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Thoughts Collection by Dr. BR Ambedkar

  • “प्रगति की मात्रा के द्वारा ही एक समुदाय की प्रगति को मैं मापता हूँ जिसे महिलाओं ने प्राप्त किया है”।
  • “ज्ञान एक पुरुष के जीवन की जड़ है”।
  • “सामाजिक नीतिशास्त्र पर आधारित सामाजिक आदर्शों के द्वारा लोग और उनके धर्म को आँकना चाहिये। किसी भी दूसरे आदर्श का कोई मतलब नहीं होगा अगर लोगों के भले के लिये जरुरी अच्छाई धर्म आयोजित होता है”।
  • “हर पुरुष जो चक्की के सिद्धांत को दोहराता है जैसे एक देश किसी दूसरे देश पर राज्य करने के लिये उपयुक्त नहीं होता को मानना चाहिये कि किसी दूसरे वर्ग पर राज्य करने के लिये एक वर्ग उपयुक्त नहीं होता”।
  • “लंबे होने के बजाय जीवन अच्छा होना चाहियें”।
  • “दिमाग की खेती मानव अस्तित्व का सर्वश्रेष्ठ लक्ष्य होनी चाहिये”।
  • “मानव नश्वर होता है। वैसे ही विचार होते हैं। एक विचार को फैलाव की जरुरत होती है जिस तरह एक पौधे को पानी की जरुरत होती है। नहीं तो दोनों मुरझा और मर जायेंगे”।
  • “कोई एक जिसका दिमाग मुक्त नहीं यद्यपि जीवित है, मरने से बेहतर नहीं है”।
  • “बुद्ध की सीख शाश्वत है, लेकिन उसके बाद भी बुद्ध उसको अचूक घोषित नहीं करते हैं”।
  • “जैसे पानी की एक बूँद महासागर में मिलते ही अपनी पहचान खो देती है, व्यक्ति समाज में अपने होने का अस्तित्व नहीं खोता है जिसमें वो रहता है। व्यक्ति का जीवन स्वतंत्र होता है। वो अकेले समाज का विकास करने के लिये पैदा नहीं हुआ है, बल्कि अपने विकास के लिये हुआ है”।
  • “किसी एक के अस्तित्व का प्रमाण है दिमाग की स्वतंत्रता”।
  • “दिमाग की वास्तविकता वास्तविक स्वतंत्रता है”।
  • “मैं धर्म को पसंद करता हूँ जो आजादी, समता और भाईचारा सिखाता है”।
  • “इंसानों के लिये धर्म है ना कि धर्म के लिये इंसान”।
  • “धर्म मुख्यत: केवल एक सिद्धांत की विषयवस्तु है। ये नियम का मामला नहीं है। जिस पल ये नियमों से बिगड़ता है, एक धर्म होने के नाते ये समाप्त होता है, क्योंकि ये जिम्मेदारियों को मारता है जो सच्चे धार्मिक कानून का एक सार है”।
  • “व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास के लिये एक वातावरण बनाना धर्म का बुनियादी विचार है”।
  • “अगर आप ध्यान से पढ़ेंगे, आप देखेंगे कि बौद्ध धर्म कारणों पर आधारित है। इसमें जन्मजात लचीलेपन का तत्व है, जो किसी दूसरे धर्म में नहीं पाया जाता है”।
  • “एक प्रसिद्ध व्यक्ति से अलग होता है एक महान आदमी जो समाज का नौकर बनने के लिये तैयार होता है”।
  • “हिन्दू धर्म में, विकास के लिये जमीर, कारण और स्वतंत्र विचार के पास को कोई अवसर नहीं है”।
  • “पति और पत्नि के बीच का रिश्ता एक सबसे घनिष्ठ मित्र की तरह होनी चाहिये”।
  • “इसांन के लिये किसी एक के पास कोई सम्मान या आदर नहीं हो सकता जो समाज सुधारक की जगह ले और उसके बाद उस पदवी के तार्किक परिणाम को देखने से मना कर दे, उसे अकेले ही खराब काम का अनुसरण करने दें”।
  • “एक कठोर वस्तु मिठाई नहीं बना सकता। किसी का भी स्वाद बदल सकता है। लेकिन जहर अमृत में नहीं बदल सकता”।
  • “एक सफल क्रांति के लिये इतना ही काफी नहीं है कि वहाँ असंतोष हो। जो चाहिये वो गंभीर है और न्याय की आस्था के द्वारा, राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों की जरुरत और महत्व”।
  • “माना कि लंबे समय तक आपने सामाजिक आजादी प्राप्त नहीं की, जो भी स्वतंत्रता आपको कानून के द्वारा आपको उपलब्ध करायी जा रही है उसका आपके लिये कोई लाभ नहीं है”।