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Showing posts from June, 2020

ओजोन लेयर में छेद से 6.60 करोड़ साल पहले हुआ था धरती पर सामूहिक विनाश, फिर हो सकता है ये हादसा

ओजोन लेयर में छेद से हुआ था धरती पर सामूहिक विनाश, फिर हो सकता है ये हादसा aajtak.in 26 जून 2020 1   /   7 6.60 करोड़ साल पहले एक बड़ा एस्टेरॉयड यानी उल्कापिंड धरती से टकराया था. इसकी वजह से धरती पर रहने वाले 75 फीसदी जीव-जंतु मारे गए थे. हजारों सालों तक आसमान में धुएं का गुबार था. सूरज की रोशनी भी धरती तक पहुंच ही नहीं पा रही थी. लेकिन इस घटना से पहले भी एक भयानक हादसा हुआ था. जिससे पूरी धरती के पेड़-पौधे और समुद्री जीव-जंतु खत्म हो गए थे. अब एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि ये घटना दोबारा भी हो सकती है.  (फोटोः गेटी) Share Tweet Share 2   /   7 करीब 36 करोड़ साल पहले हमारी पृथ्वी पर मौजूद पेड़-पौधे और समुद्री जीव-जंतु खत्म हो गए थे. ये हादसा हुआ था ओजोन लेयर में छेद होने की वजह से. ये जानकारी आई है एक नई रिसर्च में जो साइंस एडवांसेस नाम की मैगजीन में प्रकाशित हुई है.  (फोटोः गेटी) Share Tweet Share 3   /   7 इस रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि 36 करोड़ साल पहले ओजोना लेयर में छेद होने की वजह से साफ पानी के अंदर मौजूद जीवन, पेड़-पौधे, समुद्री जीव-जंतु आदि सब खत्म हो गए थे. धरती पर कई जगह

धरती पर सात नहीं आठ महाद्वीप हैं, वैज्ञानिकों ने बनाया नया नक्शा

aajtak.in 25 जून 2020 https://aajtak.intoday.in/gallery/zealandia-scientists-geologists-found-eighth-lost-continent-tstr-8-52122.html 1   /   8 धरती पर सात नहीं आठ महाद्वीप है. लेकिन आठवां महाद्वीप समुद्र के अंदर दफन हो गया है. यह महाद्वीप ऑस्ट्रेलिया से दक्षिण पूर्व की ओर न्यूजीलैंड के ऊपर है. अब वैज्ञानिकों ने इसका नया नक्शा बनाया है. जिससे पता चलता है कि यह 50 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है. यानी यह भारत के क्षेत्रफल से करीब 17 लाख वर्ग किलोमीटर बड़ा है. भारत का क्षेत्रफल 32.87 लाख वर्ग किलोमीटर है.  (फोटोः जीएनएस साइंस) Share Tweet Share 2   /   8 इस आठवें महाद्वीप का नाम है जीलैंडिया (Zealandia). वैज्ञानिकों ने बताया कि यह करीब 2.30 करोड़ साल पहले समुद्र में डूब गया था.  (फोटोः जीएनएस साइंस) Share Tweet Share 3   /   8 जीलैंडिया सुपरकॉन्टीनेंट गोंडवानालैंड से 7.90 करोड़ साल पहले टूटा था. इस महाद्वीप के बारे में पहली बार तीन साल पहले पता चला था. तब से इस पर लगातार वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं.  (फोटोः जीएनएस साइंस) Share Tweet Share 4   /   8 अब जाकर न्यूजीलैंड के वैज्ञानिकों ने इसका