चीन ने मंगलवार 11.05.2021 को जनगणना के सरकारी आंकड़े जारी किये हैं, जिनसे पता चलता है कि बीते दशकों में चीन की आबादी सबसे धीमी गति से बढ़ी है।
सरकारी
आंकड़ों के अनुसार, पिछले दस वर्षों में औसत वार्षिक वृद्धि दर 0.53%
थी जो साल 2000 से 2010 के
बीच 0.57% की दर से नीचे रही।
चीनी
विशेषज्ञों के अनुसार, आबादी बढ़ने की यह दर चिंताजनक है। इन
परिणामों से चीन की सरकार पर इस बात के लिए दबाव बढ़ गया है कि वो
जोड़ों से बच्चे पैदा करने को कहें ताकि जनसंख्या में कमी को रोका जा सके।
चीन
में हर दस साल में एक बार जनसंख्या के आंकड़े जारी किये जाते हैं। पहले उम्मीद की
गई थी कि ये आंकड़े अप्रैल में जारी होंगे। साल 2020 के अंत में चीन में जनगणना हुई थी। चीन की सरकार
के अनुसार, क़रीब 70 लाख कर्मचारियों ने
जनगणना के काम में हिस्सा लिया और उन्होंने घर-घर जाकर लोगों की गिनती की।
चीन में जनगणना के काम को बहुत ही
गंभीरता से लिया जाता है ताकि भविष्य की योजनाएं उसी हिसाब से बनायी जा सकें।
जानकार
कहते हैं कि चीन में जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर चिंताजनक स्तर पर पहुँच
जाने के पीछे चीन की विवादास्पद 'वन चाइल्ड पॉलिसी' एक बड़ा कारण
है।
चीन
में जनसंख्या वृद्धि को धीमा करने के लिए इस नीति को साल 1979 में लागू किया गया था।
इस नीति के लागू होने के बाद जिन
परिवारों ने नियमों का उल्लंघन किया, उन्हें
जुर्माना भरना पड़ा, उन्हें रोज़गार का नुकसान हुआ और
कभी-कभी गर्भपात के लिए भी मजबूर होना पड़ा।
साल 2016 में चीन की सरकार ने इस नीति को समाप्त कर दिया था और जोड़ों को दो बच्चे
पैदा करने की अनुमति दे दी थी।
साल 2017 की एक रिपोर्ट में चीन की सरकार
ने कहा था कि 'वन चाइल्ड पॉलिसी' ख़त्म
किये जाने का ज़बरदस्त असर पड़ा है और साल 2016-17 में वहाँ
पिछले साल की तुलना में 13 लाख ज़्यादा बच्चे पैदा हुए।
'वन चाइल्ड पॉलिसी' को लागू करने के लिए चीन में बड़े
पैमाने पर नसबंदी की गई और ज़बरन गर्भपात जैसे उपाय अपनाये गए थे।
मगर बूढ़े लोगों की जनसंख्या बढ़ती देख
और इस बुज़ुर्ग पीढ़ी को सहारा देने के लिए नौजवानों की आबादी में कमी के कारण 2016 में इस नीति को समाप्त किया गया।