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Chapter 2 World Population - Distribution, Density and Growth (Essay Types Questions)

Q 4 विश्व में जनसंख्या के सामान्य वितरण का वर्णन कीजिए।

जनसंख्या वितरण :- जनसंख्या वितरण (Population Distribution) का अर्थ है – धरातल पर लोग (जनसंख्या) किस प्रकार वितरित हैं अर्थात् किस प्रकार रहते हैं।

विश्व में जनसंख्या वितरण सम्बन्धी सामान्य तथ्य :-

1.  विश्व में इस समय 7 अरब से ज्यादा जनसंख्या है जिसका 90% भाग, धरातल के 10% भाग पर बसा है। जबकि 90% स्थल भाग पर विश्व की केवल 10% जनसंख्या निवास करती है।

2.  विश्व की 61% (3.50 अरब) जनसंख्या अकेले एशिया महाद्वीप में, 12.9% जनसंख्या अफ्रीका में तथा 12.5% जनसंख्या यूरोप में पाई जाती है।

3.  देशों के आधार पर देखें तो विश्व की 47% जनसंख्या, कुल चार देशों, जैसे - 21% जनसंख्या (134 करोड़) चीन में, 17% जनसंख्या (121 करोड़) भारत में, 5% जनसंख्या (32 करोड़) USA में तथा 4% जनसंख्या (21 करोड़) इंडोनेशिया में पाई जाती है।

4. विश्व जनसंख्या का 90% भाग उत्तरी गोलार्द्ध में और शेष 10% भाग, दक्षिण गोलार्द्ध में पाया जाता है।

5.  विश्व की 77% (तीन –चौथाई) जनसंख्या विकाशील देशों में तथा शेष 23% (एक – चौथाई) जनसंख्या विकसित देशों में पाई जाती है।

6.  विश्व की 38% जनसंख्या तो केवल दो देशों – चीन और भारत में बसती है।

Q 5 विश्व के जनसंख्या घनत्व के वितरण का वर्णन कीजिए।

जनसंख्या वितरण :- जनसंख्या वितरण (Population Distribution) का अर्थ है – धरातल पर लोग (जनसंख्या) किस प्रकार वितरित हैं अर्थात् किस प्रकार रहते हैं।

जनसंख्या का विश्व वितरण :- पृथ्वी पर जनसंख्या उन स्थानों पर रहना पसंद करती है जो सामान्यत मैदान होते हैं तथा वहाँ की जलवायु जीवन के अनुकूल होती है। वहाँ पेयजल की सुविधा के साथ – साथ अन्य जीवन सम्बन्धी आवश्यक तत्व विद्यमान होते हैं। यही कारण है कि विश्व की आधी जनसंख्या विश्व के मात्र 5% भू भाग पर निवास करती है।

जनसंख्या के वितरण के आधार पर विश्व को निम्नलिखित जनसंख्या प्रदेशों में बाँटा जा सकता है :

सघन / उच्च जनसंख्या घनत्व वाले प्रदेश (High Density Population Area)  : वे प्रदेश जहाँ पर जनसंख्या घनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक होता है। जैसे –  

Ø  दक्षिण – पूर्वी एशिया के समतल मैदानी एवं मानसूनी प्रदेश। 

Ø  नदी घाटियों के समतल क्षेत्र।

Ø  पश्चिम यूरोप के औद्योगिक एवं नगरीय प्रदेश। 

Ø  USA और कनाडा के पूर्वी तटीय प्रदेश।  

विरल जनसंख्या  वाले प्रदेश (Least Density Population Area) :  वे प्रदेश जहाँ पर जनसंख्या घनत्व 50 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से कम होता है। जैसे –

Ø  उष्ण मरुस्थल प्रदेश, जैसे – सहारा, कालाहारी, थार व अटाकामा मरुस्थल आदि।  

Ø  अति ठंडे क्षेत्र, जैसे – साइबेरिया, अलास्का, आर्कटिक क्षेत्र व अंटार्कटिक क्षेत्र आदि। 

Ø  ठंडे मरुस्थल प्रदेश, जैसे – तकला माकन मरुस्थल, गोबी मरुस्थल व लद्दाख क्षेत्र। 

Ø  उच्च पर्वतीय प्रदेश, जैसे – हिमालय, रॉकीज, एंडीज आदि के हिमाछादित प्रदेश।

Ø  विषुवत रेखीय क्षेत्र, जैसे – अमेजन व जायरे बेसिन प्रदेश।

मध्यम जनसंख्या  वाले प्रदेश : वे प्रदेश जहाँ पर जनसंख्या घनत्व 51 से 199 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर तक होता है। ये प्रदेश अति न्यून या कम जनसंख्या घनत्व वाले प्रदेशों तथा अति सघन जनसंख्या घनत्व वाले प्रदेशों के बीच के भाग होते हैं। जैसे – पश्चिमी चीन, नॉर्वे, स्वीडन आदि।

