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घटती जन्म दर, एक गंभीर चुनौती (Decreasing birth rate, a serious challenge)

धरती से गायब होने वाला पहला देश बन सकता है दक्षिण कोरिया, 75 साल में खत्म हो जाएगी 70% आबादी दक्षिण कोरिया की घटती आबादी का सबसे मुख्य वजह फर्टिलिटी रेट का कम होना है। South Korea can become the first country to disappear from the earth, 70% of the population will be wiped out in 75 years. The main reason for the decreasing population of South Korea is the low fertility rate.

South Korea

इस देश का फर्टिलिटी रेट पहले से ही दुनिया में सबसे कम है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय जन्म दर 2023 में प्रति महिला 0.72 बच्चों के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। The country's fertility rate is already one of the lowest in the world. South Korea's national birth rate is set to hit a record low of 0.72 children per woman in 2023.

दक्षिण कोरिया वैसे तो अपने इकोनॉमिक ग्रोथ और मॉर्डनाइजेशन के लिए दुनिया में काफी चर्चा में रहता है। लेकिन, यह देश अपनी घटती आबादी से चिंतित है। Although South Korea is much talked about in the world for its economic growth and modernization, this country is worried about its decreasing population.

देश के इतिहास में पहली बार जनसंख्या में इतनी भारी गिरावट दर्ज हुई है। एक्सपर्ट तेजी से कम हो रही आबादी को खतरे की घंटी बता रहे हैं। For the first time in the history of the country, such a huge decline in population has been recorded. Experts are calling the rapidly decreasing population a danger signal.

एक्सपर्ट का अनुमान है कि अगर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो दक्षिण कोरिया की आबादी इस सदी के आखिर तक दो-तिहाई तक कम हो सकती है। इससे इस देश का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। शायद दक्षिण कोरिया धरती पर गायब होने वाला पहला देश न बन जाए। Experts estimate that if effective steps are not taken, South Korea's population could decrease by two-thirds by the end of this century. This will put the very existence of this country in danger. Perhaps South Korea may not become the first country on earth to disappear.

1960 में दक्षिण कोरिया ने जनसंख्या दर को कम करने के लिए कई तरह की परिवार नियोजन नीतियों को लागू किया था। उस समय दक्षिण कोरिया की प्रति व्यक्ति आय वैश्विक औसत का सिर्फ 20% थी। प्रजनन दर प्रति महिला 6 बच्चे थी। 1982 तक आर्थिक विकास के साथ दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर गिरकर 2.4 हो गई थी। अगले कुछ दशकों तक प्रजनन दर में तेजी से गिरावट जारी रही। In the 1960s, South Korea implemented a variety of family planning policies to reduce population growth. At that time, South Korea's per capita income was just 20% of the global average. The fertility rate was 6 children per woman. By 1982, with economic growth, South Korea's fertility rate had fallen to 2.4. The fertility rate continued to decline rapidly for the next few decades.

A. आखिर तेजी से क्यों घट रही है दक्षिण कोरिया की आबादी? इस देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर क्या हैं नियम? आबादी घटने से देश के सामने आएंगी कौन-कौन सी चुनौतियां:-

A. Why is South Korea's population decreasing rapidly? What are the rules regarding population control in this country? What challenges will the country face due to the decrease in population:-

दक्षिण कोरिया की घटती आबादी का सबसे मुख्य वजह फर्टिलिटी रेट का कम होना है। इस देश का फर्टिलिटी रेट पहले से ही दुनिया में सबसे कम है।

मौजूदा समय में दक्षिण कोरिया की आबादी करीब 51 मिलियन है। अनुमान है कि यह संख्या 2067 तक घटकर करीब 25-30 मिलियन रह जाएगी। 2022 की तुलना में 2023 में देश में फर्टिलिटी रेट 8% घटा है।

दक्षिण कोरिया की बुजुर्ग आबादी का हिस्सा दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रहा है। 2019 में यहां बुजुर्ग आबादी 14.9% थी। इसके 2067 में 46.5% होने का अनुमान है।

The main reason for South Korea's declining population is the low fertility rate. The fertility rate of this country is already the lowest in the world.

