20वीं सदी के इंजीनियरिंग चमत्कारों में से एक माने जाने वाली पनामा नहर ने वैश्विक व्यापार और अमेरिकी भू-राजनीतिक रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पनामा नहर का इतिहास: -
अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ने वाली नहर का विचार 16वीं शताब्दी में आया था जब स्पेनिश खोजकर्ताओं ने इस मार्ग के रणनीतिक फायदों को पहचाना था। हालांकि, 20वीं सदी की शुरुआत तक राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट के नेतृत्व में अमेरिका पनामा प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पाया था।
पनामा पहले कोलंबिया का गुलाम था लेकिन अमेरिका की मदद से वो आजाद हुआ और बदले में अमेरिका को 1904 में पनामा नहर बनाने का अधिकार मिल गया। नहर का निर्माण 1914 में पूरा हुआ और दशकों तक नहर का प्रशासन अमेरिका के हाथ में रहा, जिससे वैश्विक समुद्री व्यापार पर उसका प्रभुत्व मजबूत हुआ। नहर के कारण अमेरिका को दोनों विश्व युद्धों और शीत युद्ध के दौरान काफी लाभ हुआ। अमेरिकी नौसेना और उसके व्यापारिक जहाज पनामा नहर के जरिए तेजी से आवागमन कर पा रहे थे।
पनामा ने भले ही नहर का नियंत्रण अमेरिका को दे दिया था, लेकिन दोनों देशों के बीच यह व्यवस्था विवादास्पद रही। पनामा के लोगों ने नहर पर अमेरिकी नियंत्रण को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन माना जिसके कारण वहां दशकों तक विरोध-प्रदर्शन हुए और दोनों देशों ने इसे लेकर वार्ताएं कीं। 1977 में, अमेरिका और पनामा के बीच कार्टर-टोरिजोस संधि पर हस्ताक्षर हुआ, जिसके तहत अमेरिका ने 1999 के अंत तक नहर का नियंत्रण पनामा को सौंप दिया। 31 दिसंबर, 1999 को नहर पर पनामा का नियंत्रण हो गया और अब पनामा नहर प्राधिकरण (ACP) नहर का प्रबंधन करता है।
नहर का सामरिक और आर्थिक महत्व
पनामा नहर वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग बनी हुई है जो एशिया, अमेरिका और यूरोप के बीच माल की आवाजाही को आसान बनाती है। लगभग 14,000 जहाज सालाना नहर से गुजरते हैं, जो वैश्विक समुद्री व्यापार का 6 प्रतिशत है। पनामा नहर का सबसे ज्यादा इस्तेमाल अमेरिका करता है। अमेरिका अपने पूर्वी और पश्चिमी तटों के बीच माल भेजने, तेल और कृषि उत्पादों जैसी वस्तुओं के निर्यात के लिए नहर पर निर्भर है।
आर्थिक महत्व के अलावा, इस नहर का सामरिक सैन्य महत्व भी है। नहर पर नियंत्रण से अमेरिका अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच नौसेना बलों की तेजी से तैनाती कर सकता है। यह अमेरिका के वैश्विक सैन्य अभियानों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षमता होगी।
पनामा नहर अमेरिका के सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक मार्गों में से एक है। अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच अमेरिका के लगभग 40 फ़ीसदी मालवाहक जहाज इसी जलमार्ग से होकर जाते हैं।
20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिका ने पनामा नहर का निर्माण किया था, लेकिन सालों के विरोध के बाद, साल 1977 में तत्कालीन राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने पनामा के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत इस नहर का नियंत्रण धीमे-धीमे पनामा को सौंपना था।
ट्रंप ने इस समझौते को 'एक बड़ी ग़लती' क़रार दिया।
साल 1999 में, पनामा नहर का पूरा नियंत्रण पनामा ने ले लिया। इसके तहत किए गए समझौते के मुताबिक़ पनामा ने वादा किया कि वो पनामा नहर का संचालन निष्पक्ष तरीक़े से करेगा और ये सभी देशों के जहाज़ों के लिए खुली रहेगी।
हर साल पनामा नहर से क़रीब 14 हज़ार पोतों की आवाजाही होती है।इनमें कार ले जाने वाले कंटेनर शिप के अलावा तेल, गैस और अन्य उत्पाद ले जाने वाले पोत भी शामिल हैं।
ट्रंप के भाषण के बाद, पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने कहा, "यह नहर किसी ने हमें ख़ैरात में नहीं दी। हमारे लोगों ने इसके लिए कई पीढ़ियों तक संघर्ष किया। तब जाकर ये हमें 1999 में मिली।"
हांगकांग की कंपनी हचिसन व्हामपोआ जलमार्ग के दो बंदरगाहों को ऑपरेट करती है। जिसमें प्रशांत महासागर पर स्थित बाल्बोआ बंदरगाह और अटलांटिक छोर पर क्रिस्टोबल बंदरगाह शामिल है।
दुनिया का लगभग पांच प्रतिशत समुद्री व्यापार 51 मील लंबी पनामा नहर के ज़रिए होता है।
पिछले हफ्ते मार्को रुबियो (ट्रंप प्रशासन में विदेश मंत्री पद के लिए नामांकित) ने कहा था, "सबसे बड़ी चिंता का विषय यह है कि ये कंपनियां इस नहर के दोनों छोरों को नियंत्रित करती हैं और यदि तनाव के समय में चीन कह दे कि इसे बंद कर दो और अमेरिका को यहां से गुजरने मत दो तो हमें एक बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ेगा। ये एक बड़ी आर्थिक और राष्ट्रीय समस्या बन जाएगी।"
अपने भाषण में ट्रंप ने कहा, कि वो 'शांतिदूत बनना चाहते हैं।'
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ओबामा प्रशासन के दौरान रूस में रहे अमेरिकी राजदूत माइकल मैकफॉल ने सोशल मीडिया पर लिखा, "आप शांतिदूत भी बन जाएं और पनामा नहर भी वापस ले लें, ऐसा नहीं हो सकता।"