Q 6 जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक बताइए।

जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:-

भौतिक कारक (Physical Factors)

1. जल की उपलब्धता

2. नदी घाटियां

3. समतल भू भाग

4. जलवायु

5. उपजाऊ मृदा

आर्थिक कारक (Economic Factors)

1. खनिजों की उपलब्धता

2. नगरीयकरण

3. औद्योगिक विकास

4. परिवहन साधन

5. रोजगार के अवसर

सामाजिक – सांस्कृतिक कारक (Social Cultural Factors)

1. विस्थापन

2. शांतिपूर्ण वातावरण

3. सुरक्षा

4. आतंकवाद

राजनीतिक कारक (Political Factors)   

1. सरकार की नीतियाँ

2. स्थाई सरकार

3. राजनीतिक प्रोत्साहन

Note – इन topics को Heading बनाकर Explain करें।

Q 7 जनांकिकीय संक्रमण के विभिन्न चरणों या अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।

जनांकिकीय संक्रमण (Demographic Transition):-

v  जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत का उपयोग किसी क्षेत्र की जनसंख्या के वर्णन तथा भविष्य की जनसंख्या के पुर्वानुमान के लिए किया जाता है। किसी प्रदेश की जनसंख्या, उच्च जन्म और उच्च मृत्यु सें निम्न जन्म व निम्न मृत्यु में परिवर्तित होती हैं। ये परिवर्तन ही सामूहिक रुप से जनांकिकीय चक्र कहलाते हैं। ये परिवर्तन अवस्थाओं में होते हैं, जिसकी तीन स्पष्ट घोषित अवस्थाएं सामने आती हैं। जनांकिकीय संक्रमण के कई मॉडल हैं, लेकिन आमतौर पर निम्न चार चरणों को स्वीकार किया गया है :-

1.   प्रथम चरण में, जन्म-दर और मृत्यु-दर दोनों ही उच्च होते हैं। इसमें जनसंख्या वृद्धि धीरे-धीरे होती है। इसे जनसंख्या वृद्धि की अस्थिर अवस्था कहा जा सकता है। इसमें अधिकांश लोग कृषि कार्य करते हैं। इन समाजों में निम्न उत्पादकता, निम्न आयु प्रत्याशा, बड़े आकार के परिवार, अल्पविकसित कृषि वाली मुख्य आर्थिक गतिविधि, निम्न स्तरीय साक्षरता और प्रौद्योगिकीय विकास तथा निम्न शहरीकरण होता है।

2.   दूसरी अवस्था में, उच्च जन्म-दर और निम्न मृत्यु-दर होती है। इसे जनसंख्या विस्फोट या संक्रमण की अवस्था भी कहते हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि और खाद्य सुरक्षा मृत्यु-दर में कमी करते हैं। लेकिन शिक्षा का अपर्याप्त स्तर प्राप्त न करने के कारण, जन्म-दर बेहद ऊंची होती है। जैसे - भारत, पीरू, केन्या, श्रीलंका, मिस्र आदि।

3.   तीसरी अवस्था में, प्रजनन दर धीरे-धीरे कम होने लगती है और मृत्यु-दर तेजी से गिरने लगती है। हालांकि जनसंख्या धीमी दर से बढ़ती है। यह जनसंख्या वृद्धि में ह्रास की प्रवृत्ति की अवस्था है। विश्व के अधिकतर कम विकसित देश जनांकिकीय संक्रमण की इस विस्फोटक अवस्था से गुजर रहे हैं।

4.   अंतिम अवस्था में, मृत्यु-दर और जन्म-दर दोनों में उत्साहजनक रूप से कमी आती है इसमें जनसंख्या या तो स्थायी हो जाती है या धीमी गति से बढ़ती है। यह जनसंख्या वृद्धि की स्थिर अवस्था है।

इस अवस्था में जनसंख्या उच्च रूप से औद्योगिकीकृत और शहरीकृत हो जाती है। उच्च साक्षरता स्तर होता है।

यह अवस्था एंग्लो-अमेरिका (अमेरिका, कनाडा), पश्चिम यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान इत्यादि में है।

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