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Deenbandhu Chhoturam Death Anniversary (किसानों के मसीहा दीनबंधु छोटूराम की पुण्यतिथि) January 9, 2021

 

Deenbandhu Chhoturam Death Anniversary: जानें कौन हैं किसानों के मसीहा दीनबंधु छोटू राम?

छोटू राम ने प्रथम विश्व युद्ध में रोहतक के 22 हजार से ज्यादा को सेना में भरती होने के लिए प्रेरित किया। ब्रिटिश शासनकाल में उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। वह पंजाब राज्य के एक बहुत सम्मानित मंत्री थे। उन्होंने वहां के विकासमंत्री के तौर पर भी काम किया था।

 
Deenbandhu Chhoturam Death Anniversary: जानें कौन हैं किसानों के मसीहा दीनबंधु छोटू राम?
Deenbandhu Chhoturam Death Anniversary: जानें कौन हैं किसानों के मसीहा दीनबंधु छोटू राम?
January 9, 2021 किसानों के मसीहा दीनबंधु छोटूराम की पुण्यतिथि है। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। राजनाथ सिंह ने कहा कि किसानों के मसीहा और ‘दीनबंधु’ छोटूराम जी की पुण्यतिथि पर मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। उन्होंने पराधीन भारत में कृषि की समस्याओं के निदान के लिए संघर्ष किया एवं किसानों के हित में कानून बनवाने का भी काम किया। राजनाथ सिंह ने कहा कि वे हमारे लिए एक आदर्श और प्रेरणा के स्रोत हैं। आइए जानते हैं कौन थे दीनबंधु छोटूराम...

चौधरी छोटूराम का जन्म 24 नवंबर 1881 में पंजाब प्रांत में रोहतक (अब हरियाणा) के गांव गढ़ी सांपला में हुआ था। उनका असली नाम रिछपाल था। घर में सबसे छोटे होने के कारण उनका नाम छोटू राम पड़ गया। उनकी प्राथमिक शिक्षा गांव के स्कूल से हुई। 11 साल की उम्र ही उनकी शादी ज्ञानो देवी से हो गई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के क्रिश्चियन स्कूल में एडमिशन ले लिया। उन्होंने 1905 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। 1910 में उन्होंने आगरा कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की।

पंजाब प्रांत में विकासमंत्री के रूप में किया काम
उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम किया। उनके प्रयासों से जाट आर्य-वैदिक संस्कृत हाई स्कूल खुला जिसने अपनी अलग पहचान बनाई। छोटू राम ने प्रथम विश्व युद्ध में रोहतक के 22 हजार से ज्यादा को सेना में भरती होने के लिए प्रेरित किया। ब्रिटिश शासनकाल में उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी।पंजाब राज्य के एक बहुत सम्मानित मंत्री थे। उन्होंने वहां के विकासमंत्री के तौर पर भी काम किया था।

किसानों की अनदेखी पर छोड़ी थी कांग्रेस
वकालत करने के बाद जब उस समय अधिकतर लोग ब्रिटिश इंडियन आर्मी और जाट प्रिंसली स्टेट में शामिल हो रहे थे उस समय में छोटूराम ने राजनीति को चुना। छोटूराम 1916 में कांग्रेस में शामिल हो गए। 1920 में वह रोहतक जिला कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बनाए गए। इससे पहले 1915 में उन्होंने अपना न्यूजपेपर जाट गजट भी लॉन्च कर दिया था। गांधीजी के असहयोग आंदोलन में किसानों की अनदेखी के मुद्दे पर छोटूराम ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। उन्होंने सर फजले हुसैन और सर सिकंदर हयात खान के साथ मिलकर जमींदारा पार्टी बनाई। बाद में इसका नाम यूनियनिस्ट पार्टी हो गया।

प्रांतीय चुनाव में जीती 175 में से 99 सीट
छोटूराम की पार्टी ने 1937 में पंजाब के प्रांतीय चुनाव में 175 में से 99 सीट पर जीत हासिल की। जबकि कांग्रेस और मुस्लिम लीग को 19 सीट मिली। इस चुनाव में खालसा नेशनलिस्ट पार्टी को 13 और हिंदू महासभा को 12 सीट ही मिली। यूनियनिस्ट पार्टी की सफलता के पीछे वजह थी कि छोटूराम की पार्टी को हिंदू, जाट, मुस्लिम समुदाय के साथ ही जमीदारों का भी समर्थन प्राप्त था।

क्रांतिकारी सुधार से बदल दिया पंजाब का चेहरा
दीनबंधु छोटू राम ने क्रांतिकारी सुधारों से पंजाब की सूरत बदल दी। उन्हें साल 1930 में दो महत्वपूर्ण कानून पारित कराने का श्रेय दिया जाता है। ये कानून थे पंजाब रिलीफ इंडेब्टनेस, 1934 और द पंजाब डेब्टर्स प्रोटेक्शन एक्ट, 1936। इन कानूनों में कर्ज का निपटारा किए जाने, उसके ब्याज और किसानों के मूलभूत अधिकारों से जुड़े हुए प्रावधान थे। 1938 में साहूकार रजिस्ट्रेशन एक्ट पारित हुआ। गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी एक्ट-1938, कृषि उत्पाद मंडी अधिनियम - 1938, व्यवसाय श्रमिक अधिनियम- 1940 और कर्जा माफी अधिनियम- 1934 कानून को पारित कराने में भी छोटूराम की अहम भूमिका रही।


भाखड़ा नंगल बांध का दिया था आइडिया
बहुत कम लोग जानते हैं कि वह छोटू राम ही थे जिन्होंने भाखड़ा बांध के निर्माण की कल्पना की थी। उसने पंजाब सरकार के साथ बिलासपुर के राजा के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसका अधिकार सतलज नदी के पानी पर था। उन्होंने मरने से कुछ महीने पहले ही समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

जब सरदार पटेल ने की थी छोटूराम की तारीफ
छोटूराम का कद और व्यक्तित्व इतना बड़ा था कि सरदार पटेल भी उनके मुरीद थे। एक बार सरदार पटेल ने छोटूराम के बारे में कहा था कि आज चौधरी छोटूराम जीवित होते तो पंजाब की चिंता हमें नहीं करनी पड़ती, छोटूराम जी संभाल लेते। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कितने कद्दावर आदमी थे। साल 2018 में पीएम मोदी ने रोहतक के सांपला में छोटूराम की 64 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया था। 9 जनवरी, 1945 को सर छोटू राम का निधन हो गया।

हाइलाइट्स:

  • 1881 में पंजाब प्रांत में रोहतक (अब हरियाणा) के गांव गढ़ी सांपला में हुआ जन्म
  • किसानों की अनदेखी पर नाराज होकर छोड़ी थी कांग्रेस
  • प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान छोटूराम ने 22 हजार जाट सैनिक भर्ती करवाए थे