Currently, the population of South Korea is around 51 million. It is estimated that this number will decrease to around 25-30 million by 2067. The fertility rate in the country has decreased by 8% in 2023 compared to 2022.

The share of elderly population in South Korea is growing at the fastest pace in the world. In 2019, the elderly population here was 14.9%. It is estimated to be 46.5% in 2067.

कितनी है राष्ट्रीय जन्म दर?

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय जन्म दर 2023 में प्रति महिला 0.72 बच्चों के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। इस साल के आखिर तक इसके और गिरकर 0.6 होने की उम्मीद है।

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 60 के दशक में दुनियाभर में औसत फर्टिलिटी रेट 5 से ज्यादा था। अभी दुनिया में औसत फर्टिलिटी रेट 2.3 है। दुनिया के कई देश तो ऐसे हैं, जहां फर्टिलिटी रेट 1 से भी कम है।

What is the national birth rate?

South Korea's national birth rate has reached a record low of 0.72 children per woman in 2023. It is expected to fall further to 0.6 by the end of this year.

According to the World Bank, the average fertility rate worldwide was more than 5 in the 60s. Currently the average fertility rate in the world is 2.3. There are many countries in the world where the fertility rate is less than 1.

क्यों खत्म होने की कगार पर दक्षिण कोरिया? दक्षिण कोरिया में जनसंख्या संकट के पीछे कई कारण हैं:- Why is South Korea on the verge of extinction? There are many reasons behind the population crisis in South Korea:-

1.   कॉस्ट ऑफ लिविंग का लगातार बढ़ना:-

जनसंख्या में लगातार गिरावट के पीछे सबसे बड़ी वजह कॉस्ट ऑफ लिविंग का लगातार बढ़ना है। रोजमर्रा के बढ़ते खर्चों को देखते हुए कपल बच्चे पैदा नहीं करना चाहते, क्योंकि कपल हाई कॉस्ट ऑफ लिविंग को गिरते क्वालिटी ऑफ लाइफ से जोड़कर देखते हैं।

1. Continuous increase in cost of living:-

The biggest reason behind the continuous decline in population is the continuous increase in cost of living. Looking at the increasing expenses of daily living, couples do not want to have children, because couples associate high cost of living with falling quality of life.

2.   कम फर्टिलिटी रेट:-

दक्षिण कोरिया में प्रजनन दर बहुत कम है, जो दुनिया में सबसे कम है। शहरी महिलाएं बच्चे पैदा करके परिवार शुरू करने के मुकाबले अपने करियर को प्राथमिकता देने लगी हैं। वास्तव में डबल इनकम फैमिली और रोजगार-शिक्षा तक पहुंच ने महिलाओं की सोच बदली है। महिलाएँ घर के कामों में पुरुषों की बराबर भागीदारी चाहती हैं।

2. Low Fertility Rate:-

South Korea has a very low fertility rate, one of the lowest in the world. Urban women have started prioritizing their careers over having children and starting a family. In fact, double income families and access to employment and education have changed women's thinking. Women want equal participation of men in household chores.

3.   बढ़ती उम्र:-

दक्षिण कोरिया की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है, जो जनसंख्या संकट को और भी गंभीर बना रही है। पिछले साल दक्षिण कोरिया में करीब 307,764 लोगों की मौत हुई है। साल 2019 में दक्षिण कोरिया में जन्मदर मात्र 0.92 रह गई। साल 2020 में यहां सिर्फ 275,800 बच्चों का जन्म हुआ।

3. Increasing age:-

South Korea's population is aging rapidly, which is making the population crisis even more serious. Last year, about 307,764 people died in South Korea. In the year 2019, the birth rate in South Korea was only 0.92. In the year 2020, only 275,800 children were born here.

4.   लिंग संबंधी भूमिकाएं बदलना:-

2024 के एक सर्वे में पाया गया कि 93% महिलाएं जो शादी नहीं करना चाहतीं, उन्होंने बच्चे पालने और घर के कामों को बोझ माना है।

4. Changing gender roles:-

A 2024 survey found that 93% of women who did not want to get married considered child-rearing and household chores a burden.

