उपसौर और अपसौर - पृथ्वी की परिक्रमा
की दिशा पश्चिम से पूर्व है, जिस कक्षा में
सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करती है, वह दीर्घवृत्तीय है। अतः 3
जनवरी को सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी न्यूनतम (14 करोड़ 70 लाख किलोमीटर) हो जाती है, जिसे उपसौर (Perihelion)
कहते हैं। इसके विपरीत 4 जुलाई को पृथ्वी की
सूर्य से अधिकतम दूरी (15 करोड़ 20 लाख
किलोमीटर) होती है, जिसे अपसौर (Aphelion)
कहते हैं।
एपसाइड रेखा - अपसौरिक
एवं उपसौरिक को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा जो सूर्य के केंद्र से होकर गुजरती है,
उसे एपसाइड रेखा कहते हैं।
प्रकाश चक्र (CIRCLE OF ILLUMINATION) - वैसी काल्पनिक रेखा जो पृथ्वी को
प्रकाशित और अप्रकाशित भागों में बाँटती है, प्रकाश
चक्र कहलाती है।
विषुव (EQUINOX) - जब सूर्य विषुवत् रेखा पर लम्बवत चमकता है तो दोनों गोलार्धों पर
दिन और रात बराबर होता है, जिसे विषुव कहा जाता है। 21 मार्च (वसंत ऋतु) और 23 सितम्बर (शरद ऋतु) को दिन और
रात बराबर अवधि के होते हैं।
नक्षत्र दिवस (SIDEREAL TIME) - पृथ्वी के 360 डिग्री घूर्णन में लगा समय, जब एक विशेष तारे के समय में पृथ्वी पुनः अपनी स्थिति में वापस आ जाती है,
नक्षत्र दिवस कहलाती है।
सौर दिवस (SOLAR DAY) - जब सूर्य को गतिशील मानकर पृथ्वी द्वारा उसके परिक्रमण की गणना
दिवसों के रूप में की जाती हैं, तब सौर दिवस
ज्ञात होता है। इसकी अवधि पूर्णतः 24 घंटे होती है।
लीप वर्ष (LEAP YEAR) - प्रत्येक सौर वर्ष कैलंडर वर्ष से लगभग 6
घंटे बढ़ जाता है, इसे हर चौथे वर्ष में लीप
वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है। लीपवर्ष 366 दिन का होता
है, जिसमें फरवरी माह में 28 के स्थान
पर 29 दिन होते हैं।
अक्षांश - विषुवत्
रेखा के उत्तर या दक्षिण किसी भी स्थान की विषुवत रेखा से कोणीय दूरी को उस स्थान का
अक्षांश कहते हैं तथा समान अक्षांशों को मिलने वाली काल्पनिक रेखा को अक्षांश
रेखा कहते हैं। अक्षांश रेखाएँ, विषुवत रेखा (0° अक्षांश रेखा) के समानांतर होती हैं, जो 0° से 90°
उत्तर और 90° दक्षिण तक होती है। 1° अक्षांश के बीच की दूरी लगभग 111 कि।मी। होती है। पृथ्वी
के गोलाभ आकृति के कारण यह दूरी विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर अधिक होती जाती है। पृथ्वी
के सतह पर किसी भी बिंदु की स्थिति अक्षांश रेखाओं द्वारा निर्धारित की जाती है।
23½° उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा और 23½° दक्षिण अक्षांश को मकर रेखा कहते हैं। 66½° उत्तरी
अक्षांश को आर्कटिक वृत (Arctic circle) और 66½° दक्षिणी अक्षांश को अंटार्कटिक वृत (Antarctic circle) कहते हैं।
कर्क संक्रांति एवं मकर संक्रांति
- सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन की सीमा (23½° N और 23½° S) को संक्रांति कहा जाता है। 21 जून को सूर्य
कर्क रेखा (23½° N) पर लम्बवत (90°) चमकता है, इसे कर्क संक्रांति कहते हैं। इसी
दिन (21 जून) उत्तरी गोलार्ध पर सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होती है। इसी
प्रकार जब सूर्य 22 दिसंबर को सूर्य मकर रेखा (23½° S) पर लम्बवत (90°) चमकता है,
इसे मकर संक्रांति कहते हैं।
देशांतर (LONGITUDE) - ग्लोब पर किसी भी स्थान की प्रधान याम्योत्तर (0°देशांतर या ग्रीनवीच रेखा) से पूर्व या पश्चिम में कोणीय दूरी को उस स्थान
को देशांतर कहा जाता है। समान देशांतर को मिलने वाली काल्पनिक रेखा जो कि
ध्रुवों से होकर गुजरती हैं, देशांतर रेखा कहलाती है। देशांतर रेखाएं प्रधान मध्याहन रेखा से 180° पूर्व तक और 180° पश्चिम तक होती है। इस प्रकार
देशांतर रेखाओं की कुल संख्या 360 होती है। विषुवतीय रेखा पर दो देशांतर रेखाओं के बीच की
दूरी 111।32 कि।मी। होती है, जो ध्रुवों की ओर जाने पर घटती जाती है तथा ध्रुवों पर घटकर शून्य हो जाती
है। समय का निर्धारण देशांतर रेखाओं से ही किया जाता है, GMT से पूर्व की ओर जाने पर समय आगे बढ़ता जाता है, जबकि GMT से पश्चिम की ओर समय पीछे रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी
अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है।
अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा - 180° देशांतर रेखा को अंतर्राष्ट्रीय तिथि
रेखा माना जाता है।
ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) – इंग्लैंड के लंदन के निकट शून्य देशांतर पर स्थित ग्रीनविच नामक
स्थान से गुजरने वाली काल्पनिक रेखा प्राइम मेरिडीयन या शून्य देशांतर के समय को
सभी देश मानक समय मानते हैं। यह ग्रेट ब्रिटेन का मानक समय है,
इसी को ग्रीनविच मीन टाइम (GMT) कहते हैं।