वर्ष 2025 का पहला संकल्प 70 kms की साइकिल यात्रा, पूरा First resolution of the year 2025, 70 kms cycle journey completed
दिनांक 2 जनवरी 2025 को मैंने (45 वर्षीय) और श्रीमती जी (41 वर्षीय) ने अपना वर्ष 2025 का पहला संकल्प पूरा किया।
हमने 29 दिसंबर 2024 को facebook पर Sikkam News 24 के माध्यम से देहरादून के साइक्लिस्ट दंपत्ति, 75 वर्षीय Kamaljit Singh और 71 वर्षीय उनकी पत्नी Vishav Dhiman से प्रेरित होकर स्वयं से एक संकल्प किया था, कि हम दोनों वर्ष 2025 की शुरुआत एकतरफा 25 kms + की साइकिल यात्रा करके करेंगें।
1 जनवरी को बेटे का B. Sc Final Year का पेपर था, इसलिए हमने तय किया कि हम 2 जनवरी की सुबह यह यात्रा शुरू करेंगें, लेकिन ये तय नहीं था कि कहां जाएं, तो श्रीमती जी ने कहा कि क्यों ना हम चूलकाना धाम चलते हैं। बस उनका कहना हुआ और बाबा जी ने हमें बुला लिया।
हमने 2 जनवरी 2025 को सुबह 6:36 मिनट पर यात्रा शुरू की,
सोनीपत शहर पार को दक्षिण-पश्चिम दिशा से उत्तर-पूर्व दिशा में जटवाड़ा होते हुए पार किया। सोनीपत-मुरथल बाईपास को आर-पार क्रॉस करते हुए कामी रोड होते हुए आगे बढ़ते रहे, ठंडा मौसम, शरद हवाएं, क्षितिज पर हल्की धुंध, रबी फसलों और गन्ने की खेती के प्राकृतिक नजारे, विभिन्न प्रकार के फलों के बाग देखते हुए आगे बढ़ते हुए जब गन्नौर से 1 km दूर रह गए थे तो रोड की साइड में गेहूं की फसलों के बीच रोड की पूर्व दिशा में मिली शेरशाह सूरी के शासनकाल में बनी एक कोस मीनार (कोस मीनारें, मध्यकालीन भारत में दूरी और दिशा मापने के लिए बनाए गए मील के पत्थर थे। इनका निर्माण 16वीं शताब्दी में पश्तून शासक शेर शाह सूरी ने करवाया था। कोस मीनारों को बनाने का मकसद, सड़कों को नियमित अंतराल पर चिह्नित करना था। इन मीनारों के आस-पास यात्रियों के ठहरने के लिए सराय और पानी के कुएं भी होते थे। इनके बारे में अधिक जानने के लिए Short Video कोस मीनार क्या होती है? देखें)।
उसके दृश्य कैप्चर करके आगे बढ़े और गन्नौर को दक्षिण से उत्तर दिशा में बादशाही रोड से पार करके आगे बढ़ते रहे और भोड़वाल माजरी रेलवे स्टेशन, जिला पानीपत की शांति का फायदा उठाया और एक हल्का सा Tea ☕ Break लिया, (Tea श्रीमती जी ने घर से ही बनाकर थर्मस बोतल में डाल ली थी) और आगे यात्रा शुरू की तथा यहाँ से कुछ 2 से 3 किलोमीटर चलने के बाद श्री श्याम बाबा चुलकाना धाम पहुँच गए और वहाँ श्री श्याम बाबा जी के दर्शन किए एवं मंदिर परिसर का अवलोकन किया और यहां के महाभारत कालीन इतिहास को जाना (आप भी इस लिंक (Shree Shyam Chulkana Dham History जहाँ दिया था शीश का दान, वहीं है चुलकाना धाम) पर जा कर इस इतिहास को पढ़ सकते हैं), तब तक श्रीमती जी ने यहां के सभी धार्मिक कार्यों को पूरा किया।
फिर यहां से हम वापिस चले लगभग 11 बजे और अगले पड़ाव गुप्तिधाम जैन मंदिर गन्नौर (गुप्तिधाम जैन मंदिर गन्नौर GUPTI DHAAM DIGAMBER JAIN MANDIR, GANAUR) पर पहुंच गए। वहां जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के बारे में जानकारी प्राप्त की (आप भी इस लिंक (जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के बारे में जानकारी Information about the 24 Tirthankaras of Jainism) पर जाकर उनकी जानकारी देख सकते हैं), और मुख्य मंदिर में दर्शन किए एवं मंदिर परिसर की सुंदरता का नजदीक से अवलोकन किया।
यहां से दर्शन करने उपरांत कुछ समय बीकानेर मिष्ठान भंडार, गन्नौर पर जलपान ग्रहण करने में व्यतीत किया और मोबाइल को पुन: चार्ज करके GT Road वर्तमान में NH 44, देश के सबसे लंबे नेशनल हाईवे से होते हुए भिगान टोल को पहली बार बिना टोल व बिना पेट्रोल के साइकिल से पार किया तथा यहां से सर्विस लेने का प्रयोग करते हुए कराड-इब्राहिमपुर, सोनीपत बाईपास पार कर देवडू रोड होते हुए, कुल मिलकर लगभग 70 kms का सफर और 9 घंटे की कुल यात्रा कर हम 15:57 PM पर घर, सोनीपत पहुंचे।
इस प्रकार वर्ष 2025 का हमारा पहला संकल्प पूरा हुआ और पर्यावरण बचाने के लिए ऐसे ही छोटे–छोटे प्रयास करने एवं स्वास्थ्य को मेंटेन रखने के लिए आगे देखते हैं समय क्या–क्या अवसर देता है।
Thanks to God...
