Baisakhi Festival बैसाखी पर्व राष्ट्रीय त्योहार
1. बैसाखी एक राष्ट्रीय त्योहार है। जिसे देश के भिन्न-भिन्न भागों में रहने वाले लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। 2. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार बैसाखी पर्व हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है। वैसे कभी-कभी 12-13 वर्ष में यह त्योहार 14 तारीख को भी आ जाता है।
3. रंग-रंगीला और छबीला पर्व बैसाखी अप्रैल माह के 13 या 14 तारीख को जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तब मनाया जाता है।
4. भारत भर में बैसाखी का पर्व सभी जगह मनाया जाता है। इसे दूसरे नाम से खेती का पर्व भी कहा जाता है।
5. कृषक इसे बड़े आनंद और उत्साह के साथ मनाते हुए खुशियों का इजहार करते हैं। बैसाखी मुख्यतः कृषि पर्व है।
6. पंजाब की भूमि से जब रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है तब यह पर्व मनाया जाता है।
7. इस कृषि पर्व की आध्यात्मिक पर्व के रूप में भी काफी मान्यता है।
8. उत्तर-पूर्वी सीमा के असम प्रदेश में भी इस दिन बिहू का पर्व मनाया जाता है।
9. केरल में यह त्योहार 'विशु' कहलाता है। इस दिन नए, कपड़े खरीदे जाते हैं, आतिशबाजी होती है और 'विशु कानी' सजाई जाती है। इसमें फूल, फल, अनाज, वस्त्र, सोना आदि सजाए जाते हैं और सुबह जल्दी इसके दर्शन किए जाते हैं।
10. बंगाल में ये त्योहार नव बरस के नाम से मनाते हैं।
11. बैसाखी नाम वैशाख से बना है।
12. बैसाखी के समय आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। विशाखा युवा पूर्णिमा में होने के कारण इस माह को बैसाखी कहते हैं। इस प्रकार वैशाख मास के प्रथम दिन को बैसाखी कहा गया और पर्व के रूप में स्वीकार किया गया।
13. बैसाखी के दिन ही सूर्य मेष राशि में संक्रमण करता है अतः इसे मेष संक्रांति भी कहते हैं।
14. सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह ने बैसाखी के दिन ही आनंदपुर साहिब में वर्ष 13 अप्रैल 1699 में खालसा पंथ की नींव रखी थी। इसका 'खालसा' खालिस शब्द से बना है। जिसका अर्थ- शुद्ध, पावन या पवित्र होता है।
15. खालसा-पंथ की स्थापना के पीछे गुरु गोबिन्द सिंह का मुख्य लक्ष्य लोगों को तत्कालीन मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त कर उनके धार्मिक, नैतिक और व्यावहारिक जीवन को श्रेष्ठ बनाना था।
17 Bohag Bihu or Rangali Bihu also called Haat Bihu (Assamese: ব’হাগ বিহু, Hindi: बोहाग बिहू) (seven Bihus) is a festival celebrated in the state of Assam and north eastern India, and marks the beginning of the Assamese New Year on April 13th, historically signifying the time of harvest. It unites the population of Assam regardless of their religions or backgrounds and promotes the celebration of diversity. In India it is celebrated seven days after Vishuva Sankranti of the month of Vaisakh or locally 'Bohag' (Bhaskar Calendar). The three primary types of Bihu are Rongali Bihu, Kongali Bihu, and Bhogali Bihu. Each festival historically recognizes a different agricultural cycle of the paddy crops. During Rangali Bihu there are 7 pinnacle phases: 'Chot', 'Raati', 'Goru', 'Manuh', 'Kutum', 'Mela' and 'Chera'..
18. Songkran Festival – Thai New Year celebrated as Sangken in northeastern areas of India, as the traditional New Year's Day by the Buddhist Community. The traditional water pouring is meant as a symbol of washing away all of their sins and the bad and is sometimes filled with fragrant herbs when celebrated in the traditional manner.
19. Cambodian New Year or Chaul Chnam Thmey in the Khmer language, literally "Enter New Year", is the name of the Cambodian holiday that celebrates the New Year. The holiday lasts for three days beginning on New Year's Day, which usually falls on April 13 or 14th, which is the end of the harvesting season, when farmers enjoy the fruits of their labor before the rainy season begins. The Khmer New Year coincides with the traditional solar new year in several parts of India, Sri Lanka, Puthandu, Myanmar and Thailand.
आम्र वर्षा, फूलों वाली बौछार, काल बैसाखी , बारदोली छीड़ा और लू क्या हैं ?
What are Mango Shower, Blossom Shower, Nor Wester, Bardoli Chheerha, Loo ?
ग्रीष्म
ऋतु में आने वाले कुछ प्रसिद्ध स्थानीय तूफान :
आम्र वर्षा
:- ग्रीष्म ऋतु के समाप्त
होते - होते पूर्व मानसून (Pre Monsoon) बौछारें
पड़ती हैं। केरल व कर्नाटक में यह एक
सामान्य मौसमी घटना है। इस तूफानी वर्षा को वहाँ स्थानीय तौर पर आम्र वर्षा
(Mango Shower) कहा जाता है
क्योंकि यह आमों को जल्दी पकाने में सहायता करती है।
फूलों वाली
बौछार :- इस वर्षा
से केरल में निकटवर्ती कहवा उत्पादक क्षेत्रों में कहवा के फूल खिलने लगते हैं।
काल बैसाखी :- असम और पश्चिम बंगाल में वैशाख के महीने में शाम या
दोपहर बाद चलने वाली तेज तूफानी एवं विनाशकारी वर्षा को काल बैसाखी कहते हैं। इन
तूफ़ानों की कुख्यात प्रकृति का अनुमान इनके स्थानीय नाम ‘काल बैसाखी’ से
लगाया जा सकता है जिसका अर्थ है वैशाख के महीने में आने वाली तूफानी हवाएं। यह
वर्षा चाय, पटसन व चावल के लिए अच्छी होती है। असम में इन तूफानों को ‘बारदोली
छीड़ा’ कहा जाता है।
लू :- उत्तरी मैदानों में पंजाब से बिहार तक चलने वाली गर्म, शुष्क
व पीड़ादायक पवनें Loo कहलाती हैं। दोपहर में चलने वाली इन हवाओं की तीव्रता दिल्ली
और पटना के बीच अधिक होती है।