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GEOGRAPHY GLOSSARY Part 4 (भौगोलिक शब्दावली भाग 4)

संघनन (CONDENSATION) - जल के गैसीय अवस्था से तरल या ठोस अवस्था में परिवर्तित होने की प्रक्रिया संघनन कही जाती है। यदि हवा का तापमान ओसांक बिंदु से नीचे पहुँच जाए तो संघनन की प्रक्रिया में वायु के आयतन, तापमान, वायुदाब और आर्द्रता का प्रभाव पड़ता है।

·         यदि संघनन हिमांक (Freezing point) से नीचे होता है तो तुषार, हिम और पक्षाभ मेघ का निर्माण होता है।

·         यदि संघनन हिमांक के ऊपर होता है तो ओस, कुहरा, कुहासा और बादलों का निर्माण होता है।

·         संघनन की क्रिया अधिक ऊँचाई पर होने पर बादलों का निर्माण होता है।

ओस (DEW) - हवा का जलवाष्प जब संघनित होकर छोटी-छोटी बूंदों के रूप में धरातल पर पड़ी वस्तुओं (घास, पत्तियों आदि) पर जमा हो जाता है, तो उसे ओस कहते हैं।

तुषार या पाला (FROST) - जब संघनन की क्रिया हिमांक से नीचे होती है, तो जलवाष्प, जलकणों के बदले हिमकणों में परिवर्तित हो जाता है, इसे तुषार या पाला कहते हैं।

कोहरा – कोहरा एक प्रकार का बादल है। जब जलवाष्प का संघनन धरातल के बिल्कुल करीब होता है तो कोहरे का निर्माण होता है। कोहरे में कुहासे की तुलना में जल के कण अधिक छोटे और सघन होते हैं।

कुहासा (MIST) - कुहासा भी एक प्रकार का कोहरा होता है, जिसमें कोहरे की अपेक्षा दृश्यता दूर तक रहती है। इसमें दृश्यता 1 कि।मी। से अधिक पर 2 कि।मी। तक होती है।

स्माग (SMOG) - बड़े शहरों में फैक्टरियों के निकट जब कोहरे में धुएँ के कण मिल जाते हैं, तो उसे स्माग कहते हैं।

निरपेक्ष आर्द्रता (ABSOLUTE HUMIDITY) - हवा में प्रति इकाई आयतन में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं। इसमें ग्राम प्रति घन मीटर में व्यक्त किया जाता है।

विशिष्ट आर्द्रता (SPECIFIC HUMIDITY)  - आर्द्रता को व्यक्त करने का यह आणविक उपयोगी तरीका है। हवा के प्रति इकाई भार में जलवाष्प के भार को विशिष्ट आर्द्रता कहते हैं। इसे ग्राम प्रति किलोग्राम में व्यक्ति किया जाता है।

सापेक्षिक आर्द्रता (RELATIVE HUMIDITY) - किसी निश्चित तापमान पर वायु में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा और उस वायु के जलवाष्प धारण करने की क्षमता के अनुपात को सापेक्षिक आर्द्रता कहते हैं। इसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है।

आर्द्रता क्षमता (HUMIDITY CAPACITY) - किसी निश्चित तापमान पर हवा के एक निश्चित आयतन में अधिकतम नमी या आर्द्रता धारण करने की क्षमता को उसकी आर्द्रता क्षमता कहते हैं।

संतृप्त वायु (SATURATED AIR) - जब हवा किसी भी तापमान पर अपनी आर्द्रता सामर्थ्य के बराबर आर्द्रता ग्रहण कर लेती है तो उसे संतृप्त वायु (Saturated Air) कहते हैं।

गुप्त उष्मा (LATENT HEAT) - जल को वाष्प या गैस में परिवर्तित करने के लिए उष्मा के रूप में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। एक ग्राम बर्फ को जल में परिवर्तित करने के लिए 79 कैलोरी तथा एक ग्राम जल को वाष्पीकरण द्वारा वाष्प में परिवर्तित करने के लिए 607 कैलोरी की आवश्यकता होती है। वाष्प में उष्मा की यह छिपी हुई मात्रा गुप्त उष्मा कहलाती है।

