(Suez Canal
Traffic Jam)
काहिरा:
मिस्र (Egypt) की स्वेज नहर (Suez
Canal) में मंगलवार 23 मार्च, 2021 को सुबह चीन से माल लेकर नीदरलैंड जा रहा 400 मीटर लंबा और 59 मीटर चौड़ा, एक विशालयकाय कंटेनर शिप “एवर गिवेन” स्वेज पोर्ट के उत्तर में नहर को पार करते वक्त तेज हवाओं के कारण
और तकनीकी खराबी के कारण, भारतीय चालक दल के नियंत्रण से बाहर होकर घूम
गया तथा नहर में फंस गया, जिससे स्वेज नहर के दोनों और भूमध्य सागर और लाल
सागर में कार्गो वेसल्स और तेल टैंकर का भीषण (फंसे हैं दुनिया के 206 जहाज) एवं 300 किमी लंबा ट्रैफिक
जाम लग गया और यह नहर ब्लॉक (Suez
Canal Blocked) हो गई। कोरोना संकट के बीच इस जाम से वैश्विक व्यापार को एक और
बड़ा झटका लगा है। इसकी वजह से कंपनियों को हर घंटे करीब 2900 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा
रहा है। इसे निकालने के लिए बड़े पैमाने पर टग बोट्स
को तैनात किया गया है। टग
बोट्स जहाजों को धक्का देने के लिए होते हैं।
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193.3 किलोमीटर लंबी स्वेज नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है। स्वेज नहर लाल सागर और भूमध्य सागर के बीच मौजूद एक सबसे छोटा जलमार्ग है। इस मार्ग की बदौलत जहाजों को अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर काटकर भूमध्य सागर में जाने से छुटकारा मिल जाता है।
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इस नहर का निर्माण 1859
को शुरू हुआ तथा यह 10 वर्षों में बनकर तैयार हुई। इस
नहर को 17 नवंबर 1869 को इस नहर को आधिकारिक तौर पर शुरू किया गया था।
अगस्त 2014 में मिस्र की सरकार ने इसको और अधिक चौड़ा किया था जिसके बाद यहां से तेजी से जहाजों का निकलना सुनिश्चित हो सका था
जिसे बाद में अगस्त 2015 में खोला गया था। इस पर करीब 60 बिलियन मिस्र पाउंड का खर्च आया था। हालांकि इसको आधिकरिक तौर पर 24 फरवरी 2016 को खोला गया था।
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इसकी अहमियत (महत्त्व) का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यह मार्ग 7000 किमी की दूरी को महज 300 किमी में बदल देता है। इससे समुद्र के रास्ते माल ढुलाई करने वाले जहाजों का समय बचता है और साथ में खर्च भी कम आता है। इसी रास्ते से दुनिया के करीब 30 फीसदी शिपिंग कंटेनर गुजरते हैं। वर्ष 2020 में इस नहर से 18500 जहाज (औसतन 52 जहाज हर रोज) गुजरे थे। पूरी दुनिया के 12 फीसदी सामानों की ढुलाई भी इसी नहर के जरिए होती है।