Motivational Personality - Ranjan Gogoi (46th Chief Justice Of India) - टॉस से तय हुआ था कहां पढ़ेंगे, ऐसे बदली किस्मत
भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश
भारत के मुख्य न्यायाधीश(Chief
Justice Of India) रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi)
रविवार 17.11.2019 को औपचारिक रूप से रिटायर ।
चीफ जस्टिस के रूप में उनका कार्यकाल करीब साढ़े 13 महीने का
रहा। इस दौरान उन्होंने कुल 47 फैसले सुनाए,
इनमें से कई फैसले ऐतिहासिक रहे, इन फैसलों के
लिए उनको हमेशा ही याद किया जाएगा। इनमें अयोध्या विवाद, तीन तलाक, चीफ जस्टिस का दफ्तर आरटीआई के दायरे में,
सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर पाबंदी लगाने जैसे फैसले
शामिल थे। उन्होंने
अक्टूबर 2018 में भारत के 46वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।
असम में हुआ था जन्म
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का जन्म 18 नवंबर 1954 में असम में हुआ था। वो पूर्वोत्तर के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें
भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उनके पिता केसब चंद्र गोगोई भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे. उन्होंने 1982 में 2 महीने के लिए असम के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था.
कानून में करियर
Ø गोगोई 1978 में गुवाहाटी बार एसोसिएशन में शामिल हुए।
Ø उन्होंने मुख्य रूप से गुवाहाटी हाई कोर्ट
में अभ्यास किया।
Ø 28 फरवरी, 2001 में
गुवाहाटी हाई कोर्ट के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए।
Ø 9 सितंबर 2010 को
उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया।
Ø
12 फरवरी, 2011 को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट
के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया।
Ø
23 अप्रैल, 2012 को गोगोई सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश
के रूप में पदोन्नत हुए।
सख्त न्यायाधीश -
जस्टिस रंजन गोगोई एक सख्त जज के तौर पर जाने जाएंगे।
Ø साल 2016
में जस्टिस गोगोई ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू
को अवमानना का नोटिस भेज दिया था। अवमानना नोटिस के बाद जस्टिस काटजू सुप्रीम कोर्ट में पेश
हुए और उन्होंने फेसबुक पोस्ट के लिए माफी मांगी।
Ø यही नहीं वह उस का पीठ का हिस्सा रहे, जिसने लोकपाल अधिनियम को कमजोर करने के
सरकार के प्रयासों को विफल कर दिया था।
Ø वह उस पीठ का भी हिस्सा रहे जिसने कोर्ट
की अवमानना के लिए कोलकाता हाई कोर्ट के न्यायाधीश सी एस कन्नन को भी पहली
बार जेल में डाल दिया।
Ø उन्होंने उस बेंच का नेतृत्व किया, जिसने यह सुनिश्चित किया कि असम में
एनआरसी की प्रक्रिया निर्धारित समय सीमा में पूरी हो जाए। पब्लिक फोरम में आकर
उन्होंने एनआरसी की प्रक्रिया का बचाव किया और उसे सही बताया। असम में एनआरसी लागू
होने के बाद अन्य प्रदेशों में इसे लागू किए जाने की बात उठने लगी।
कोर्ट की पवित्रता की रक्षा के लिए भी उठाई आवाज
ऐसा नहीं है उन्होंने सिर्फ ऐतिहासिक फैसले ही सुनाए हो, उन्होंने कोर्ट की पवित्रता की रक्षा के
लिए भी आवाज उठाई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक कामकाज का विरोध करने के
लिए तीन अन्य वरिष्ठतम सुप्रीम कोर्ट के जजों के साथ प्रेस कांफ्रेंस की थी,
उस दौरान ये मामला काफी तेजी के साथ उठा था। कहा जा रहा था कि अब जज
भी सार्वजनिक मंच पर आकर प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं।
पारदर्शी न्यायाधीश
रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट में बैठे 25 न्यायाधीशों में से उन ग्यारह न्यायाधीशों में शामिल रहे
जिन्होंने अदालत की वेबसाइट पर अपनी संपत्ति का सार्वजनिक विवरण दिया। इससे उनके पारदर्शी होने को और बल मिला।
सीजेआइ पर भी सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने अक्टूबर 2018 में यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था।
उनको जब आरोपों के बारे में बताया गया तो उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया। इस
मामले की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई, कमेटी
ने जांच पड़ताल की तो उनको भी कुछ खास हाथ नहीं लगा। इसके बाद उनको इस मामले में
क्लीन चिट दे दी गई।
ऐतिहासिक फैसले
1.