5.   शादी के प्रति रुझान का कम होना:-

एक तिहाई महिलाओं ने शादी के प्रति अरुचि जाहिर की है, जो जन्म दर में गिरावट का एक महत्वपूर्ण कारक है। ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुषों को पार्टनर ढूंढने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, वहां शादियां नहीं हो पा रही हैं। यहां के पुरुष वियतनाम जैसे देशों की महिलाओं से शादी कर रहे हैं।

5. Decrease in the inclination towards marriage:-

One third of women have expressed disinterest in marriage, which is an important factor in the decline in the birth rate. In rural areas, men face difficulties in finding partners, marriages are not taking place there. Men here are marrying women from countries like Vietnam.

B. जनसंख्या संकट को कम करने के लिए सरकार उठा रही कौन से कदम? What steps is the government taking to reduce the population crisis?

दक्षिण कोरियाई सरकार ने गिरती जन्म दर से निपटने के लिए कई उपाय लागू किए हैं। इसमे शामिल है:-

(i)                         फाइनेंशियल इंसेंटिव:- बच्चों की देखभाल के लिए टैक्स में छूट और सब्सिडी दी जा रही है।

(ii)                      वर्कप्लेस रिफॉर्म:- विशेष रूप से कामकाजी महिलाओं के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस को प्रोत्साहित करने वाली नीतियां लाई गई हैं।

(iii)                   मिलिट्री सर्विस में छूट:- दक्षिण कोरिया में 30 साल की उम्र तक तीन या अधिक बच्चा करने वाले पुरुषों को सैन्य सेवा से छूट दिया जाता है।

(iv)                    नीतियों में बदलाव पर जोर:- देश के गृह मंत्रालय ने अपनी नीतियों में इसके मद्देनजर मूलभूत बदलाव' की बात कही है। सरकार ने कम जन्म दर की समस्या से निपटने के लिए कई नीतियों की शुरुआत की है। इसमें परिवारों को कैश रिवॉर्ड देना भी शामिल है।

(v)                       हर जन्म लेने वाले बच्चे पर 10 लाख वॉन का ईनाम:- दक्षिण कोरिया की सरकार ने 2022 से हर जन्म लेने वाले बच्चे पर 10 लाख वॉन (दक्षिण कोरियाई मुद्रा) (675 यूरो यानी 67 हजार भारतीय रुपया) की राशि मां को देने की नीति लागू की है। इसके अलावा एक साल की उम्र तक तीन लाख वॉन प्रति महीने दिए जाएंगे। साल 2025 से यह रकम बढ़ाकर 5 लाख वॉन कर दी जाएगी।

(vi)                    फैमिली एक्सपैंशन के लिए रखा भारी बजट:- दक्षिण कोरियाई सरकार माता-पिता को हर बच्चे के जन्म के लिए 100 मिलियन वॉन कैश देने का प्लान कर रही है। सरकार अपने बजट का आधा हिस्सा इस योजना पर खर्च करने की प्लानिंग कर रही है। सरकार को उम्मीद है कि इस तरह की योजना से देश की घटती जनसंख्या दर में उछाल आ सकता है। सरकार का एंटी करप्शन और सिविल राइट्स कमीशन योजना को लागू करने से पहले जनता की राय के लिए सर्वे करा रहा है।

(vii)                 पैटरनिटी लीव पैटर्न में भी आएगा बदलाव:- दक्षिण कोरिया सरकार पैटरनिटी लीव लेने की दर में एक बड़ा बदलाव लेकर आ रही है। इसमें 70% पिता अपने बच्‍चों की देखभाल के लिए लीव ले सकते हैं। ये कदम जनसंख्या संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए उठाए जा रहे हैं। 2022 में सिर्फ 6.8% पिता ही लीव पर गए थे। वर्तमान में माता और पिता दोनों एक साल तक छुट्टी ले सकते हैं, जिसे 3 स्लॉट में बांटा जा सकता है। फरवरी से शुरू होने वाले माता-पिता की कुल छुट्टी अवधि को 18 महीने तक बढ़ाया जा सकता है, इसे चार अवधियों में विभाजित किया जा सकता है।

