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*प्रथम महीना चैत से गिन,*
*राम जनम का जिसमें दिन।*
*द्वितीय माह आया वैशाख,*
*वैसाखी पंचनद की साख।*
*ज्येष्ठ मास को जान तीसरा,*
*अब तो जाड़ा सबको बिसरा।*
*चौथा मास आया आषाढ़,*
*नदियों में आती है बाढ़।*
*पांचवें सावन घेरे बदरी,*
*झूला झूलो गाओ कजरी।*
*भादौ मास को जानो छठा,*
*कृष्ण जन्म की सुन्दर छटा।*
*मास सातवां लगा कुंआर,*
*दुर्गा पूजा की आई बहार।*
*कार्तिक मास आठवां आए,*
*दीवाली के दीप जलाए।*
*नवां महीना आया अगहन,*
*सीता बनीं राम की दुल्हन।*
*पूस मास है क्रम में दस,*
*पीओ सब गन्ने का रस।*
*ग्यारहवां मास माघ को गाओ,*
*समरसता का भाव जगाओ।*
*मास बारहवां फाल्गुन आया,*
*साथ में होली के रंग लाया।*
*बारह मास हुए अब पूरे,*
*छोड़ो न कोई काम अधूरे।*
*आगामी भारतीय नव वर्ष मंगलमय हो।*
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