पहला सुख निरोगी काया,
दूजा सुख घर में हो माया।
तीजा सुख कुलवंती नारी,
चौथा सुख पुत्र हो आज्ञाकारी।
पंचम सुख स्वदेश में वासा
छठवा सुख राज हो पासा। सातवा सुख संतोषी जीवन,
ऐसा हो तो धन्य हो जीवन ।
कुछ वस्तुएं समीप जाने से बिना माँगे ही मिल जाती है। अग्नि से गर्माहट, बर्फ से शीतलता, और गुलाब से सुगन्ध । ईश्वर से भी कुछ माँगिये मत बस निकटता बढ़ाईये सब कुछ बिना माँगे मिलने लगेगा ।
अच्छे के बदले सरल...
बनने का प्रयास करें...!
क्योंकि...
अच्छा मात्र आंखों तक...
पहुँच पाता है...
जबकि सरल हृदय तक...!!
कुछ नेकी करके बदले में कुछ पाने की आस ना रखें, इससे आपका किया सब व्यर्थ हो जाता है ।
जीवन उन लोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ है
जो इसका आनंद ले रहे हैं ....
उन लोगों के लिए मुश्किल है जो इसका विश्लेषण कर रहे हैं, और
उन लोगों के लिए सबसे खराब है जो इसकी आलोचना कर रहे हैं....