ॐ नमो नारायण
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On 2 January 2025, I (45 years old) and my wife (41 years old) fulfilled our first resolution of the year 2025.
On 29 December 2024, inspired by the cyclist couple from Dehradun, Kamaljit Singh, 75, and his wife Vishav Dhiman, 71, through Sikkam News 24 on Facebook, we made a resolution to ourselves that we will start the year 2025 by doing a one-way cycle journey of 25 kms+.
My son had his B.Sc Final Year exam on 1 January, so we decided to start this journey on the morning of 2 January, but it was not decided where to go, so my wife said why don't we go to Chulkana Dham. She just said it and Baba ji called us.
We started the journey on 2 January 2025 at 6:36 am, crossed Sonipat city from southwest to northeast via Jatwada. Crossing the Sonipat-Murthal bypass, we continued moving forward through Kami Road, enjoying the cool weather, autumn breeze, light mist on the horizon, natural views of Rabi crops and sugarcane cultivation, orchards of different types of fruits. When we were 1 km away from Ganaur, we found a Kos Minar built during the reign of Sher Shah Suri on the eastern side of the road among the wheat crops on the side of the road.
(Kos Minars were milestones built to measure distance and direction in medieval India. They were built by the Pashtun ruler Sher Shah Suri in the 16th century. The purpose of building Kos Minars was to mark the roads at regular intervals. There were also inns and water wells for the travelers to stay around these towers. To know more about them, watch the short video कोस मीनार क्या होती है?). After capturing its scenes, we moved ahead and crossed Ganaur from south to north through Badshahi Road and kept moving ahead and took advantage of the peace of Bhodwal Majri Railway Station, District Panipat and took a light Tea Break (Tea was prepared by Mrs. Ji at home and put in a thermos bottle) and started the journey ahead and after walking some 2 to 3 kilometers from here, we reached Shri Shyam Baba Chulkana Dham and there we had darshan of Shri Shyam Baba Ji and observed the temple complex and got to know the history of Mahabharata period here (you can also read this history by going to this link (Shree Shyam Chulkana Dham History जहाँ दिया था शीश का दान, वहीं है चुलकाना धाम)), by then Mrs. Ji completed all the religious activities here.
Then from here we went back at around 11 o'clock and reached the next stop Guptidham Jain Temple Ganaur ((गुप्तिधाम जैन मंदिर गन्नौर GUPTI DHAAM DIGAMBER JAIN MANDIR, GANAUR)). There we got information about 24 Tirthankaras of Jainism (you can also see their information by going to this link (जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के बारे में जानकारी Information about the 24 Tirthankaras of Jainism)), and had darshan in the main temple and observed the beauty of the temple complex closely.
After the darshan from here, spent some time in having refreshments at Bikaner Mishthan Bhandar, Ganaur and after recharging the mobile, crossed Bhigan Toll for the first time on cycle without toll and petrol through GT Road (now NH 44), the country's longest National Highway and using the service from here, crossed Karad-Ibrahimpur, Sonipat bypass and via Devdu Road, covering a total distance of about 70 kms and a total journey of 9 hours, we reached home, Sonipat at 15:57 PM.
Thus our first resolution of the year 2025 was fulfilled and we look forward to making such small efforts to save the environment and maintain health and see what opportunities time gives us.
Thanks to God...
Om Namo Narayan
Shree Shyam Chulkana Dham History जहाँ दिया था शीश का दान, वहीं है चुलकाना धाम https://abhimanyusir.blogspot.com/2025/01/shree-shyam-chulkana-dham-history.html
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