अध्याय 4 संस्थाओं का कामकाज परिचय लोकतंत्र का मतलब लोगों द्वारा अपने शासकों का चुनाव करना भर नहीं है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में शासकों को भी कुछ कायदे-कानूनों को मानना होता है। उन्हें भी संस्थाओं के साथ और संस्थाओं के भीतर ही रहकर काम करना होता है। यह अध्याय लोकतंत्र में संस्थाओं के कामकाज से संबंधित है। हम इसमें समझने का प्रयास करेंगे कि हमारे देश में किस तरह महत्त्वपूर्ण फ़ैसले करके उन्हें लागू किया जाता है। हम यह भी देखेंगे कि इन फ़ैसलों से संबंधित विवादों को किस तरह सुलझाया जाता है। इस अध्याय में हम इन फ़ैसलों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली तीन संस्थाओं-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका -पर ध्यान केंद्रित करेंगे। आप पहले की कक्षाओं में इन संस्थाओं के बारे में कुछ जानकारी हासिल कर चुके होंगे। हम यहाँ उनका संक्षेप में वर्णन करके कुछ और महत्त्वपूर्ण सवालों पर ध्यान देंगे। हर संस्था के संबंध में हम यह प्रश्न करेंगे कि वह किस तरह के काम करती है? एक संस्था दूसरी संस्था से कैसे जुड़ी है? इनके कामों को क्या चीज़ कम या ज़्यादा लोकतांत्रिक बनाती है? इस अध्याय का मुख्य उद्द...
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