कुरुक्षेत्र एक परिचय
कुरुक्षेत्र जिसे पहले ब्रह्मवेदी समन्तपञ्चक फिर रामहृद भी कहा जाता था, के बारे में रोचक जानकारियां---
1 विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का सबसे पहले उच्चारण नरकातारी कुरुक्षेत्र में हुआ ।
2 ब्रह्मा जी द्वारा स्थापित पांच वेदियों में से एक वेदी उत्तर वेदी (समन्तपञ्चक) कुरुक्षेत्र में स्थापित है।
प्रयागराज मध्य वेदी
गया जी पूर्व वेदी
पुष्कर जी पश्चिम वेदी
जगन्नाथ पुरी दक्षिण वेदी
3 सतयुग त्रेता द्वापर कलियुग चारों युगों में इस भूमि पर तप हुआ।
4 सरस्वती के पावन तट पर अनेक धर्म ग्रंथो की रचना हुई।
5 स्थाण्वेश्वर महादेव जहां पर भगवान् कृष्ण ने महाभारत युद्ध से पहले पूजा की थी।
6 कुरुक्षेत्र में 51 शक्तिपीठों में से एक सावित्री शक्तिपीठ माँ भद्रकाली है।
7 कुरुक्षेत्र में धन और मनोकामना देने वाला कुबेर तीर्थ है।
8 कुरुक्षेत्र हर्षवर्धन की राजधानी रही है।
9 सिखों के आठ गुरुओं का कुरुक्षेत्र में आगमन हुआ।
10 माता अदिति के गर्भ से विष्णु भगवान् ने वामन रूप अवतार कुरुक्षेत्र में लिया ।
11 कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण का मुंडन संस्कार हुआ। 12 कुरुक्षेत्र में दधीचि ऋषि ने वृतासुर के वध के लिए अस्थियाँ दान में दी।
13 कुरुक्षेत्र में सम्पूर्ण जगत् के कल्याण के लिए गीता उपदेश दिया गया।
14 राजा कुरु की कठिन तपस्या के कारण कुरुक्षेत्र धर्मक्षेत्र कहलाया
15 ब्रह्मा जी द्वारा कुरुक्षेत्र में चार शिवलिंगों की स्थापना की गई।
16 कुरुक्षेत्र सूर्य उपासना का मुख्य केन्द्र रहा।
17 कुरुक्षेत्र पितृकर्म व अमावस्या स्नान के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण तीर्थ है।
18 कृष्ण द्वारकाधीश बनने के बाद कुरुक्षेत्र आये, तब राधा कृष्ण का मिलन यहीं पर हुआ।
19 कुरुक्षेत्र सन्निहित सरोवर में सूर्य ग्रहण के समय स्नान दान का विशेष महत्त्व है।
20 विश्व प्रसिद्ध भगवान् जगन्नाथ यात्रा का प्रादुर्भाव कुरुक्षेत्र से ही हुआ ।
21 ब्रह्मांड में कुरुक्षेत्र ही एकमात्र ऐसा तीर्थ है जहां पर जल थल व आकाश में मृत्यु होने पर मोक्ष प्राप्त होता है।