धरती पर सात नहीं आठ महाद्वीप है. लेकिन आठवां महाद्वीप समुद्र के अंदर दफन हो गया है. यह महाद्वीप ऑस्ट्रेलिया से दक्षिण पूर्व की ओर न्यूजीलैंड के ऊपर है. अब वैज्ञानिकों ने इसका नया नक्शा बनाया है. जिससे पता चलता है कि यह 50 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है. यानी यह भारत के क्षेत्रफल से करीब 17 लाख वर्ग किलोमीटर बड़ा है. भारत का क्षेत्रफल 32.87 लाख वर्ग किलोमीटर है. (फोटोः जीएनएस साइंस)
इस आठवें महाद्वीप का नाम है जीलैंडिया (Zealandia). वैज्ञानिकों ने बताया कि यह करीब 2.30 करोड़ साल पहले समुद्र में डूब गया था. (फोटोः जीएनएस साइंस)
जीलैंडिया सुपरकॉन्टीनेंट गोंडवानालैंड से 7.90 करोड़ साल पहले टूटा था. इस महाद्वीप के बारे में पहली बार तीन साल पहले पता चला था. तब से इस पर लगातार वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं. (फोटोः जीएनएस साइंस)
अब जाकर न्यूजीलैंड के वैज्ञानिकों ने इसका टेक्टोनिक और बैथीमेट्रिक नक्शा तैयार किया है. ताकि इससे जुड़ी भूकंपीय गतिविधियां और समुद्री जानकारियों के बारे में पता किया जा सके. (फोटोः जीएनएस साइंस)
जीएनएल साइंस के जियोलॉजिस्ट निक मोरटाइमर ने कहा कि ये नक्शे हमें दुनिया के बारे में बताते हैं. ये बेहद खास हैं. ये एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि हैं. (फोटोः जीएनएस साइंस)
निक ने बताया कि आठवें महाद्वीप का कॉन्सेप्ट 1995 में आया था. लेकिन इसे खोजने में 2017 तक समय लगा और फिर इसे खोए हुए आठवें महाद्वीप की मान्यता दी गई. (फोटोः जीएनएस साइंस)
जीलैंडिया प्रशांत महासागर के अंदर 3800 फीट की गहराई में मौजूद है. नए नक्शे से पता चला है कि जीलैंडिया में बेहद ऊंची-नीची जमीन है. कहीं बेहद ऊंचे पहाड़ हैं तो कहीं बेहद गहरी घाटियां. (फोटोः जीएनएस साइंस)
जीलैंडिया का पूरा हिस्सा समुद्र के अंदर है, लेकिन लॉर्ड होवे आइलैंड के पास बॉल्स पिरामिड नाम की चट्टान समुद्र से बाहर निकली हुई है. इसी जगह से पता चलता है कि समुद्र के नीचे एक और महाद्वीप है. (फोटोः जीएनएस साइंस)
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