केदारनाथ आपदा, (Kedarnath Disaster) 16-17 जून 2013 को केदारनाथ घाटी में आई थी। इस आपदा में हजारों लोगों की जान गई थी। केदारनाथ आपदा में 4700 तीर्थ यात्रियों के शव बरामद हुए जबकि पांच हजार से अधिक लापता हो गए थे।
केदारनाथ आपदा, (Kedarnath Disaster) की मुख्य वजह केदारनाथ मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर ऊपर बनी चोराबाड़ी झील (Chorabari Lake, also known as Gandhi Sarovar) (ग्लेशियर झील) थी। इस झील के ऊपरी चोराबाड़ी जलग्रहण क्षेत्र में 16 जून 2013 की रात को लगातार बारिश होने और बर्फ के तेजी से पिघलने के कारण हिमनद (ग्लेशियर) से हिमस्खलन (avalanche) हुआ। जिससे चोराबाड़ी झील का जल स्तर 7 मीटर (लगभग 23 फीट) बढ़ गया। 17 जून की सुबह, हिमस्खलन (avalanche) के कारण बहुत अधिक बर्फ अचानक पहाड़ों से नीचे खिसक कर झील में गिर गई, जिससे झील के पानी में तेज हलचल हुई और पानी ने झील के तटबंधों पर भारी दबाव डाला, जिसके धक्के से झील का बाँध टूट गया और पानी बहुत अधिक तीव्र गति से नीचे केदारनाथ घाटी में गिरा। यह नीचे गिरता पानी अपने साथ विशाल चट्टानें और बड़ी मात्रा में मलबा लेकर आया। किनारे टूटने के कारण चोरबाड़ी झील केवल पांच से दस मिनट में पूरी खाली हो गई। झील से निकलने वाले पानी की मात्रा 262,000,000 लीटर (212.4 एकड़-फीट) होने का अनुमान लगाया गया और चरम निर्वहन दर (the peak discharge rate) लगभग 1,700 एम3 (60,000 घन फीट) प्रति सेकंड होने का अनुमान लगाया गया था। यह पानी तबाही मचाते हुए नीचे उतरा और हजारों लोगों, इमारतों और जो कुछ भी रास्ते में आया, सब को बहाते हुए ले गया।
केदारनाथ आपदा, (Kedarnath Disaster) के बाद के दृश्य |
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