अयोध्या मामला :- अयोध्या विवाद मामले
में उन्होंने अपनी बेंच के साथ फैसला सुना दिया। उनकी अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने विवादित जमीन
राम लला विराजमान को देने का फैसला सुनाया है। इसी के साथ सीजेआई रंजन गोगोई ने
कहा कि मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए,
साथ ही केंद्र सरकार तीन महीने में इसकी योजना तैयार करे। सुन्नी
वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का भी फैसला सुनाया। सीजेआई ने कहा कि ये पांच
एकड़ जमीन अयोध्या में कहीं भी दी जाए।
2.
सबरीमाला मामला :- सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर पर अपना फैसला सुनाते हुए महिलाओं के
प्रवेश पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। उनकी
ओर से अब इस मामले को 7 जजों की बड़ी बेंच को रेफर कर दिया
गया है। अब सात जजों की बेंच इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी। दो जजों की असहमति
के बाद यह केस बड़ी बेंच को सौंपा गया है। सबरीमाला केस की सुनवाई करते हुए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस केस का असर सिर्फ इस मंदिर नहीं बल्कि मस्जिदों में
महिलाओं के प्रवेश, अग्यारी में पारसी महिलाओं के प्रवेश पर
भी पड़ेगा।
3.
चीफ जस्टिस का दफ्तर आरटीआई के दायरे में :- अब तक चीफ जस्टिस का आफिस आरटीआइ के
दायरे से बाहर था। मगर अब उनका आफिस भी सूचना के अधिकार कानून के दायरे आएगा।
हालांकि, निजता और गोपनीयता का अधिकार बरकरार रहेगा। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते
हुए बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस का दफ्तर आरटीआई के दायरे में कुछ
शर्तों के साथ आएगा।
4.
सरकारी विज्ञापन में नेताओं की तस्वीर पर रोक :- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और पीसी घोष की पीठ ने सरकारी विज्ञापनों में
नेताओं की तस्वीर लगाने पर पाबंदी लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद
किसी भी सरकारी विज्ञापन पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,
राज्यपाल, मुख्यमंत्री और संबंधित विभाग के
मंत्री के अलावा किसी भी नेता की तस्वीर प्रकाशित करने पर रोक लगा दी गई है। क्योंकि चुनाव के दौरान या अन्य किसी मौके
पर नेताओं की तस्वीर वाले विज्ञापनों की भरमार हो जाती थी।
5.
सात भाषाओं में कोर्ट का फैसला:- चीफ
जस्टिस रंजन गोगोई ने ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले को हिंदी और अंग्रेजी के अलावा
सात अन्य भाषाओं में प्रकाशित करने का फैसला दिया था। इस फैसले से पहले तक केवल
अंग्रेजी भाषा में ही फैसला प्रकाशित किया जाता था। कई बार मामले के पक्षकार अंग्रेजी भाषा को
समझ नहीं पाते थे, उनकी मांग थी कि कई और
भाषाओं में भी फैसले की कॉपी प्रकाशित की जानी चाहिए जिससे जिनको हिंदी, अग्रेंजी नहीं आती हो वो इस फैसले को अपनी भाषा में पढ़ सकें।
6-
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंडेय काटजू को अवमानना का नोटिस
:- उन्हीं के चीफ जस्टिस
रहते हुए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज मार्कंटेय काटजू को अवमानना का नोटिस भेजा
गया, उनको ये नोटिस सोशल मीडिया फेसबुक पर एक टिप्पणी लिखने
के लिए भेजा गया था।
7-
कोर्ट की अवमानना पर जेल भेजा :- सीजेआइ रंजन गोगोई ने पहली बार किसी जज
को जेल भेजने का भी आदेश दिया था। उन्होंने कोलकाता हाई कोर्ट के न्यायाधीश सी एस
कन्नन को जेल भेजने की कार्रवाई की थी। उन्होंने कोर्ट की अवमानना की थी जिससे
नाराज होकर उनके खिलाफ ये कार्रवाई की गई थी।
टॉस से तय हुआ था कहां पढ़ेंगे रंजन गोगोई,
ऐसे बदली किस्मत
बतौर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे. शुक्रवार को उनका सुप्रीम कोर्ट में आखिरी दिन
था. वह साढ़े 13 महीने तक चीफ जस्टिस के पद पर रहे. अपने करियर में वह एक सफल वकील और जज की भूमिका में रहे.
