Skip to main content

Atal Tunnel FACTS 03.10.2020

 

Atal Tunnel

  1. दुनिया में ऊंचाई पर बनी सबसे लंबी 'अटल टनल' का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने किया. ये दुनिया की सबसे लंबी हाइवे सुरंग बताई जा रही है.। 
  2. हिमालय की दुर्गम घाटियों में पहाड़ काटकर बनाई गई यह सुरंग समुद्रतल से 3,060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. 
  3. इस टनल का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के सम्मान में उनके नाम पर रखा गया है. 
  4. मोदी सरकार ने दिसम्बर 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री के सम्मान में सुरंग का नाम अटल सुरंग रखने का निर्णय किया था, जिनका निधन 2018 में हो गया था. 
  5. यह 10.5 मीटर चौड़ी है और 10,000 फीट की ऊंचाई पर इस टनल को बनाने में 10 साल लगे हैं. इसे रोज 3,000 कारों और 1,500 ट्रकों का ट्रैफिक झेलने के लिहाज से बनाया गया है
  6. इस सुरंग के खुल जाने से हिमाचल प्रदेश के कई ऐसे इलाके जो सर्दियों में बर्फबारी के चलते बाकी देश से कट जाते थे, वे पूरे साल संपर्क में रहेंगे. मनाली और लेह की दूरी भी इससे खासी कम हो जाएगी. 
  7. अभी रोहतांग पास के जरिए मनाली से लेह जाने में 474 किलोमीटर का सफर तय करना होता है और अटल टनल से यह दूरी घटकर 428 किलोमीटर रह जाएगी.  
  8. टनल के भीतर कटिंग एज टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल किया गया है.
  9. मनाली से सिस्‍सू तक पहुंचने में 5 से 6 घंटे लग जाते थे, अब यह दूरी सिर्फ एक घंटे में पूरी की जा सकती है. 
  10. यह टनल बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने बनाई है.
  11. सुरंग में अग्नि शमन, रोशनी और निगरानी के व्यापक इंतजाम किये गए हैं.
  12. इस उपलब्धि पर पूरा देश गौरवान्वित है तो अपने लाल की उपलब्धि पर आगरा भी फूला नहीं समा रहा है। आगरा के शमसाबाद रोड निवासी ब्रिगेडियर मनोज कुमार (सेवानिवृत्त) पौने तीन वर्ष तक उसके निर्माण से जुड़े रहे। जब कार्यदायी संस्था ने काम को असंभव बताकर हाथ खड़े कर दिए थे, तब ब्रिगेडियर मनोज कुमार की सूझ-बूझ से ही सैरी नाले पर टनल बन सकी। 
  13. इससे उन्होंने करीब एक हजार करोड़ रुपये और प्रोजेक्ट में लगने वाला अतिरिक्त समय भी बचाया।
  14. ब्रिगेडियर मनोज कुमार वर्ष 2014 से वर्ष 2016 के अंत तक करीब पौने तीन वर्ष रोहतांग से लेह तक बनाई गई 9.02 किमी लंबी अटल टनल से जुड़े रहे। 



  15. सीमा सड़क संगठन में चीफ इंजीनियर रहे ब्रिगेडियर मनोज कुमार के कार्यकाल में करीब 6.75 किमी टनल बनाई गई। उन्होंने बताया कि टनल का निर्माण आसान नहीं था। करीब 600 मीटर टनल सैरी नाले के नीचे बनाई गई है। इसमें दिक्कत यह थी कि हमारे खोदाई करते ही पानी और मलबा नीचे आने लगता था, जिससे काम करना बड़ा मुश्किल था। कार्यदायी संस्था ने काम से हाथ खड़े कर दिए थे। 
  16. उसने ऐसे अन्य मार्ग से टनल बनाने का प्रस्ताव दिया था, जहां नाले की चौड़ाई कम हो। 
  17. इसका प्रस्ताव उसने सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल आरएम मित्तल को भेज दिया था। कार्यदायी संस्था के प्रस्ताव का मैंने विरोध किया और रक्षा सचिव से मुलाकात की। 
  18. प्रेजेंटेशन देकर कहा कि चार वर्ष से हम यहां फंसे हुए हैं, मुझे एक माह का समय दीजिए। 
  19. रक्षा सचिव की अनुमति मिलने के बाद मैं अपनी टीम के साथ काम में जुट गया। जिद पकड़ ली थी कि इसे पार करके रहूंगा। अपने बच्चे की तरह मैंने टनल पर ध्यान दिया। इसी जुड़ाव से यह काम पूरा हो सका। 
  20. 31 दिसंबर, 2015 को हमने सैरी नाले पर टनल का काम पूरा कर लिया। इसकी जानकारी जब तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को मिली तो उन्होंने मुझे शाबासी दी। इ
  21. ससे नए रास्ते से टनल बनाने पर व्यय होने वाले करीब एक हजार करोड़ रुपये और दो वर्षों का अतिरिक्त समय बच गया।