अध्याय 5 लोकतांत्रिक अधिकार भूमिका पिछले दो अध्यायों में हमने लोकतांत्रिक सरकार के दो बुनियादी तत्वों की चर्चा की है। अध्याय 3 में हमने देखा कि किस तरह लोकतांत्रिक सरकार का निर्धारित अवधि में लोगों द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से चुना जाना ज़रूरी है। अध्याय 4 में हमने जाना कि लोकतंत्र को कुछ ऐसी संस्थाओं के ऊपर निर्भर होना चाहिए जो निर्धारित कायदे-कानून के मुताबिक काम करती हों। ये तत्व जरूरी हैं पर लोकतंत्र के लिए इन्हीं दो का होना पर्याप्त नहीं है। चुनाव और संस्थाओं के साथ-साथ तीसरा तत्व है-अधिकारों का उपयोग। इसकी मौजूदगी भी सरकार के लोकतांत्रिक चरित्र के लिए ज़रूरी है। बहुत सही ढंग से चुने हुए और स्थापित संस्थाओं के माध्यम से काम करने वाले शासकों को भी यह जरूर जानना चाहिए कि उन्हें कुछ लक्ष्मण रेखाओं का उल्लंघन नहीं करना है। नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकार हो इन लक्ष्मण रेखाओं का निर्माण करते हैं। इस पुस्तक के आखिरी अध्याय में हम इसी पर चर्चा करेंगे। अधिकारों के बिना जीवन कैसा होगा इसकी कल्पना करने के लिए हम वास्तविक जीवन की कुछ घटनाओं से बात शुरू करते हैं। इससे हम इस चर्चा पर प
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