उन्हें कई ऐतिहासिक फैसलों के लिए याद किया जाएगा. ये कहना सही होगा कि वकालत में
आना उनके लिए इत्तेफाक था. जानिए कैसे.
रंजन गोगोई की किस्मत
का फैसला एक सिक्के ने किया. जिसकी वजह से उन्होंने वकालत की दुनिया में कदम रखा.
एक बार वह बड़े भाई अंजन गोगोई के साथ टॉस हार गए थे. फिर इस टॉस ने उनकी किस्मत
को पूरी तरह से बदल दिया.
उनके पिता केसब चंद्र गोगोई भारतीय राष्ट्रीय
कांग्रेस के नेता थे. उन्होंने 1982 में 2 महीने
के लिए असम के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया था. दोनों भाइयों का बचपन असम के
डिब्रूगढ़ में बीता था. रंजन गोगोई के एक भाई हैं अंजन गोगोई. वह एयर मार्शल हैं.
दरअसल जब रंजन और उनके भाई बड़े हो
रहे थे तो उनके पिता केशब चंद्र गोगोई ने दोनों भाइयों से कहा था कि वह दोनों में
से किसी एक को सैनिक स्कूल में भेज सकते हैं. अब दुविधा ये थी कि सैनिक स्कूल जाए
कौन और कैसे फैसला लिया जाए. इसके बाद रंजन गोगोई ने एक समाधान निकाला, जिसमें पारदर्शी फैसला आने की उम्मीद थी. तीनों ने मिलकर तय किया कि टॉस
के आधार पर तय किया जाए कि आर्मी स्कूल में कौन सा बेटा जाएगा. जिसके बाद सिक्का
हवा में उछाला गया और जीत बड़े भाई की हुई.
यही वो वक्त था, जब रंजन गंगोई की किस्मत पलटी. बड़े भाई अंजन गोगोई ने इसे जीता और आर्मी
स्कूल में दाखिला लिया. बाद में वह एयर मार्शल बन गए. वहीं रंजन गोगोई को आर्मी
स्कूल में तो दाखिला नहीं मिला लेकिन उन्होंने असम के डिब्रूगढ़ में डॉन बॉस्को
स्कूल से स्कूलिंग की. जिसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी का रुख किया. यहां
उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास विषय में ग्रेजुएशन की और यहीं से ही कानून
की डिग्री ली. आपको बता दें, पिछले साल 3 अक्टूबर 2018 को गोगोई ने भारत के 46वें चीफ जस्टिस के रूप में पदभार संभाला था. उन्होंने 1978 में बतौर एडवोकेट अपने करियर की शुरुआत की थी. अपने करियर के दौरान वह
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश रहे हैं. चीफ जस्टिस बनने से
पहले वह सुप्रीम कोर्ट में सीनियर जज थे. पिता
के कहने पर CJI गोगोई ने निकाला था UPSC, फिर दिल की सुनी
आपको जानकर हैरानी होगी
रंजन गोगोई के पास अपना मकान नहीं है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक हाईकोर्ट और
जस्टिस रंजन गोगोई के पास व्यक्तिगत संपत्ति के नाम पर बहुत ज्यादा कुछ नहीं है.
जस्टिस गोगोई के पास खुद कोई ज्वैलरी नहीं है और उनकी पत्नी के पास जो ज्वैलरी है,
वह भी शादी के समय का गिफ्ट है.
आपको बता दें, वह यूपीएससी
परीक्षा के लिए भी उपस्थित हुए और परीक्षा पास भी कर ली. लेकिन फिर उन्होंने अपने पिता से विनम्रता से कहा कि उनकी दिलचस्पी कानून
की पढ़ाई करने में है. वह आगे जाकर वकील बनना चाहते हैं.
उनके बारे में यह दिलचस्प फैक्ट सुप्रीम कोर्ट
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा
राष्ट्रपति भवन में एक दिन पहले सीजेआई गोगोई के लिए आयोजित अभिनंदन समारोह में
बताए थे.