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July 29th - International Tiger Day (List and Map of All 50 Tiger reserve of India)

International Tiger Day

July 29 को International Tiger Day के रूप में मनाया जाता है। इसे Global Tiger Day के रूप में भी जाना जाता है।

Video - International Tiger Day (अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस) July 29 Global Tiger Day

इसका उद्देश्य Tigers को बचाने करने के लिए जनता में जागरूकता लाना है

International Tiger Day की शुरुआत 2010 में रूस के सेंट पीटरसबर्ग में हुई टाइगर समिट में दुनिया में बाघों की घटती संख्या को बढ़ाने के लिए की गई।

उस समय यह शपथ भी ली गई थी कि दुनिया के देश 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना तक बढ़ाने का प्रयास करेंगे।

भारत इस मामले में दुनिया में सबसे अच्छी और गर्व की स्थिति में है कि आज 29 जुलाई 2020 को International Tiger Day पर हमारे यहाँ दुनिया के 70% यानी सबसे अधिक बाघ भारत में ही हैं। आज दुनिया के हर 10 में से 7 बाघ भारत के वनों में मिलते हैं।

दुनिया में बाघों की नौ प्रजातियाँ मिलती हैं जिनमें साइबेरियन टाइगर, बंगाल टाइगर, चाइनीज टाइगर, मलायन टाइगर, और सुमात्रन टाइगर अभी जिन्दा प्रजातियाँ हैं, जबकि बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर और जावा टाइगर की प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं।

 बाघ, भारत में आस्था, शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक माना जाता है। यह भारत के उत्तर - पश्चिमी क्षेत्रों को छोड़कर पूरे देश में पाया जाता है।

बंगाल टाइगर, भारत का राष्ट्रीय पशु (The National Animal of India) है।

भारत में अप्रैल 1973 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान "प्रोजेक्ट टाइगर" की शुरुआत की गई। कैलाश सांखला इसके प्रथम निर्देशक थे।

भारत में बाघों के संरक्षण के लिए 1973 में सिर्फ 9 टाइगर रिजर्व थे जो इस समय (As per Year 2020)  50 हैं।

बाघ संरक्षित क्षेत्र (Tiger Protected Areas) वह क्षेत्र हैं जिन्हें प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) के तहत अधिसूचना के अंतर्गत संरक्षित किया गया है। वर्तमान में (2020) तक भारत के बाघ अभ्यारिंयों की कुल संख्या 50 है।

भारत सरकार द्वारा बाघों के संरक्षण के लिए वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) की शुरुआत की गयी तथा इसके अंतर्गत 9 बाघ अभ्यारण्यों को संरक्षित किया गया।

Video - https://youtu.be/95yotEP-pSw

भारत के बाघ अभ्यारण्य (Tiger reserve of India)

राज्यबाघ आरक्षित क्षेत्रवर्षक्षेत्र (किलोमीटर में)
असम (Assam)काजीरंगा
मानस
नामेरी
ओरांग
2006
1973-74
1999-2000
2016
859
2837
344
783
अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh)नामदफा
पाकुई
कमलांग
1982-83
1999-2000
2016
1985.245
861.95
783
आंध्रप्रदेश (Andra Pradesh)नागार्जुन सागर श्रिशैलम (इसका विस्तार तेलंगाना में भी है)
कावल
1982-83
2012
3568.09
893
बिहार (Bihar)वाल्मीकि1989-90840.26
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh)इंद्रावती
अचानकमार
उद्दंती – सीतानदी
1982-83
2009
2008-09
2799.086
555.286
1580
झारखंड (Jharkhand)पलामू1973-741026
कर्नाटक (Karnatak)बांदीपुर
नागरहोल
भद्रा
दान्देली-अंशी
बिली गिरी
1973-74
1999-2000
1998-99
2007
2011
1456
643.39
451.69
875
केरल (Kerala)पेरियार
पारम्बिकुलम
1978-79
2007
777
648.5
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)बांधवगढ़
सतपुड़ा
कान्हा
पन्ना
पेंच
संजय डुबरी
1993-94
1999-2000
1973-74
1994-95
1992-93
2008
1164.41
1486
1945
542.67
757.86
831
महाराष्ट्र (Maharashtra)मेलाघाट
पेंच
तदोबा-अँधेरी
सहयाद्री
नागजिरा
बोर
1973-74
1992-93
1993-94
2008-09
2013
2014
1676.49
664.3
557.78
741.22
700
138.12
मिजोरम (Mizoram)डंपा1994-95500
राजस्थान (Rajasthan)रणथम्भौर
सरिस्का
मुकुंद्रा हिल्स
1973-74
1978-79
2013
1334.64
866
759
उत्तरप्रदेश (UP)दुधवा
पीलीभीत
अमानगढ़
राजाजी
1987-88
2014
2012
2015
833.739
730.24
80.60
1150
उत्तराखंड (Uttarakhand)जिम कॉर्बेट
राजाजी
1973-74
21 अप्रैल 2014
1318.54
830
पश्चिम बंगाल (West Bengal)बुक्सा
सुंदरवन
1982-83
1973-74
760.92
2585
ओड़िशा (Odisha)सिमलीपाल
सतकोसिया
1973-74
2007
2750
964
तमिलनाडु (Tamil Nadu)कालकड़-मुंदथुरेई
अन्नामलाई
मदुमलाई
सत्यमंगलम
1988-89
2007
2007
2013
895
958.59
321