(viii)              काम से छुट्टी लेने वाले माता-पिता को मिलेगा मुआवजा:- काम से छुट्टी लेने वाले माता-पिता के लिए मुआवजे की सीमा को उनकी छुट्टी के पहले 3 महीनों के लिए वर्तमान 1.5 मिलियन वॉन से बढ़ाकर 2.5 मिलियन वॉन प्रति माह कर दिया जाएगा। मासिक मुआवजा धीरे-धीरे अगले तीन महीनों के लिए 2 मिलियन वॉन और अगले 6 महीनों के लिए 1.6 मिलियन वॉन तक कम हो जाएगा।

(ix)                   2030 तक प्रजनन दर को तेजी से बढ़ाने का लक्ष्य:- सरकार की योजना 2030 तक प्रजनन दर को तेजी से बढ़ाने की है। सरकार ने 2027 में 210,000 लोगों के लिए प्रजनन परीक्षण का समर्थन करने की भी योजना बनाई है, जो 2022 में 80,000 थी।

The South Korean government has implemented several measures to deal with the falling birth rate. These include:-

(i) Financial incentives:- Tax exemptions and subsidies are being given for child care.

(ii) Workplace reform:- Policies have been introduced to encourage work-life balance, especially for working women.

(iii) Exemption from military service:- In South Korea, men who have three or more children by the age of 30 are exempted from military service.

(iv) Emphasis on change in policies:- The country's Home Ministry has talked about 'fundamental changes' in its policies in view of this. The government has initiated several policies to deal with the problem of low birth rate. This also includes giving cash rewards to families. (v) Reward of 10 lakh won for every child born:- The South Korean government has implemented a policy of giving an amount of 10 lakh won (South Korean currency) (675 euros i.e. 67 thousand Indian rupees) to the mother for every child born from 2022. Apart from this, three lakh won will be given per month till the age of one year. From the year 2025, this amount will be increased to 5 lakh won.

 

(vi) Huge budget kept for family expansion:- The South Korean government is planning to give 100 million won cash to the parents for the birth of every child. The government is planning to spend half of its budget on this scheme. The government hopes that such a scheme can boost the declining population rate of the country. The government's Anti Corruption and Civil Rights Commission is conducting a survey for public opinion before implementing the scheme.

 

(vii) Paternity leave pattern will also change:- The South Korean government is bringing a major change in the rate of taking paternity leave. In this, 70% of fathers can take leave to take care of their children. These steps are being taken to deal with population challenges. In 2022, only 6.8% of fathers went on leave. Currently, both mothers and fathers can take leave for up to a year, which can be divided into 3 slots. Starting from February, the total parental leave period can be extended to 18 months, divided into four periods.

 

(viii) Parents taking leave from work will get compensation:- The compensation limit for parents taking leave from work will be increased from the current 1.5 million won to 2.5 million won per month for the first 3 months of their leave. The monthly compensation will gradually decrease to 2 million won for the next three months and 1.6 million won for the next 6 months.

 

(ix) Aim to rapidly increase fertility rate by 2030:- The government plans to rapidly increase the fertility rate by 2030. The government also plans to support fertility testing for 210,000 people in 2027, up from 80,000 in 2022.

सिंगापुर में भी प्रजनन दर में कमी के कारण कामकाजी आबादी में गिरावट देखी जा रही है। 

Singapore's Population in 2023 Vs 2030 (Estimated)

यहां की प्रजनन दर महज 0.97 है, जो चिंता का विषय है। कम होती प्रजनन दर के कारण सिंगापुर की सामाजिक और आर्थिक स्थिरता पर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञ इस स्थिति को संभालने के लिए नीतियों में बदलाव की सलाह दे रहे हैं ताकि भविष्य में कामकाजी आबादी को बनाए रखा जा सके।

Singapore fertility rate

Singapore is also witnessing a decline in the working population due to the decrease in the fertility rate. The fertility rate here is only 0.97, which is a matter of concern. The declining fertility rate may affect the social and economic stability of Singapore. Experts are advising changes in policies to handle this situation so that the working population can be maintained in the future.

