संसद में माइक बंद या चालू करने का अधिकार किसके पास? इसके क्या हैं खास नियम? सदन में हर सांसद के आगे एक माइक होता है और साउंड इंजीनियर इसे बंद या चालू कर सकते हैं। लेकिन ऐसा करने के भी कुछ नियम होते हैं। इन नियमों के मुताबिक , शून्य काल में हर सांसद को बोलने के लिए तीन मिनट का समय मिलता है। जैसे ही उस सांसद का समय पूरा होता है उनका माइक बंद हो जाता है। वहीं आसन से जिसका नाम पुकारा जाता है , उसका माइक ऑन करना होता है। फिर जब आसन कहता है कि ये रिकॉर्ड में नहीं जाएगा तो माइक बंद कर दिया जाता है। इस तरह संसद में माइक को बंद या फिर चालू किया जाता है। नई संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में माइक को कंट्रोल करने के लिए अलग पैनल बने होते हैं। जहां साउंड इंजीनियर सभापति के आसन के ऊपर, प्रथम तल पर बैठे होते हैं, जो रियल टाइम सीसीटीवी और पैनल में लगे स्क्रीन में सदस्यों को देख रहे होते हैं और उसी के जरिए किसी सांसद का माइक ऑन या फिर ऑफ करते हैं। 18वीं लोकसभा में फिलहाल सांसदों को डिविजन नंबर नहीं मिला है , लिहाजा सांसदों को स्क्रीन/सीसीटीवी में देखकर उनका माइक ऑन या ऑफ करना होता है...
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