आधुनिक विश्व के चरवाहे ( Pastoralists in the Modern World)
चरवाहा समुदाय - गुज्जर बकरवाल समुदाय
स्थान - जम्मू – कश्मीर
पशु - भेड़-बकरियां, मवेशी (गाय-भैंस)
विशेषताएं / प्रवास क्षेत्र - ये गर्मियों में अप्रैल के अंत तक, उत्तर दिशा में पहाड़ी ढलानों की चोटियों की ओर, जबकि सर्दियों में सितंबर के अंत में निचली घाटियों की ओर प्रवास करते हैं।
चरवाहा समुदाय -गद्दी
स्थान - हिमाचल प्रदेश
पशु - भेड़-बकरियाँ
विशेषताएं / प्रवास क्षेत्र - ये गर्मियों में ऊपरी इलाकों में पहाड़ी ढलानों की ओर चले जाते हैं, जबकि सर्दियों में शिवालिक की निचली घाटियों की ओर आ जाते हैं।
चरवाहा समुदाय - गुज्जर - भोटिया
स्थान - उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊँ क्षेत्र
पशु - भेड़-बकरियाँ
विशेषताएं / प्रवास क्षेत्र - ये चरवाहे सर्दियों में भाबर के सूखे जंगलों की तरफ़ और गर्मियों में ऊपरी घास के मैदानों, बुग्याल (ऊँचे पहाड़ों में स्थित घास के मैदान) की तरफ़ चले जाते थे।
चरवाहा समुदाय - धंगर
स्थान - महाराष्ट्र
पशु - मवेशी / भैंस
विशेषताएं / प्रवास क्षेत्र - धंगर गड़रिये बरसात के दिनों में महाराष्ट्र के मध्य पठारों में रहते थे। अक्तूबर के आस-पास ये बाजरे की कटाई करते हैं और चरागाहों की तलाश में पश्चिम में कोंकण की तरफ़ चले जाते हैं।
चरवाहा समुदाय - राइका समुदाय (उनकी बस्ती को ढंडी कहा जाता है।)
स्थान - थार रेगिस्तान, पश्चिमी राजस्थान (इस इलाके के ऊँट पालकों को मारू (रेगिस्तान) राइका कहा जाता है।
पशु - राइकाओं का एक तबका ऊँट पालता था जबकि कुछ भेड़-बकरियाँ पालते थे।
विशेषताएं / प्रवास क्षेत्र - राइका खेती के साथ-साथ चरवाही का भी काम करते थे। बरसात में तो बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और बीकानेर के राइका अपने गाँवों में ही रहते थे क्योंकि इस दौरान उन्हें वहीं चारा मिल जाता था। पर, अक्तूबर आते-आते ये चरागाह सूखने लगते थे। नतीजतन ये लोग नए चरागाहों की तलाश में दूसरे इलाकों की तरफ़ निकल जाते थे और अगली बरसात में ही वापस लौटते थे।
चरवाहा समुदाय - गोल्ला, कुरुमा और कुरुबा समुदाय
स्थान - कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के मध्य पठारी क्षेत्रों में
पशु - मवेशी (गाय-भैंस) और भेड़-बकरियाँ
विशेषताएं / प्रवास क्षेत्र - सूखे महीनों में वे तटीय इलाकों की तरफ़ चले जाते थे जबकि बरसात शुरू होने पर वापस चल देते थे। गोल्ला लोग मवेशी (गाय-भैंस) पालते हैं, जबकि कुरुमा और कुरुबा समुदाय भेड़-बकरियाँ पालते हैं।
चरवाहा समुदाय - बंजारे
स्थान - उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में
पशु - मवेशी (गाय-भैंस)
विशेषताएं / प्रवास क्षेत्र - ये लोग बहुत दूर-दूर तक चले जाते हैं और रास्ते में अनाज और चारे के बदले गाँव वालों को खेत जोतने वाले जानवर और दूसरी चीज़ें बेचते जाते थे।
चरवाहा समुदाय - मनोपा
स्थान - अरुणाचल प्रदेश
पशु - भेड़, गाय, याक, बकरी और घोड़े
विशेषताएं / प्रवास क्षेत्र - ये हिमालय पर्वत की श्रेणियों पर स्थानीय स्तर पर पशुपालन करते हैं।
चरवाहा समुदाय - मालधारी समुदाय
स्थान - गुजरात के मरुस्थलीय क्षेत्रों
पशु - भेड़, बकरी, गाय, भैंस, और ऊंट
विशेषताएं / प्रवास क्षेत्र - मालधारी शब्द 'माल' (पशुधन) और 'धारी' (मालिक/रक्षक) शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है 'पशुधन संरक्षक'।
चरवाहा समुदाय - मासाई समुदाय
स्थान - कीनिया और तंज़ानिया के अर्ध-शुष्क घास के मैदान व सूखे रेगिस्तानों में
पशु - मवेशी - गाय-बैल, ऊँट, बकरी, भेड़ व गधे
Pastoralists in the Modern World - Chart |
Bugyaal (बुगयाल) |
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