तड़ित झंझा (THUNDERSTORM)  - तड़ित झंझा, तीव्र स्थानीय तूफ़ान या झंझावत होते हैं जो विशाल और सघन कपासी मेघों से उत्पन्न होते हैं। इसमें नीचे से ऊपर की ओर पवनें चलती हैं। मेघों का गरजना और बरसना इसकी प्रमुख विशेषता है। ये संवहन का एक विशिष्ट रूप होते हैं।

क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) – मानव निर्मित यह एक ऐसी गैस है जिसका प्रयोग  रेफ्रीजरेटर , एसी आदि में किया जाता है। जब इसका सान्द्रण समताप मंडल में बढ़ता है तब यह मुक्त क्लोरीन का उत्सर्जन करता है, जिसके कारण ओजोन परत को काफी नुकसान पहुँचता है।

ओजोन (O3) समताप मंडल में ओजोन 20-50 किमी। के बीच एक परत बनाकर पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी की रक्षा करती है।

मीथेन (CH4) – इस गैस का अधिकांश भाग जैविक स्त्रोतों से उत्पन्न होता है। चावल की खेती, कम्पोस्ट खाद के निर्माण से मीथेन गैस बनती है जो कि ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए उत्तरदायी प्रमुख गैस है।

गोखुर झील (Oxbow lack) – नदी की व्रद्धावस्था में जो कि नदी के विसर्प ग्रीवा के कट जाने से बनती है। ये झीले प्रायः- समतल भूमि तथा बाढ़ के मैदान की विशेषताएँ होती है।

ग्रीन हाउस गैस – वायुमंडल में गैसे का ऐसा समूह जो कि सूर्य की लौटती किरणों का अवशोषण अत्याधिक मात्रा में करके पृथ्वी को तेजी से गर्म करती है। IPCC तथा UNEP तहत मुख्यतः 6 गैसे उत्तरदायी है।

सतत् पोषणीय विकास – विकास की एक ऐसी प्रक्रिया, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग इस प्रकार से किया जाये कि वे वर्तमान अवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम बने रहें।

हिमपात – जब आकाश में वायु का तापमान त्वरित गति से गिरकर हिमांक अर्थात 0°C से भी नीचे पहुँच जाता है तो वाष्प सीधे हिमकणों में बदल जाती है तथा इसके नीचे गिरने की प्रक्रिया ही हिमपात कहलाती है।

व्यापारिक पवन – एक स्थायी पवन जो उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायु दाब पेटी से भूमध्य रेखीय निम्न वायु दाब पेटी की ओर प्रवाहित होती है। इसकी दिशा उत्तरी गोलार्ध में उत्तर पूर्वी तथा दक्षिणी गोलार्ध में द।पू। रूप होती है।

पूर्ववर्ती नदी ऐसी नदी जो वर्तमान उच्चावचीय स्वरूप के विकास के पूर्व भी विद्यमान थी और अभी भी अपने यथावत मार्ग पर ही प्रवाहित हो रही है। उदाहरण स्वरूप- सिन्धु, सतलुज, ब्रह्मपुत्र, आदि हिमालय की पूर्ववर्ती नदियाँ हैं।

दैनिक तापान्तर – किसी भी स्थान के किसी दिन के न्यूनतम एवं अधिकतम तापमान के अंतर को दैनिक तापान्तर कहते है।

चक्रवात (Cyclone) – चक्रवात अत्याधिक निम्न वायु दाब के केन्द्र होते है जिसमें हवाएँ केन्द्र की ओर गति करती है। इनकी दिशा उत्तरी गोलार्ध में घड़ी की दिशा के विपरीत तथा दक्षिणी गोलार्ध में घड़ी की दिशा की ओर होती है।।

अंत-प्रवाह प्रदेश अंत-प्रवाह प्रदेश से तात्पर्य उन क्षेत्रों से है जिन क्षेत्रों की नदियों का जल किसी खुले समुद्र आदि में न गिरकर विशाल जलाशयों में गिरता है। यूराल, नीपर, नीस्टर, डेन्यूब नदियाँ इसके प्रमुख उदाहरण है।

