Career and scope in Geography
v इसमें सरकारी व प्राइवेट, दोनों क्षेत्रों में काम की प्रचुरता है।
v
स्कूल-कॉलेज,
- Teachers & Lecturer
v
मैप पब्लिशर
v
ट्रेवल एजेंसियां
v
ज्योग्राफिकल सर्वे
ऑफ
इंडिया,
v
मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट,
v
रिसर्च इंस्टीटय़ूट,
v
इसके
अलावा एनजीओ
v कार्टोग्राफर- इनका काम नक्शा, चार्ट, ग्लोब और मॉडल तैयार करना होता है। ज्यादातर कार्टोग्राफर न्यूज मीडिया, बुक पब्लिशिंग हाउस, सरकारी एजेंसियों में काम पाते हैं।
v सर्वेयर- इस रूप में प्रोफेशनल्स गणितीय गणनाओं और फील्ड वर्क के आधार पर पृथ्वी की सतह का नक्शा लेते हैं। इनकी नियुक्ति सर्वे ऑफ इंडिया, स्टेट सर्वे डिपार्टमेंट या अन्य प्राइवेट संस्थानों में होती है।
v ड्राफ्टर- इनका काम इंजीनियर व आर्किटेक्चर के साथ-साथ आगे बढ़ता है, खासकर प्लानिंग, हाउसिंग एवं डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के दौरान स्थान एवं उसकी उपयोगिता तय करने में।
v गवर्नमेंट एम्प्लॉयर- केंद्रीय एजेंसियां ज्यादातर ज्योग्राफर को मैपिंग, इंटेलीजेंस वर्क, रिमोट सेंसिंग के रूप में रोजगार देती हैं, जबकि राज्य स्तरीय व स्थानीय एजेंसियां प्रोफेशनल्स को प्लानिंग एवं डेवलपमेंट कमीशन में काम देती हैं।
v
अर्बन/रीजनल प्लानर- शहरी क्षेत्रों की भूमि पर
बसावट व नई कॉलोनियां
विकसित करने के अलावा ग्रामीण
इलाकों में गैस प्लांट लगाने या अन्य सर्वे
से संबंधित काम इन्हीं के जिम्मे होता
है। वे प्रॉपर्टी मालिक,
डेवलपर
के
साथ
मिलकर
काम
करते
हैं।
v
GIS स्पेशलिस्ट- स्थानीय सरकार, देश की प्रमुख एजेंसियों व अन्य सरकारी एजेंसियों
सहित प्राइवेट एजेंसियों को
जीआईएस स्पेशलिस्ट की जरूरत पड़ती
है।
v
क्लाइमैटोलॉजिस्ट- नेशनल वेदर सर्विस, न्यूज मीडिया, वेदर चैनल व अन्य मौसम से संबंधित एजेंसियों
को क्लाइमैटोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ती
है। मटीरियोलॉजी
व
क्लाइमैटोलॉजी
का गहरा ज्ञान रखने वाले प्रोफेशनल्स इसमें काफी सफल रहते हैं।
v
ट्रांसपोर्टेशन मैनेजर- शिपिंग व स्थानीय ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी, लॉजिस्टिक व ट्रांसपोर्टेशन कंपनियों
को इनकी जरूरत पड़ती है। इसके लिए भूगोल का बैकग्राउंड होना
जरूरी है।
v
एन्वायर्नमेंटल मैनेजर- वातावरण का प्रभाव, वायुमंडल
को स्वच्छ बनाने, रिपोर्ट देने और मौसम विभाग
से जुड़ी जानकारियों के लिए कंपनियां
इन्हें अपने यहां काम देती हैं। आने वाले समय में इसमें रोजगार की व्यापक संभावनाएं
नजर आ रही हैं।
v
साइंस राइटर- विषय का अच्छा ज्ञान रखने और लिखने के शौकीन लोगों को न्यूजपेपर, मैगजीन, टीवी चैनल में कदम-कदम पर अवसर मौजूद हैं। चाहें
तो फ्रीलांसर राइटर के रूप में
भी काम कर सकते हैं।
v
रिसर्चर/टीचिंग- कई
सरकारी व प्राइवेट एजेंसियां व संस्थान हैं,
जो भौगोलिक
व
मौसम
संबंधित
सर्वे करवाते रहते हैं। इसमें रिसर्चर की मांग होती
है। इसके अलावा स्कूल-कॉलेजों में टीचिंग के रूप में अवसर मौजूद हैं।
v 1. Travel Journalism
v 2.Travel agencies
v 3.Manufacturing firms
v 4.Real estate
v 5.Communication and Transportation
v 6.Forest managers ,
v 7.Demographers,
v 8.Remote Sensing etc.
v
v भूगोल सभी विषयों की जननी कहलाता है।
v इसका सीधा संबंध मानव जीवन से है।
v पिछले दो दशक से भूगोल के क्षेत्र में नई क्रांति आई है।
v जीपीएस, जीआईएस, रिमोट सेंसिंग, सेटेलाइट आदि कई क्षेत्रों में तकनीकी दखल के चलते भूगोल का महत्व और भी बढ़ गया है।
v ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज और जैव विविधता के अध्ययन में भूगोल ने खासा योगदान दिया है।
v आपको हर साल बड़ी संख्या में ऐसे छात्र मिलेंगे, जिन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा (IAS etc) में भूगोल के जरिए सफलता हासिल की है।
v सड़क निर्माण, सरकारी व प्राइवेट विभागों के अलावा आर्मी में भूगोल का ज्ञान काम आता है।
v
v छात्रों को यह बात गांठ बांध लेनी होगी कि भूगोल पर तभी अच्छी पकड़ बन सकती है, जब वे मानचित्र का गहराई से अध्ययन करें।
मिलने वाली सेलरी
Ø काम, अनुभव व संस्थान के हिसाब से उन्हें आकर्षक सेलरी भी दी जाती है।
Ø सरकारी एजेंसियों की तुलना में प्राइवेट संस्थान प्रोफेशनल्स को ज्यादा मोटा वेतन देते हैं।
Ø इसमें प्रोफेशनल्स को शुरुआती चरण में 15-20 हजार रुपए प्रतिमाह की सेलरी मिलती है जबकि दो-तीन साल के अनुभव के बाद यही सेलरी बढ़ कर 30-35 हजार हो जाती है।
Ø जबकि उच्च पदों पर बैठे प्रोफेशनल्स को 1,20,000 रुपए प्रतिमाह का पैकेज मिल रहा है।
Ø कंसल्टेंट और फ्रीलांसर के रूप में काम करने पर उनकी विद्वता के हिसाब से भुगतान होता है।