पर सख्त
सजा देना।
2.
जन
जागरूकता को बढ़ाना।
3.
सार्वजनिक
वाहनों का प्रयोग बढ़ाना।
4.
वाहनों
की नियमित जाँच करवाना।
5. साइलेंसरों का प्रयोग करना।
6. धार्मिक अवसरों, शादी आदि में नियंत्रित आवाज
में मनोरंजन करना।
7.
प्रैशर
हॉर्न पर रोक लगाना।
8.
सड़कों
किनारे वृक्ष लगाना आदि।
Que5.
नगरीय अपशिष्ट निपटान की समस्या पर निबन्ध लिखिए। अथवा भारत में नगरीय
अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए। OR दिल्ली
का घरेलू व औद्योगिक अपशिष्ट किस नदी में डाला जाता है ?
ANS. नगरीय क्षेत्र अत्यधिक जनसंख्या वाले होते हैं।
बढ़ती जनसंख्या के कारण यहाँ आमतौर पर साफ – सफाई की व्यवस्था लचर होती है। जगह –
जगह गंदगी के ढेर और प्रदूषित वायु के कारण नगरीय अपशिष्ट का निपटान हर बड़े
महानगर, जैसे – दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु आदि और छोटे शहर एवं
कस्बों के लिए समस्या बन चूका है।
ठोस कचरे के ढेर का नगरों
में अम्बार लगता जा रहा है। जैसे – दिल्ली के करनाल बाईंपास पर कूड़े का पहाड़ बन
चूका है। दिल्ली का घरेलू व औद्योगिक अपशिष्ट
यमुना नदी में डाला जाता है।
ठोस कचरे में प्लास्टिक का
सामान, पोलिथीन की थैलियाँ, रद्दी कागज, पुराना फर्नीचर, CD, DVD आदि शामिल रहता
है, जबकि गीले कचरे में दैनिक जीवन में उपयोग के बाद निकलने वाला साग – सब्जियों
का कचरा आदि शामिल रहता है।
नगरीय अपशिष्ट निपटान से
जुड़ी प्रमुख समस्याएं या प्रभाव :-
1. ठोस अपशिष्ट से दूर – दूर तक
बदबू फैलती रहती है।
2. गंदगी का ढेर मक्खियों, मच्छरों, चूहों, सूअरों
व कुत्तों की शरण – स्थली बन जाता है।
3. यहाँ से उत्पन्न गंदी बदबू और जीव जीवन के लिए
जोखिम बन जाते हैं।
4. टाइफाइड (मियादी बुखार), गलघोटू (डिप्थीरिया), दस्त
(डायरिया), हैजा जैसी बीमारियाँ फैलती हैं।
5. भौम जल भी दूषित होता है।
नगरीय
अपशिष्ट निपटान से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का समाधान या निपटान :-
1. जनता को कचरे को फैंकने से पहले छांट लेना चाहिए।
2. पुन: चक्रण को बढ़ावा देना चाहिए।
3. कचरे से ताप विद्युत आदि बनाने के लिए शोध कार्य
करने चाहिए।
4. जैविक खाद (कंपोस्ट) आदि बनाना।
5. जन जागरूकता फैलाकर।
Que6.
दौराला (मेरठ) में पारिस्थितिकी के पुनर्भरण और मानव स्वास्थ्य का एक
अनुकरणीय उदाहरण है। कैसे ?
