पूर्वजों को जवां बनाए रखती थीं उनकी ये 10 खास आदतें, जीते थे 100 साल से लंबी उम्र
1. देसी घी का जमकर उपयोग
हमारी दादी-नानी अधिकतर काम खुद ही करती थीं। जैसे, घर में ही दही, छाछ और घी बनाना, चक्की से आटा पीसना, सूखे और खड़े मसाले घर पर ही तैयार करना इत्यादि। इसलिए वे अपने खाने में देसी घी, तिल का तेल, नारियल तेल इत्यादि का जमकर उपयोग करते थीं।
दादाजी-नानाजी तो नहाने से पहले अपने सिर में देसी घी की मालिश किया करते थे। यानी उनकी लाइफ में फैट के लिए हम लोगों की तरह कोई 'नो' नहीं था। वे फैट का उपयोग दैनिक जीवन में करते थे। खासतौर पर स्वस्थ और हेल्दी फैट, इनमें भी देसी घी प्रमुख रहता था। इससे उनकी त्वचा सालों-साल जवां बनी रहती थी।
2.दोपहर के खाने में दाल जरूर होती थी
हर दिन दाल और चावल का उपयोग आपके बाल, आपकी त्वचा और आपके नाखूनों को प्राकृतिक रूप से सुंदर बनाता है। यही वही है कि हमारे पूर्वजों के बाल 80 साल की उम्र में भी घने और मोटे बने रहते थे।
3. खड़े मसालों का उपयोग
जबकि हम लोग ज्यादातर मसाले पिसे हुए खरीदते हैं। इनकी शुद्धता की कोई गारंटी भी हमें पता नहीं होती। साथ ही लंबे समय तक इन्हें स्टोर करने से इनकी प्राकृतिक सुगंध फीकी पड़ने लगती है। नतीजा यह होता है कि हमारे शरीर और त्वचा को इनका पूरा पोषण नहीं मिल पाता।
4.सब्जियों का छिलके सहित उपयोग करना
ऐसा इसलिए क्योंकि छिलकों सहित सब्जी और फलों का उपयोग करने से हमरे शरीर में पर्याप्त मात्रा में फाइबर्स जाते हैं। फाइबर्स वे महीन रेशे होते हैं, जो पाचन को सही बनाए रखते हैं। इससे हम जो भी खाते हैं उसका पूरा पोषण हमारे शरीर को प्राप्त होता है और हम जवां बने रहते हैं।
5. छाछ और लस्सी हर दिन
रात को सोने से पहले तांबे के बर्तन में पानी रख दिया जाता था और सुबह उठकर उकड़ू बैठकर लोग इस पानी का सेवन करते थे। इससे उनका पेट साफ रहता था और इसका असर उनके चेहरे की कांति पर साफ दिखता था। सर्दी के मौसम में वे धूप में बैठकर गुड़ के साथ छाछ पिया करते थे।
6. मीठा उनकी डायट का अभिन्न अंग था
ऐसा करने से उनकी त्वचा के टॉक्सिन्स क्लीन होते थे और शरीर में ऊर्जा रहती थी। साथ ही पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन रहता था। इस कारण उनके चेहरे पर नैचरली रेडिऐंट ग्लो रहा करता था।
दरअसल, गुड़ खाने से लीवर की सफाई होती है। महिलाओं को पीरियड्स के दौरान दर्द और क्रैप्स कम आते हैं। शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं। इसलिए हमारे पूर्वज हर दिन एक गुड़ खाया करते थे। इसे तो आप आज भी आपनी डायट का हिस्सा बनाकर स्वस्थ रह सकते हैं। यदि आपको शुगर नहीं है तब।
7. मौसम के हिसाब से सब्जी का उपयोग
इससे हमारे शरीर को सही पोषण मिलता है। इसका असर यह होता है कि मौसम बदलने के कारण हेयर फॉल की दिक्कत नहीं होती है। त्वचा संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं। हेयर ग्रोथ, नेल ग्रोथ, नेल शाइन और स्किन ग्लो सबकुछ मेंटेन रहता है। इसलिए हमारे पूर्वज बिना कॉस्मेटिक्स के उपयोग के भी इतने आकर्षक लगते थे।
8. सप्ताह में एक व्रत जरूर
ऐसा करने से उनकी बॉडी डिटॉक्स हो जाती थी और त्वचा का ग्लो बरकरार रहता था। यानी हमारे पूर्वज बिना कॉस्मेटिक और बिना ताम-झाम के अपनी त्वचा को ग्लोइंग भी बनाते थे और उस ग्लो को मेंटेन भी रखने के लिए भी प्राकृतिक तरीका ही अपनाते थे।
9. फ्रेश चीजें खाना
इसके साथ ही हमारे पूर्वज लोकल फूड का उपयोग अधिक करते थे। क्योंकि ऐसा करने से उन्हें अपने आस-पास के वातावरण के हिसाब से पोषक तत्वों की प्राप्ति होती थी। जबकि हम लोग दुनिया के अलग-अलग देशों से आए हुए फ्रूट्स और फूड्स का सेवन करते हैं।
10. रात को सोने से पहले दूध पीना
ये अच्छी और गहरी नींद में मदद करते हैं। इससे सुबह के समय एकदम फ्रेश होकर आंखें खुलती हैं। यही वजह है कि हमारे दादी-दादा बुढ़ापे में भी सुबह 5 बजे जगकर स्नान कर लेते थे, वो भी हैंडपंप के पानी में। और हम लोगों की गीजर के पानी में भी इतनी सुबह नहाने की हिम्मत नहीं होती है।
11. सबसे प्रभावी रहा है यह तरीका
ऐसा करने से उनका शरीर हमेशा स्वस्थ रहता था। पाचन सही रहता था और स्लीप साइकल मेंटेन रहता था। ना तो उन्हें हॉर्मोनल डिसबैलंस की समस्या होती थी और ना ही मानसिक तनाव इत्यादि का सामना करना पड़ता था। स्वस्थ शरीर का प्रभाव उनकी त्वचा के सौंदर्य पर अलग ही रौनक रखता था। यही वजह थी कि 80 और 100 साल की उम्र में भी हमारे पूर्वजों की झुर्रियों में भी ग्लो दिखता था। अगर आप भी चाहते हैं कि बिना केमिकल और कॉस्मेटिक्स के आप भी चिरयुवा नजर आएं तो यहां बताई गई बातों को जीवन में उतार लीजिए।