उष्मा द्वीप (Heat Island) – किसी नगर के उपरी भाग का तापमान जो अपने आसपास के अन्य क्षेत्रो से अधिक रहता है उष्मा द्वीप कहलाता है। सामान्य वितरण में यह एक विलग क्षेत्रों के रूप में परिलक्षित होता है।

गोडवानालैण्ड पृथ्वी का समस्त स्थलीय भाग कार्बोनीपफेरस युग में एक पिण्ड के रूप में था। सम्पूर्ण भाग पेंजिया कहा गया है। पेंजिया के टूटने के क्रम में उत्तरी भाग को लारेशिंया जबकि दक्षिणी भाग को गोड़वानालैण्ड कहा गया है।

गहन कृषि – यह एक ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें उत्तम बीज, उर्वरक, कृषि उपकरणों के द्वारा एक ही भूमि पर एक वर्ष में कई फसलों को तैयार किया जाता है। भारत, श्रीलंका, चीन, जापान आदि देशों में गहन खेती कर प्रचलन है।

ग्रीनविच रेखा – शून्य अंश देशान्तर रेखा जो ग्रेट ब्रिटेन के ग्रीनविच नामक स्थान पर स्थित रायल वेधशाला से होकर गुजरती है, ग्रीनविच रेखा कहलाती है। अन्य देशान्तर रेखाओं का निर्धारण इसी रेखा से होता है।

चन्द्रग्रहण (Lunar Eclipse) – जब पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा के मध्य होती है तथा ये तीनों एक सीधी रेखा में होते है तो ऐसी स्थिति में पृथ्वी की छाया चन्द्रमा पर पड़ती है जिससे चन्द्रग्रहण की स्थिति होती है। यह स्थित पूर्णिमा को ही आती है।

दोआब – दो नदियों के मध्य स्थित जलोढ़ मैदान को दोआब कहते है। यह शब्द विशेषकर दो नदियों के संगम क्षेत्र की भूमि के लिए प्रयुक्त होता है। रचना, बारी, बिस्ट आदि प्रमुख दोआब क्षेत्र है।

ध्रुवतारा (Pole Star) – ब्रह्मांड में स्थित एक ऐसा तारा जो सदैव उत्तर की ओर इंगित करता है। उत्तरी गोलार्द्ध से यह प्रत्येक स्थान से उत्तर दिशा में दिखाई देता है। यह वास्तविक उत्तर को इंगित करता है।

नियतवाही पवनें – नियतवाही पवनों से तात्पर्य है कि ऐसी पवन जो निरन्तर एक ही दिशा में चलें। विषुवतरेखीय पवनें, व्यापारिक पवने तथा धुर्वीय पवनें नियतवाही पवनों के उदाहरण हैं।

जेट स्ट्रीम – वायुमंडल में क्षोभ सीमा के आस-पास प्रवाहित होने वाली तीव्र पश्चिमी पवनों को जेट स्ट्रीम कहते है। यह 150 से 500 किमी की चैड़ाई तथा कुछ किमी की मोटाई में 50-60 नॉट  के वेग से चलती है।

भ्रंश दरार घाटी (Rift Valley) – भूतल पर हुये दरारों के कारण दो भ्रंशों के मध्य का भाग धँस जाता है, इन्हें दरार घाटी कहा जाता है। जार्डन नदी घाटी, नर्मदा, ताप्ती नदी घाटियाँ दरार घाटी की उदाहरण है।

निहारिका (Nebula) ब्रह्मांड में धूल , गैस तथा घने तारों के समूह को निहारिका कहते है। हमारी आकाशगंगा में अनेक निहारिकायें है। ये अत्याधिक तापमान लगभग 6000°C से अधिक की होती है।

वर्टीसॉल इस श्रेणी की मृदा वर्षा होने पर फैलती है एवं सूख जाने पर इसमें दरारे पड़ जाती है। इसमें क्ले की बहुलता होती है। उदाहरण:- काली मिट्टी।

खादर प्रदेश – यह नवीन जलोढ़ से निर्मित अपेक्षाकृत नीचा प्रदेश है। यहाँ नदियों के बाढ़ का पानी लगभग प्रतिवर्ष पहुँचता रहता है। यह उपजाऊ प्रदेश होता है।

