- चार दशक लंबे राजनीतिक कार्यकाल के बाद वर्ष 2012 में प्रणब मुखर्जी देश के प्रथम नागरिक यानी राष्ट्रपति बने थे। वे भारत के 13वें राष्ट्रपति थे।
- प्रणब मुखर्जी ने सरकार तथा संसद में रहते हुए देश की अनुकरणीय सेवा के पचास वर्षों से अधिक की अवधि के अपने राजनीतिक जीवन के शिखर पर 25 जुलाई, 2012 को भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया था।
- प्रणब दा एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें शासन का बेजोड़ अनुभव था और उन्हें समय-समय पर, विदेश, रक्षा, वाणिज्य और वित्त मंत्री के रूप में सेवा करने का बेजोड़ अनुभव भी प्राप्त था। उन्हें 1969 से पांच बार संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) के लिए और 2004 से दो बार संसद के निम्न सदन (लोक सभा) के लिए चुना गया। वे 23 वर्षों तक पार्टी की सर्वोच्च नीति-निर्धारक संस्था कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य रहे।
- वर्ष 2004-2012 की अवधि के दौरान उन्होंने प्रशासनिक सुधार, सूचना का अधिकार, रोजगार का अधिकार, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, मैट्रो रेल आदि की स्थापना जैसे विभिन्न मुद्दों पर, इस उद्देश्य के लिए गठित 95 से अधिक मंत्री समूहों की अध्यक्षता करते हुए सरकार के लिए महत्त्वपूर्ण निर्णयों तक पहुंचने में अग्रणी भूमिका निभाई थी। सातवें और आठवें दशक में उन्होंने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (1975) तथा भारतीय एक्जिम बैंक के साथ ही राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (1981-82) की स्थापना में भूमिका निभाई थी। प्रणब दा ने 1991 में केंद्र और राज्यों के बीच संसाधनों के बंटवारे का संशोधित फार्मूला भी तैयार किया था, जिसे गाडगिल-मुखर्जी फार्मूला के नाम से जाना जाता है।
- भारत के जीवंत बहुदलीय लोकतंत्र में, विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच एकता स्थापित करने की अपनी योग्यता के द्वारा जटिल राष्ट्रीय मुद्दों पर आम सहमति बनाने की अपनी भूमिका के लिए उनकी सराहना की जाती है।
- एक साधारण परिवार के प्रणब मुखर्जी ने स्वतंत्रता सेनानी श्री कामदा किंकर मुखर्जी और राजलक्ष्मी के पुत्र के रूप में पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले में एक छोटे से गांव मिराती में, 11 दिसंबर, 1935 को जन्म लिया था। प्रणब दा के पिता एक कांग्रेसी नेता थे, जिन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के कारण, कई बार जेल जाने सहित, बहुत से कष्टों का सामना करना पड़ा था।
- मुखर्जी ने कोलकाता विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि तथा विधि में उपाधि प्राप्त की थी। इसके बाद, उन्होंने कॉलेज शिक्षक और पत्रकार के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन शुरू किया। राष्ट्रीय आंदोलन में, अपने पिता के योगदान से प्रेरणा लेकर श्री मुखर्जी संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) में चुने जाने के बाद, वर्ष 1969 में पूरी तरह सार्वजनिक जीवन में कूद पड़े थे।
- उन्होंने 1982 में पहली बार, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में भारत के वित्तमंत्री का पद ग्रहण किया और 1980 से 1985 तक संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) में सदन के नेता रहे। बाद में, वे 1991 से 1996 तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष, 1993 से 1995 तक वाणिज्य मंत्री, 1995 से 1996 तक विदेश मंत्री, 2004 से 2006 तक रक्षा मंत्री तथा पुन: 2006 से 2009 तक विदेश मंत्री रहे। वे 2009 से 2012 तक वित्त मंत्री रहे तथा 2004 से 2012 तक राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए त्याग-पत्र देने तक संसद के निम्न सदन के नेता रहे।
- प्रणब दा को बहुत से पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए, जिनमें 2008 में भारत का द्वितीय उच्चतम् असैनिक पुरस्कार पद्म विभूषण, 1997 में सर्वोत्तम सांसद का पुरस्कार तथा 2011 में भारत में सर्वोत्तम प्रशासक पुरस्कार शामिल है। न्यूयॉर्क से प्रकाशित होने वाले जर्नल ‘यूरो मनी’ द्वारा आयोजित सर्वेक्षण के अनुसार उन्हें 1984 में विश्व के सर्वोत्तम पांच वित्त मंत्रियों में शुमार किया गया था तथा विश्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के लिए जर्नल ऑफ रिकार्ड, ‘एमर्जिंग मार्केट्स’ द्वारा उन्हें 2010 में एशिया के लिए ‘वर्ष का वित्त मंत्री’ घोषित किया गया था।
- पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का विवाह रवीन्द्र संगीत की निष्णात गायिका और कलाकार स्वर्गीय श्रीमती सुव्रा मुखर्जी (17.09.1940-18.08.2015) से हुआ था। उनके दो पुत्र और एक पुत्री हैं।