Singapore

घटती आबादी के बाद चीन अपनी नीतियां बदलने को हुआ था मजबूर

कई सालों से चीन भी घटती आबादी की समस्या से जूझ रहा था। वहां 1980 से कई साल तक वन चाइल्ड पॉलिसी (इस नीति को 1979 में शुरू किया गया था और 2016 में इसे खत्म कर दिया गया) लागू रही। इससे जनसंख्या पर कंट्रोल तो हो गया, लेकिन युवा आबादी घटने लगी और बुजुर्गों की आबादी बढ़ने लगी थी। इससे निपटने के लिए सरकार टू चाइल्ड पॉलिसी (China's "two-child policy" refers to a law implemented in late 2015, which allows all couples in mainland China to have a maximum of two children, effectively ending the previously enforced "one-child policy" that restricted families to only one child; this policy change took full effect in 2016, with the goal of addressing the country's rapidly aging population by encouraging more births.) लेकर आई। उसका भी कुछ खास फर्क नहीं दिखा। अब दो साल पहले यानी 2022 में चीन सरकार थ्री चाइल्ड पॉलिसी (China's "three-child policy" is a law that allows married couples to have up to three children, introduced in May 2021 by the Chinese Communist Party Politburo as a measure to combat a declining birth rate and aging population; this policy essentially amends the existing Population and Family Planning Law to permit a third child per couple.) लाई गई है। सरकार बच्चे पैदा करने के लिए एक्स्ट्रा छुट्टियां और इंसेटिव भी दे रही है। फिर भी जन्म दर पर गिरावट जारी है। लोगों को लगने लगा है कि उनके लिए ज्यादा बच्चे पालना न तो आर्थिक तौर पर आसान है और नहीं शारीरिक-मानसिक तौर पर मुमकिन है।

China

भारत में RSS प्रमुख ने भी की 3 बच्चों की वकालत In India, the RSS chief also advocated for 3 children

बीते दिनों 1 दिसंबर 2024 को नागपुर में आयोजित कठाले कुल सम्मेलन' में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने ज्यादा बच्चे पैदा करने की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि समाज नष्ट न हो, इसलिए सभी को कम से कम 3 बच्चे पैदा करने चाहिए।

Recently, in the 'Kathale Kul Sammelan' organized in Nagpur on 1 December 2024, Rashtriya Swayamsevak Sangh chief Dr. Mohan Bhagwat advocated having more children. He said that everyone should have at least 3 children so that the society does not get destroyed.

Rashtriya Swayamsevak Sangh chief Dr. Mohan Bhagwat

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, "देश की जनसंख्या नीति 1998-2002 में तय की गई थी। इसके मुताबिक जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए। अगर ऐसा होता है, तो समाज अपने आप नष्ट हो जाएगा। अब कोई इंसान 0.1 पैदा तो नहीं होता। इसलिए यह कम से कम 3 होना चाहिए।"

Rashtriya Swayamsevak Sangh chief Mohan Bhagwat said, "The country's population policy was decided in 1998-2002. According to this, the population growth rate should not be below 2.1. If this happens, the society will automatically get destroyed. Now no person is born at 0.1. So it should be at least 3."

बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की डेटा के मुताबिक, भारत की मौजूदा प्रजनन दर 2 के आसपास है। (According to the 2011 census, India's total fertility rate (TFR) was between 2.1 and 2.9. TFR is a demographic indicator that estimates the average number of children a woman will have during her reproductive years. TFR varies across India, with some states having higher rates than others:

High TFR states

Uttar Pradesh (3.0), Bihar (3.2), Madhya Pradesh (2.7), Rajasthan (2.6), Assam (2.3), Chhattisgarh (2.4), and Jharkhand (2.5)

Low TFR states

Kerala (1.7), Tamil Nadu (1.6), Karnataka (1.7), Maharashtra (1.7), Andhra Pradesh (1.6), and Telangana (1.7))

2062 में भारत की आबादी 170 करोड़ तक पहुंच जाएगी। 2062 में जनवरी से जुलाई के बीच जनसंख्या में गिरावट शुरू हो जाएगी। India's population will reach 170 crores in 2062. The population will begin to decline between January and July in 2062.

Primary Source:- https://ndtv.in/world-news/south-korea-demographics-crisis-low-fertility-rate-a-national-security-issue-7165555

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