मोनोजाइट बालू – भारत में मोनोजाइट का विश्व में सबसे बड़ा संचित भंडार है। यह केरल के तट पर पाया जाता है। मोनाजाइट से थोरियम प्राप्त किया जाता है।

टोडा – तमिलनाडू में नीलगिरी की पहाड़ियों पर टोडा जनजाति पायी जाती है। यह जनजाति प्रमुख रूप से पशु चारण का कार्य करती है।

कांजीरंगा – यह असम में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है। यह उद्यान एक सींग वाले गैंडे एवं हाथियों के लिए प्रसिद्ध है।

नार्वेस्टर गर्मियों में अप्रैल-मई महीने में शुष्क एवं उष्ण स्थानीय पवनों के आर्द्र समुद्री पवनों के मिलने से प्रचंड स्थानीय तूफान जिनसे वर्षा तथा ओले पड़ते है। इन्हें पश्चिम बंगाल में नार्वेस्टर या काल वैशाखी कहते है।

अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा (International date line) ग्लोब पर 180 देशान्तर के लगभग साथ-साथ काल्पनिक रूप से निर्धरित की गयी एक रेखा जो प्रशान्त महासागर के जलीय भाग से गुजरती है। इस तिथि रेखा के दोनों तरफ 24 घण्टे का अंतर होता है।

अश्व अंक्षाश  30 से 35 अंक्षाश वाली उच्च वायुमण्डलीय दबाव की शांत पेटी जो कि सूर्य के साथ खिसकती रहती है, अश्व अंक्षाश कहलाती है। इस भाग में प्रतिचक्रवातीय हवाएँ चलती है।

क्षुद्र ग्रह मंगल तथा वृहस्पति ग्रहों के मध्य पाये जाने वाले असंख्य छोटे-छोटे तारासमूहों को क्षुद्र ग्रह कहते है। ये ग्रहअन्य ग्रहों की तरह ही सूर्य की परिक्रमा करते है।

अल नीनो (El Nino) – अल नीनो पूर्वी प्रशांत महासागर में पेरू के तट से उत्तर से दक्षिण की दिशा में प्रवाहित होने वाली गर्म समुद्री धरा है जो हम्बोल्ट धरा को प्रतिस्थापित करके 30 से 36 दक्षिण अंक्षाश के मध्य बहती है। अल नीनो के कारण सागर में स्थित मछलियों के आधरभूत आहार प्लैंकटन की कमी के कारण मछलियाँ मरने लगती है। ये धारा मानसून को भी प्रभावित करती है।

अवरोही पवन – ऐसी पवनें जो रात्रि में ठण्डी होकर पर्वतीय ढालों के नीचे घाटी की ओर प्रवाहित होती है अवरोही पवन कहलाती है। इसे पर्वतीय पवन भी कहते है।

आग्नेय शैल (Igneous rock) – आग्नेय शैलों का निर्माण तरल मैग्मा के शीतल तथा ठोस होने से होता है। ये शैल कठोर तथा अप्रवेश्य होते हैं तथा इनमें जीवाश्म का भी अभाव रहता है।

उल्का (Meteor) – वे खगोलीय पिण्ड जो पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करते ही जलने लगते है उल्का कहलाते
हैं। ये प्रायः वायुमण्डल में ही जलकर नष्ट हो जाते है, परन्तु कभी-कभी बड़ा आकार होने के कारण ये पृथ्वी पर आ गिरते है।

भुज – गुजरात में कच्छ जिले का मुख्यालय है। इस क्षेत्र में प्रायः- भूकंप आते रहते है।

भाखड़ा नांगल परियोजना सतलुज नदी पर निर्मित एक बहुउद्देशीय परियोजना है। इसके जलाशय का नाम गोविन्दसागर है। इस परियोजना से हिमाचल प्रदेश पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान को बिजली प्राप्त होती है।

केप कैमोरिन तमिलनाडू का दक्षिणी छोर जहाँ अरब सागर, हिन्द महासागर तथा बंगाल की खाड़ी का जल मिलता है।