कालकड़ मुदथुरेई – यह भारत का सबसे दक्षिणतम बाघ रिजर्व है, जो तमिलनाडु (TamilNadu) में स्थित है।

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (भारत का प्रथम राष्ट्रीय बाघ रिजर्व) – वर्ष 1935 में रामगंगा नदी (उत्तराखंड) क्षेत्र में अंग्रेज़ गवर्नर माँलकम हैली के नाम पर इसका नाम हैली नेशनल पार्क रखा गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात इसका नाम परिवर्तित कर रामगंगा नेशनल पार्क रखा गया। वर्ष 1957 में जिम कॉर्बेट के नाम पर इसका नाम जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क रख दिया गया।

जिम कॉर्बेट का पूरा नाम – जेम्स एडवर्ड कॉर्बेट    

नागार्जुन सागर श्रीशैलम – यह भारत का सबसे बड़ा बाघ रिज़र्व है जो नाल्लामलाई पर्वत श्रेणी में स्थित है।

पेंच – क्षेत्रफल की दृष्टि से यह भारत का सबसे छोटा बाघ रिज़र्व है।

काजीरंगा – यह विश्व में सर्वाधिक बाघ घनत्व वाला बाघ रिज़र्व है।

नामदफा – यह बाघ रिज़र्व विश्व में सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित है।

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) – इसे Tiger State के नाम से भी जाना जाता है |


दिसंबर 2005 में NTCA (National Tiger Conservation Authority) (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) संस्था की स्थापना की गई। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसका अध्यक्ष पर्यावरण एवं वन मंत्री होता है।

इस संस्था ने दुनिया भर में 13 ऐसे स्थानों की पहचान की है जहाँ वर्तमान में बाघ पाए जाते हैं। लेकिन संरक्षण के अभाव में इनमें बाघों की संख्या कम है।

अभी हाल ही में देश के केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने "Status of Tiger, Co - Predators & Prey in India" रिपोर्ट जारी की है। इस समय देश में बाघ की संख्या बढ़कर 2967 हो गई, जो 2010 में 1706 थी इसका मुख्य कारण "प्रोजेक्ट टाइगर", NTCA संस्था और Save the Tiger जैसे अभियान हैं।

जिम कार्बेट नेशनल पार्कउत्तराखण्ड, देश में बाघों का सबसे बड़ा आवास क्षेत्र है यहाँ इस समय बाघों की संख्या 231 है, जो 2014 में मात्र 215 थी।

जिम कार्बेट नेशनल पार्क, इस समय भारत में बाघ संरक्षण और बाघों की संख्या के आधार पर प्रथम स्थान पर है।

इसके बाद कर्नाटक का नागरहोल 127 बाघों के साथ दूसरे, और कर्नाटक का ही बांदीपुर 126 बाघों के साथ तीसरे स्थान पर हैं।

मध्य प्रदेश का बांधवगढ़ और असम का काजीरंगा 104 -104 बाघों के साथ चौथे स्थान पर हैं।

पाँचवे स्थान पर तमिलनाडु का मुदुमलई है।

राज्यों की बात करें तो देश में सबसे ज्यादा बाघों की संख्या 526 मध्य प्रदेश में है। जहाँ 526 बाघ हैं।

दूसरे स्थान पर कर्नाटक राज्य है, जहाँ 524 बाघ हैं।

मध्य प्रदेश और कर्नाटक के बाद उत्तराखण्ड 442 बाघों के साथ तीसरे स्थान पर है।

विशेषज्ञों का मानना है कि 20वीं सदी की शुरुआत में दुनिया भर में बाघों की 95 फीसदी आबादी खत्म हो गई 100 साल पहले दुनिया में लगभग एक लाख बाघ थे। जबकि पूरी दुनिया में इस समय केवल 3900 बाघ ही बचे हैं। 

दुनिया भर में बाघों की आबादी कम होने का सबसे बड़ा कारण बाघों के प्राकृतिक आवासों का सीमित होना है। औद्योगिक और कृषि विकास के कारण विश्वभर में जंगलों के नष्ट होने से बाघों का करीब 93 फीसदी आवास छीन चुका है।

इसके चलते मानव और बाघों में संघर्ष भी बढ़ा है। अकसर इंसानी क्षेत्रों में बाघों के हमलों की खबरें आती हैं, उसका मूल कारण भी बाघों के प्राकृतिक आवासों का सीमित होना है।

अगर भारत की बात करें तो आजादी के समय 1947 में देश में लगभग 40000 बाघ थे।

देशभर में बाघों को सड़कों, बिजली लाइनों और खनन जैसी गतिविधियों से खतरा है।

पिछले छह सालों में देश में 560 बाघों की जान गई। जिसमें से 55% नेचुरल डेथ हुई, 38% अवैध शिकार, एक्सीडेंट के कारण 4% हुई।

सरकारों को विकास और संरक्षण (Sustainable Development यानी सतत पोषणीय विकास) की नीति पर ध्यान देना होगा।

विभिन्न देशों को मिलकर जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करना होगा ताकि पर्यावरण के साथ - साथ सुंदरवन जैसे क्षेत्रों और उसमें निवास करने वाले रॉयल बंगाल टाइगर जैसे बाघों को बचाया जा सकेगा।


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