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Considered one of the engineering marvels of the 20th century, the Panama Canal has played a vital role in global trade and US geopolitical strategy.
History of the Panama Canal
The idea of a canal connecting the Atlantic and Pacific Oceans was conceived in the 16th century when Spanish explorers recognized the strategic advantages of the route. However, it was not until the early 20th century that the US, under President Theodore Roosevelt, completed the Panama project.
Panama was formerly a slave of Colombia but was liberated with US help and in return, the US got the right to build the Panama Canal in 1904. The construction of the canal was completed in 1914 and the US administered the canal for decades, strengthening its dominance over global maritime trade. The canal benefited the US greatly during both World Wars and the Cold War. The US Navy and its merchant ships were able to travel quickly through the Panama Canal.
Even though Panama had given control of the canal to the US, this arrangement remained controversial between the two countries. The people of Panama considered US control of the canal a violation of their sovereignty, which led to decades of protests and negotiations between the two countries. In 1977, the Carter-Torrijos Treaty was signed between the US and Panama, under which the US handed over control of the canal to Panama by the end of 1999. Panama took control of the canal on December 31, 1999, and now the Panama Canal Authority (ACP) manages the canal.
Strategic and economic importance of the canal
The Panama Canal remains an important route for global trade that facilitates the movement of goods between Asia, America and Europe. About 14,000 ships pass through the canal annually, which is 6 percent of global maritime trade. The Panama Canal is used the most by the US. The US relies on the canal to ship goods between its east and west coasts, export goods such as oil and agricultural products.
Apart from economic importance, this canal also has strategic military importance. Control of the canal would allow the US to rapidly deploy naval forces between the Atlantic and Pacific oceans. This would be a vital capability for US global military operations.
The Panama Canal is one of the most important trade routes for the US. About 40 percent of US cargo ships between the Atlantic and Pacific oceans pass through this waterway.
The US built the Panama Canal in the early 20th century, but after years of opposition, in 1977, then-President Jimmy Carter signed an agreement with Panama under which control of the canal was to be gradually handed over to Panama.
Trump called this agreement 'a big mistake'.
In 1999, Panama took full control of the Panama Canal. According to the agreement made under this, Panama promised that it would operate the Panama Canal in a fair manner and it would remain open to ships of all countries.
Every year about 14 thousand ships pass through the Panama Canal. These include container ships carrying cars as well as vessels carrying oil, gas and other products.
After Trump's speech, Panamanian President Mulino posted on social media X. He said, "Nobody gave us this canal as a gift. Our people fought for it for generations. Then we got it in 1999."
Hong Kong-based company Hutchison Whampoa operates two ports on the waterway. These include Balboa port on the Pacific Ocean and Cristobal port on the Atlantic side.
About five percent of the world's maritime trade passes through the 51-mile long Panama Canal.
Last week, Marco Rubio (nominee for the post of Foreign Minister in the Trump administration) said, "The biggest concern is that these companies control both ends of this canal and if in times of tension China says to close it and not let America pass through here, then we will face a very big problem. This will become a big economic and national problem."
In his speech, Trump said that he wants to be a 'peacemaker'.
Reacting to this, Michael McFaul, the US ambassador to Russia during the Obama administration, wrote on social media, "You cannot be a peacemaker and also take back the Panama Canal."
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