वुलर झील यह कश्मीर की घाटी में श्री नगर के पूर्वी भाग पर अवस्थित, झेलम नदी द्वारा निर्मित गोखुर झील है। इसके चारों ओर श्रीनगर का विस्तार हो गया है।

तराई प्रदेश इसका विस्तार भाबर प्रदेश के दक्षिण में है जहाँ महीन कंकड़, पत्थर, रेत, चिकनी मिट्टी का निक्षेप मिलता है। तराई प्रदेश में भाबर प्रदेश की लुप्त नदियाँ पुनः- सतह पर प्रकट हो जाती है।

कार्डमम पहाड़ियाँ – केरल तथा तमिलनाडु की सीमा पर अवस्थित यह पहाड़ियाँ इलायची के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।

चिल्का झील चिल्का भारत की सबसे बड़ी लैगून खारे पानी की झील है। उड़ीसा के तट पर स्थित यह झील वर्तमान में अत्यंत प्रदूषित हो चुकी है।

डाचीगाम नेशनल पार्क – श्रीनगर के निकट डाचीगाम नेशनल पार्क अवस्थित है। यह नेशनल पार्क कस्तूरी मृग एवं तेंदुआ के लिए प्रसिद्ध है।

संवहनीय वर्षा – स्थानीय तापमान व्रद्धि के कारण संवहनीय वर्षा होती है। वायु गर्म होकर उफपर उठती है और ठंडी होकर स्थानीय रूप से वर्षा करती है।

काली मृदा  इसे रेगुर या रेगड़एवं कपास मृदाके नाम से भी जाना जाता है। इस मृदा का निर्माण लावा पदार्थ के विखंडन से हुआ है। यह मिट्टी गीली होने पर कापफी चिपचिपी हो जाती है। सूख जाने पर इसमें दरारें पर जाती हैं

ज्वारीय वनस्पति  इस प्रकार की वनस्पति समुद्री तट एवं निम्न डेल्टाई भागों में पायी जाती है, जहाँ ज्वार के कारण नमकीन जल का फैलाव होता है।

बनिहाल दर्रा पीरपंजाल पर्वत श्रेणी में स्थित यह दर्रा जम्मू को कश्मीर से जोड़ता है।

पीली क्रांति पीली क्रांति के अन्तर्गत तिलहन उत्पादन में आत्म निर्भरता प्राप्त करने की दृष्टि से उत्पादन, प्रसंस्करण और प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम उपयोग करने के उद्देश्य से तिलहन प्रौद्योगिकी मिशन प्रारंभ किया गया।

बांदीपुर नेशनल पार्क – कर्नाटक के मैसूर जिले में अवस्थित नेशनल पार्क है। यहाँ हिरण, मगरमच्छ आदि को संरक्षण प्रदान किया गया है।

बांगर यह पुराने जलोढ़ से निर्मित मैदान है इस भाग में बाढ़ का पानी सामान्यतः नहीं पहुँच पाता है।

बैरन द्वीप – अंडमान के पूर्वी भाग में अवस्थित यह द्वीप एक सक्रिय ज्वालामुखी है।

ऑपरेशन फ़्लड श्वेत क्रांति के अंतर्गत दूध् उत्पादन को बढ़ाने हेतु आॅपरेशन फ्रलड आरंभ किया गया। ऑपरेशन फ़्लड के सूत्राधर वर्गीस कुरियन है।

दुधवा नेशनल पार्क – उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में फैला हुआ राष्ट्रीय उद्यान है। इस उद्यान में चीता, तेंदुआ आदि के साथ ही साथ साल के पुराने वृक्षों को संरक्षित किया गया है।

एर्नाकुलम – केरल का एक जिला है। भारतीय नौसेना का एक मुख्यालय है। इस बंदरगाह नगर में जलपोत निर्माण, रासायनिक खाद्य और सूतीवस्त्रा के कारखाने है।

गिर नेशनल पार्क गुजरात में स्थित गिर नेशनल पार्क एशियाई शेरों के लिए प्रसिद्ध है। वर्तमान में यहाँ शेरों की संख्या में कमी दर्ज की जा रही है।