ANS. दौराला
(Daurala), मेरठ (Meerut)
के पास उत्तर प्रदेश में एक
छोटा सा कस्बा है। यह
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (National
Capital Delhi) से 84 km दूरी पर मेरठ – खतौली - मुजफ्फरनगर National
Highway 334 पर मेरठ शहर से उत्तर दिशा
में स्थित है। यहाँ 12000 के आस – पास जनसंख्या निवास करती है।
साठ के दशक (1960 – 70) में
यहाँ अनेक धातुक्रम और चीनी आदि के अनेक उद्योग लगने लगे। परिणाम स्वरूप पर्यावरण
प्रदूषण, पेयजल का दूषित होना, भीड़ – भाड, प्रवास की समस्या, जीवन की घटती
गुणवत्ता जैसी समस्याएँ बढ़ने लगी।
इन समस्याओं को ओर एक गैर
सरकारी संगठन (NGO
- Non-governmental organizations) का ध्यान गया।
इस संगठन ने वहाँ की जनता को
जागरूक करना शुरू किया तथा स्वास्थ्य के लिए प्रयास किए। इस संगठन ने अपने
शक्तिशाली तर्कों से और प्रमाणिक अध्ययनों से उद्योगों के मालिकों, सरकारी
संगठनों, जिला प्रशासन, और अन्य पर्यावरण सुरक्षा के पक्षधरों को अपनी बात समझाई।
जनता की
जागरूकता, इस संगठन के प्रयासों और जिला प्रशासन की मदद से उद्योगों के अवशिष्ट पानी का पाइपलाइन के
द्वारा यहाँ से 900 m दूर एक तालाब में एकत्रित किया गया तथा पुन: उपयोग के योग्य
बनाया गया। इससे पहले उस तालाब की गाद (Silt) को
साफ किया गया।
जगह –
जगह वर्षा जल संग्रहण के लिए संरचनाएं बनाई गई।
इससे भू जल के संदूषण में कमी आई। 1000 से भी ज्यादा पेड़ लगाए गए। इन प्रयासों से
दौराला के 12000 लोगों को एक नया जीवन मिला।
Que7.
मलिन बस्ती किसे कहते हैं ? धारावी – एशिया की विशालतम मलिन बस्ती
(स्लम) की समस्याओं का वर्णन कीजिए। अथवा भारत में
गंदी बस्तियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए OR भारत में मलिन बस्तियों की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
ANS. अवैध रूप से बसी, गैर क़ानूनी, अत्यधिक भीड़ – भाड
वाली मानव बस्तियाँ, गंदी बस्तियाँ कहलाती हैं।
धारावी
(मुंबई), एशिया की सबसे बड़ी मलिन
बस्ती है। यहाँ 1440 व्यक्तियों पर एक शौचालय है। यह वास्तव में सागर
का एक हिस्सा है जोकि कचरे से भरी गई जगह है। यहाँ गलियाँ इतनी तंग हैं कि साइकिल
का भी गुजरना मुश्किल है। इस गंदी बस्ती से केवल एक ही सड़क जिसे ‘नाइन्टीफुट रोड’
के गलत नाम से जाना जाता है, जो अपनी चौड़ाई में घटकर आधे से भी कम रह गई है। बसें
सिर्फ धारावी की परिधि से गुजरती हैं। यहाँ एक – एक कमरे में 10 से 12 लोग रहते
हैं। धारावी में वृक्षों की छाया नहीं होती है, क्योंकि यह वृक्षरहित बस्ती है।
हालाँकि मुंबई को धनाढय बनानेमे धारावी की अहम भूमिका रही है। यहाँ देश के
सर्वाधिक सुंदर, मूल्यवान और उपयोगी पदार्थ बनाए जाते हैं। जैसे – मिट्टी के
बर्तन, जरी का काम, आभूषण, लकड़ी की पच्चीकारी तथा फर्नीचर आदि।
इसकी अथवा मलिन
बस्तियों की सामान्य समस्याएँ या विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :-
1.
ये खाली
पड़ी जमीन, व्यक्तिगत अथवा सार्वजनिक जमीन पर बसी अवैध बस्तियाँ होती हैं।
2.
इसमें
जमीन का मालिक भू स्वामी नहीं होता है बल्कि जमीन पर उनका गैर क़ानूनी कब्जा
होता है।
3.
इन
बस्तियों में आवासीय दशाएँ अत्यंत निम्न होती हैं।
4.
इनमें गलियाँ
अत्यंत तंग होती हैं।
5.
इनमें मकान
कच्चे, एवं छोटे होते हैं।
6.
इन
बस्तियों में शुद्ध हवा, पानी, शौचालय आदि की कमी होती है।
7.
इनमें
बहुत ज्यादा भीड़ भाड़ होती है।
8.
इनमें
अधिकतर निम्न आय वाले लोग रहते हैं।
9.
