Chapter - 1
मानव भूगोल: प्रकृति एवं विषय – क्षेत्र
Q1 नवनिश्चयवाद या आधुनिक निश्चयवाद अथवा रुको और जाओ निश्चयवाद अथवा वैज्ञानिक निश्चयवाद (Neo Environmental Determinism) विचारधारा क्या है ?
जहाँ नियतिवादी विद्वान् प्रकृति (Nature) को समस्त मानवीय क्रियाओं का नियंत्रक
(Determinant)
मानते हैं, वहीं सम्भववादी विद्वान् प्रकृति
के इस नियंत्रण में कुछ संभावनाओं को तलाशते हैं। इन दोनों विचारधाराओं के समन्यव के रूप में एक तीसरी
विचारधारा आस्ट्रेलियाई भूगोलवेत्ता ग्रिफिथ टेलर ने प्रस्तुत की, जो पर्यावरण निश्चयवाद तथा सम्भववाद की चरम सीमाओं के बीच का दर्शन या
विचारधारा है। ग्रिफिथ टेलर ने इस विचारधारा को नव निश्चयवाद या आधुनिक
निश्चयवाद अथवा रुको और जाओ निश्चयवाद (STOP and GO
DETERMINISM) अथवा वैज्ञानिक निश्चयवाद या नव नियतिवाद (Neo
Environmental Determinism) कहा है। ग्रिफिथ टेलर का मानना था
कि “वास्तव में न तो प्रकृति का ही मनुष्य पर पूरा
नियन्त्रण है और न ही मनुष्य प्रकृति का पूर्ण विजेता है; दोनों
का एक - दूसरे से क्रियात्मक सम्बन्ध है।”
उसने इस कथन को समझाने हेतू उदाहरण स्वरूप
यातायात चौराहे पर खड़े ट्रैफिक पुलिस के सिपाही से उदाहरण प्रस्तुत किया;
कि जिस प्रकार ट्रैफिक चौराहे पर खड़ा सिपाही या लाल बत्ती (Red
Light) कुछ समय के लिए ट्रैफिक को नियंत्रित तो कर सकते हैं,
पर पूर्ण रूप से सदा के लिए नहीं रोक सकते हैं अर्थात रुको (लाल बत्ती) और जाओ (हरी बत्ती) का सिद्धांत।
इसी प्रकार प्रकृति मानव को अपने नियन्त्रण में
तो रखती है परन्तु मानव उसमें अपने विवेक व बुद्धि से सम्भावनाएं प्रस्तुत करता
है। इसके विपरीत कभी – कभी जब मानव अपने आपको सर्वोपरी
समझने लगता है तो प्रकृत्ति अपनी पलक झपकाने मात्र अवधि एवं शक्ति से मानव को अपना
रौद्र रूप दिखाती है। जैसे – भयंकर भूकम्प (26 जनवरी 2001 को
भुज, गुजरात) व सुनामी (26 दिसंबर 2004 को हिन्द महासागर में), सूखा एवं बाढ़ आदि। दूसरे शब्दों में नव – निश्चयवाद
विचारधारा के समर्थकों का मानना है कि “मानव,
प्रकृति का आज्ञापालक बनकर ही इस पर विजय प्राप्त कर सकता है।”
Q 2. मानव भूगोल की प्रमुख उप-
शाखायें कौन-सी हैं ? अथवा
मानव भूगोल के कुछ उप - क्षेत्रों के नाम बताइए अथवा मानव भूगोल के विषय कौन –
से हैं ?
Ø मानवविज्ञान
भूगोल : यह बड़े पैमाने पर स्थानिक सन्दर्भ में विविध
प्रजातियों का अध्ययन करता है।
Ø सांस्कृतिक
भूगोल : यह मानवीय संस्कृतियों की उत्पत्ति,
संघटकों और प्रभावों की चर्चा करता है।
Ø आर्थिक
भूगोल : यह स्थानीय, प्रादेशिक,
राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर आर्थिक गतिविधियों की अवस्थिति व वितरण
का अध्ययन करता है। आर्थिक भूगोल का अध्ययन निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा
सकता हैः संसाधन भूगोल, कृषि भूगोल, औद्योगिक
व परिवहन भूगोल।
Ø राजनीतिक
भूगोल : यह स्थानिक सन्दर्भ में राजनीतिक परिघटनाओं का
अध्ययन करता है। इसका मुख्य उद्देश्य राजनीतिक व प्रशासनिक प्रदेशों के उद्भव व
रूपान्तरण की व्याख्या करना है।
Ø ऐतिहासिक
भूगोल : भौगोलिक परिघटनाओं का स्थानिक व कालिक अध्ययन
ऐतिहासिक भूगोल के अन्तर्गत किया जाता है।
Ø सामाजिक
भूगोल : यह स्थान की सामाजिक परिघटनाओं का विश्लेषण
करता है। निर्धनता, स्वास्थ्य, शिक्षा, जीवनयापन सामाजिक भूगोल के कुछ मुख्य
क्षेत्र हैं।
Ø जनसंख्या
भूगोल : यह जनसंख्या के विविध पक्षों जैसे जनसंख्या
वितरण,
घनत्व, संघटन, प्रजनन
क्षमता, मर्त्यता, प्रवास आदि का
अध्ययन करता है।
Ø अधिवास
भूगोल : यह ग्रामीण/नगरीय अधिवासों के आकार,
वितरण, प्रकार्य, पदानुक्रम
और अधिवास व्यवस्था से सम्बंधित अन्य आधारों का अध्ययन करता है।
Q 3 क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Approach) और प्रादेशिक भूगोल (Regional Approach)
में अंतर बताइए।
1. भूगोल की वह शाखा जो भौगोलिक तथ्यों की क्षेत्रीय विशेषताओं का क्रमबद्ध अध्ययन करती है।
2. यह अध्ययन एकांकी रूप में होता है।
3. यह अध्ययन राजनीतिक इकाइयों पर आधारित होता है।
4. यह अध्ययन खोज और तथ्यों को प्रस्तुत करता है
5. इसके प्रतिपादक अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट (Alexander von Humboldt) हैं।
प्रादेशिक भूगोल (Regional Approach)
1. भूगोल की वह शाखा जो भौगोलिक तथ्यों की प्रदेश के आधार पर अध्ययन करती है। जैसे – मानसून प्रदेश, टुन्ड्रा प्रदेश आदि।
2. यह अध्ययन समाकलित होता है।
3. यह अध्ययन भौगोलिक इकाइयों पर आधारित होता है।
4. यह किसी प्रदेश के भौतिक वातावरण तथा मानव के बीच सम्बन्ध को प्रकट करता है।
5. इसके प्रतिपादक कार्ल रिटर (Carl Ritter) हैं।