हल्दिया – हुगली नदी के मुख पर अवस्थित एक बंदरगाह है। यहाँ तेल शोधक कारखाना भी है। इस बंदरगाह के बनने से कोलकाता बंदरगाह के दबाव में कमी आयी है।

हुसैन सागर – हैदराबाद में स्थित मानव निर्मित झील है। यह झील मूसी नदी को एक सहायक नदी पर बनायी गयी है। इससे हैदराबाद को जलापूर्ति की जाती है।

जवाहर लाल नेहरु बंदरगाह – मुम्बई बदरगाह के भार को कम करने के लिए उसके निकट यह बंदरगाह स्थापित किया गया है।

जोग जलप्रपात – यह जलप्रपात कर्नाटक के शिमोगा जिले में शरवती नदी पर स्थित है। यह भारत के उंचे जल प्रपातों में से एक है।

सरिस्का टाइगर रिजर्व – राजस्थान के अलवर नगर के पास अवस्थित इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ को संरक्षण प्रदान किया गया है। बाघ के अतिरिक्त चीतल, चिंकारा एवं सांभर आदि को संरक्षित किया गया है।

साइलेंट वैली – केरल के पालघाट जिले में अवस्थित साइलेंट वैली अपनी जैवविविधता के लिए प्रसिद्ध है। इसमें विषुवतरेखीय एवं मानसूनी वृक्षों को संरक्षण प्रदान किया गया है।

लिपुलेख दर्रा – उत्तराखंड में अवस्थित यह दर्रा भारत को तिब्बत से जोड़ता है। मानसरोवर तथा कैलाश पर्वत को जाने वाले यात्राी इसी दर्रे का प्रयोग करते है।

कोलेरू झील – आंध् प्रदेश में अवस्थित यह भारत की मीठे पानी की बड़ी झीलों में से एक है। इसको वाइल्ड लाइफ सैंचुरी घोषित किया गया है। रामसर कंवेंशन के अंतर्गत इसे वेटलेंड भी घोषित किया गया है।

गंगासागर द्वीप –  सुन्दर वन डेल्टा के सामने बंगाल की खाड़ी में अवस्थित द्वीप है। यह रायल बंगाल टाइगर का क्षेत्रा है। मकरसंक्रान्ति के समय इस द्वीप पर एक बड़ा मेला लगता है।

साभंर झील – भारत में लवणीय जल की सबसे बड़ी झील जो जयपुर नगर से 60 किमी। की दूरी पर अवस्थित है। इस झील से भारी मात्रा में नमक प्राप्त किया जाता है।

श्री हरिकोटा – आंध् प्रदेश की पुलिकट झील के उत्तरी छोर पर स्थित भारत का एक मुख्य उपग्रह प्रक्षेपण केन्द्र है

सुंदरवन – यह यूनेस्को द्वारा विश्व की घरोहर के रूप में घोषित किया गया। बायोस्पफेयर रिजर्व है। सुंदरवन में मैग्रोव वनस्पतियाँ पायी जाती है।

उकाई परियोजना  यह परियोजना तापी नदी पर स्थापित की गयी है। इस बहुउद्देशीय परियोजना से गुजरात को जलविद्युत की प्राप्ति होती है।

व्हीलर द्वीप – महानदी एवं ब्राह्मणी नदियों के डेल्टा क्षेत्रा में स्थित द्वीप है। इस द्वीप में मैग्रोव वनस्पति पायी जाती है।

बोम्बे हाई – यह तेल क्षेत्र मुम्बई से 175 किमी उत्तर पूर्व में अरब सागर में स्थित है। यह भारत का प्रमुख तेल क्षेत्र है। इस क्षेत्रा के तेल गंधक की मात्रा अत्यंत कम होती है।

कावारत्ती – अरबसागर में अवस्थित लक्षद्वीप की राजधनी है। यह प्रवाल द्वारा निर्मित द्वीप पर स्थित है। यह एक प्रसिद्द पर्यटन स्थल है।

राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 – यह भारत का सर्वाधिक लम्बा राजमार्ग है। यह श्रीनगर से कन्याकुमारी को जोड़ता है।

राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 1 – इलाहाबाद से हल्दिया तक के जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या 1 घोषित किया गया है। इसकी लम्बाई 1620 किमी। है।

बकिंघम नहर – यह नहर कोरोमंडल तट पर मद्रास को कृष्णा डेल्टा से जोड़ती है। इसकी लम्बाई 400 किमी। है

केबुल लामजो नेशनल पार्क – मणिपुर की लोकटक झील के निकट स्थित एक तैरता हुआ राष्ट्रीय उद्यान है। यह प्रसिद्द पर्यटन स्थल है।

अक्टूबर हीट या कवार की उमस – यह अक्टूबर महीने में अचानक उत्पन्न होने वाली असहनीय तापीय घटना है, जो लौटते हुए मानसून के तुरंत बाद उत्पन्न होती है। यह गर्मी के मौसम, जितना गर्म तो नहीं होता लेकिन यह बहुत ही असहनीय मौसम को जन्म दे देती है।

एल्बिडो – सूर्य उफर्जा के विकिरण के पश्चात् उपरी सतह से परावर्तन होने की मात्रा को एल्बिडो कहते हैं। कुछ सतहें सूर्य की उर्जा को परावर्तित करती हैं तथा अन्य उपायों की अपेक्षा वायु को अत्यध्कि गर्म करने में समर्थ होती हैं।

आम्र वृष्टि – असम में मई में नार्वेस्टर के द्वारा होने वाली वर्षाचाय की खेती के लिए लाभदायक होती है इसी कारण यह चाय वृष्टि कहलाती है।

चेरी ब्लॉसम  – कर्नाटक में आर्द्र सागरीय पवनों तथा शुष्क गर्म पवनों के मिलन से अप्रैल- मई माह में कॉफीके रोपण के लिए उपयोगी स्थानीय तूपफानों को चेरी ब्लॉसमकहा जाता है।

ट्रक फार्मिंग – इस प्रकार की कृषि जहाँ फल, सब्जी आदि उगाए जाते हों, जिन्हें जल्दी बाजार तक पहुँचाना जरूरी होता है अन्यथा पदार्थ के खराब होने का भय रहता है।

डीप ओसीन एसेसमेंट एण्ड रिपोर्टिंग सेंटर (DOARS) – यह समुद्र में 6 किमी की गहराई पर स्थापित की जाने वाली प्रणाली है, जिसमें दाबीय सेंसर भी लगे होते हैं, जिससे जल के प्रवाह को मापा जाता है। इससे सेंसर उपग्रह से जुड़े होते हैं, यही पृथ्वी तल पर संदेश पहुँचाते हैं। इसका प्रयोग सुनामी की पूर्व सूचना के लिए किया जाता है

प्लाया मुख्यतः समतल सतह और अप्रवाहित द्रोणी वाली छोटी झीलें होती हैं जिनमें वर्षा जल जल्दी भाप बनकर उड़ जाता है, उन्हें प्लाया कहते हैं। उदाहरणार्थः डीडवाना, कुचामन, सरगोल झीलें आदि भारत के प्लाया क्षेत्रा हैं।

मृदा रूग्णता (Soil Fatigue) – लंबे समय से अत्याधिक एवं अनियोजित रासायनिक उर्वरकों का उपयोग मिट्टी की पैदावार में कमी ला देता है, इसे ही मृदा रूग्णता कहते हैं।

याजू नदी – यह वह नदी है जो मुख्य नदी के समानान्तर बहती है लेकिन यह कमी भी मुख्य नदी से जुड़ नहीं पाती है याजू नदीकहलाती है।

कृषि-वानिकी – यह एक उत्पादक तकनीक है, जिसमें एक भू भाग का कृषि एवं वानिकी के लिए संयुक्त उपयोग होता है। इसके द्वारा प्राकृतिक संसाधनों जैसे सूर्यप्रकाश, मृदा, जल, पोषक तत्वों आदि का संतुलित उपभोग, किसानों के लिए अतिरिक्त आय का प्रबंध, भोजन, चारा एवं ईंधन की अतिरिक्त उपलब्ध्ता तथा मृदा एवं जल संरक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है।