जीर्ण –
शीर्ण मकान
10. गरीबी, अपराध, शराब, नशीली दवाओं के धंधे,
गुंडागर्दी आदि असामाजिक समस्याएँ।
11. इनके अधिकतर निवासी प्रवासी जनसंख्या होती है।
12. इनको भारत में अनाधिकृत बस्ती, अवैध बस्ती,
मलिन बस्ती, गंदी बस्ती, झुग्गी झोपडी, स्लम आदि नामों से जाना जाता है।
13. इनको वेनेजुएला (Venezuela)
में रान्चोज (RANCHOS),
ब्राज़ील (Brazil) में फवेलाज (FAVELAS), म्यांमार (Myanmar) में केवेटिट्स (CAVITIES
/ KEVTTIES ) तथा अन्य कई जगह शैंटी टाउंस (Shanty
Town) आदि
नामों से जाना जाता है।
Map showing major SLUM area in World |
Que8.
झबुआ क्यों प्रसिद्ध हैं ?
ANS.
1.
पर्यावरण की दशा सुधारने के कारण
2.
जल – प्रबंधन के कारण
Que9. भू निम्नीकरण क्या है ? इसके कारण और इसके उपाय बताइए। अथवा भू - निम्नीकरण को कम करने के उपाय सुझाइए।
ANS. भूमि की उत्पादन क्षमता का कम हो जाना अथवा भूमि का अपरदित हो जाना, भू निम्नीकरण
कहलाता है। भारत में इस समय 13 करोड़ हेक्टेयर भूमि, जिसका 56 % हिस्सा पानी
द्वारा अपरदित है, निम्नीकृत है।
भू – निम्नीकरण के कारण
:-
1.
वनोंमूलन/वन
कटाई,
2.
अति
पशुचारण,
3.
खनन
4.
अति
सिंचाई
5.
अत्यधिक
उर्वरकों का प्रयोग
6.
कीटनाशकों
का अति उपयोग
7.
तीव्र
वर्षा
8.
मृदा
अपरदन
झारखंड,
छत्तीसगढ़, MP, ओडिशा और महाराष्ट्र
आदि में भू – निम्नीकरण का मुख्य कारण खनन है। गुजरात, राजस्थान, MP, और
महाराष्ट्र आदि में भू – निम्नीकरण का मुख्य कारण पशुचारण है। पंजाब,
हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में भू – निम्नीकरण का मुख्य कारण अति
सिंचाई, जल भराव, उर्वरक व कीटनाशक आदि है।
भू – निम्नीकरण को रोकने के
मुख्य उपाय :-
2. चरागाह का प्रबंधन करना,
3. पेड़ों की रक्षक मेखला (शेल्टर बेल्ट) लगाना,
4. पशुचारण पर नियंत्रण करना,
5. रेतीले टीलों पर काँटेदार झाड़ियाँ लगाना,
6. खनन नियंत्रण करना,
7. हरी एवं जैविक खादों का प्रयोग करना,
8. सिंचाई प्रबंधन करना,
9. जल का शुद्धिकरण करना,
10. बंजर भूमि का प्रबंधन करना।
Que 10 नीचे दिये गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :-
(i) निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन
- सी है ?
(क) ब्रह्मपुत्र नदी (ख) सतलुज नदी (ग) यमुना नदी (घ) गोदावरी नदी
ANS.
(ग) यमुना नदी
(ii) निम्नलिखित में से कौन - सा रोग
जल जन्य है ?
(क) नेत्रश्लेष्मला शोथ (ख) अतिसार (ग) शोर प्रदूषण (घ) वायु प्रदूषण
ANS.
(ख) अतिसार
(iii) निम्नलिखित में से कौन - सा अम्ल
वर्षा का एक कारण है ?
(क) जल प्रदूषण (ख) भूमि प्रदूषण (ग) शोर प्रदूषण (घ) वायु प्रदूषण
ANS.
(घ) वायु प्रदूषण
(iv) प्रतिकर्ष और अपकर्ष कारक उत्तरदायी हैं
-
(क) प्रवास के लिए (ख) भू - निम्नीकरण के लिए
(ग) गंदी बस्तियों के लिए (घ) वायु प्रदूषण के लिए
ANS. (क) प्रवास के लिए