अल्पाइन वनस्पति अधिक उचाईयों में प्रायः- समुद्र तल से 3600 मीटर से अध्कि उफंचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति को अल्पाइन वनस्पति कहते हैं। सिल्वर, फर, जूनिपर, पाइन व बर्च इन वनों के मुख्य वृक्ष हैं। हिमरेखा के निकट अग्रसर होने पर इन वृक्षों का आकार छोटा होता जाता है।

ला-नीनो – एल-नीनो के विपरीत यह शीत सामुद्रिक धराओं के दोलन से उत्पन्न पेरू तट के असामान्य रूप से ठंडे होने की घटना है। एल-नीनो की तरह यह भी मानसून को प्रभावित करता है।

मिश्रित कृषि यह एक खेत में एक ही मौसम में दो या अधिक फसलों को उपजाने की प्रक्रिया है। जैसे गेहूँ, चना एव सरसों की रबी फसलें एक साथ ही बोई जा सकती है। इसमें वर्षा एवं बाढ़ वाले इलाकों में किसानों का जोखिम कम हो जाता है तथा मृदा-पोषकों की आपूर्ति भी हो जाती है।

सीढ़ीनुमा कृषि – यह एक कृषि-विधि है , जिसमें पर्वतीय क्षेत्रों में ढालों पर सीढ़ीनुमा खेत तैयार किए जाते हैं। इससे, सतही बहाव की गति धीमी हो जाने के कारण भू-क्षरण कम हो जाता है, जबकि उपलब्ध् उर्वर भूमि का अधिकतम उपयोग संभव हो पाता है।

भारत में शीतकालीन वर्षा भारत में शीतकालीन वर्षा भूमध्यसागर एशिया में उठने वाले अवदाबों के प्रभाव से होती है। ये अवदाब मध्य एशिया ईरान तथा अफगानिस्तान होते हुए भारत में प्रवेश करते हैं तथा उत्तर एवं उत्तर-पश्चिमी भारत तथा हिमालय के तराई वाले क्षेत्रों में वर्षण करते है।

न्यूमूरे द्वीप – यह बंगाल की खाड़ी में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा स्थित एक द्वीप है, जो भारत एवं बांग्लादेश के बीच दावे-प्रतिदावे के कारण विवादित रहा।

इंदिरा प्वाइंट इंदिरा प्वांइट भारत का दक्षिणतम बिन्दु है। यह निकोबार द्वीप समूह पर स्थित है।

कार्बनिक कृषि – कार्बनिक कृषि खेती का वह तरीका है जिसमें मृदा की उत्पादकता बनाये रखने एवं कीट नियमन हेतु फसल चक्र, हरित साध्नों, कम्पोस्ट, जैविक कीट नाशकों तथा यांत्रिक जुताई पर निर्भर रहा जाता है। इस कृषि में संश्लेषित उर्वरकों का सीमित प्रयोग किया जाता है।




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कक्षा 12 भूगोल की प्रैक्टिकल फाइल कैसे तैयार करें? How to prepare practical file for class 12 geography? कक्षा 12 भूगोल की प्रैक्टिकल फाइल कैसे तैयार करें? Chapter 1 आंकड़े – स्रोत और संकलन (Hindi Medium) Chapter 2 आंकड़ों का प्रक्रमण (Hindi Medium) Chapter 3 आंकड़ों का आलेखी निरूपण (Hindi Medium) Chapter 4 स्थानिक सूचना प्रौद्योगिकी (Hindi Medium) How to prepare practical file for class 12 geography? Chapter 1 Data – Its Source and Compilation (English Medium) Chapter 2 Data Processing (English Medium) Chapter 3 Graphical Representation of Data (English Medium) Chapter 4 Spatial Information Technology (English Medium) Click Below for Class 12th Geography Practical Paper - Important Question Class 12 Geography Practical Sample Paper Related Video कक्षा 12 भूगोल की प्रैक्टिकल फाइल कैसे तैयार करें? How to prepare practical file for class 12 geography? Click Below for How to prepare class 11th Geography Practical file (English Medium) You Can Also Visit  Class 9 Social Science Chapter Wise S

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