Extracurricular Activities and their Benefits in Career Selection
विद्यार्थियों को स्कूल के समय से
लेकर कॉलेज तक पढ़ाई के साथ-साथ एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटीज़ करने पर फोकस करना चाहिए।
जैसे - स्पोर्ट्स एंड गेम्स, आर्ट्स, फैशन डिजाइनिंग,
ग्राफ़िक डिजाइनिंग, हाईकिंग, सिंगिंग, डांस, ड्रामा,
फोटोग्राफी, खेलना, कूदना, स्विमिंग, डांसिंग, म्यूजिक
सुनना आदि।
इन एक्स्ट्रा
करिकुलम एक्टिविटीज़ से छात्र अपने शौक पूरे करने के साथ-साथ कई स्किल्स भी
विकसित करते हैं। जो आगे चलकर उन्हें अपना करियर चुनने में मदद करते हैं।
प्रमुख
एक्स्ट्रा करिकुलम एक्टिविटी?
स्पोर्टस, जैसे
- वॉलीबॉल, बास्केट बॉल, क्रिकेट, स्विमिंग, जिमनास्टिक,
शतरंज, खो – खो आदि। इनसे स्टूडेंट्स का ना केवल मनोरंजन होता है
बल्कि तनाव भी दूर होता है और शरीर का विकास होता है। जैसे खेलों में अपना करियर
भी बना सकते हैं। खेल खेलने से आजकल नेशनल व इंटरनेशनल लेवल के खिलाड़ी तैयार होते
हैं। इससे उनकी आमदनी भी बढ़ती है और उन्हें विश्व भर में लोग पहचानने लगते हैं। जैसे
– नीरज चोपड़ा।
एक्टिंग या ड्रामा
- इसमें स्टूडेंट्स किसी किरदार की एक्टिंग करते हैं। इसे करने से स्टूडेंट्स के
अंदर छिपी हुई अभिनय शक्ति विकसित होती है। आगे चलकर ऐसे स्टूडेंट्स फिल्मों,
टीवी सीरियल, डॉक्यूमेंट्री फिल्म में काम
करने लग जाते हैं और पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो जाते हैं।
इंटर्नशिप, कॉलेज में एजुकेशन के समय इसके
अंतर्गत स्टूडेंट्स को दूसरी कंपनी और संस्थानों में कुछ समय के लिए काम करने का
मौका मिलता है। इससे उन्हें बहुत लाभ होता है। उन्हें प्रैक्टिकल नॉलेज मिलती
है। किताबों से बाहर किस तरह काम किया जाता है उन्हें यह जानकारी प्राप्त होती है।
डिबेट, इसमें किसी भी विषय पर चर्चा की
जाती है और अंत में उन्हें एक निष्कर्ष तक
पहुंचना होता है। इसे करने से स्टूडेंट में तर्क शक्ति का विकास होता है।
डिबेट करने से छात्रों का मानसिक विकास बहुत अच्छी तरह से होता है।
टीम वर्क या कम्युनिटी
वर्क, इसके तहत छात्रों को समाज में सेवा
करने का भाव पैदा होता है तथा वे समाज को समझ पाते हैं। कम्युनिटी सर्विस, जैसे - NSS में आसपास की सफाई करना, गंदगी को साफ करना,
पेड़ पौधे लगाना, गरीब असहाय लोगों की मदद
करना, दृष्टिहीन लोगों को सड़क पार कराना जैसे काम शामिल है।
एक्स्ट्रा
करिकुलम एक्टिविटीज के फायदे
1. कॉन्फिडेंस
लेवल बढ़ता है।
2. करियर
बनाने में मदद मिलती है। (कंपनियां आजकल किसी को जॉब देते समय सिर्फ क्वालिफिकेशन
ही नहीं देखती, बल्कि वे चाहती हैं कि उसमें
सभी तरह के स्किल्स हों।)
3. छात्रों
में मानसिक तनाव कम होता है।
4. बोरियत कम होती है।
5. स्टूडेंट्स की परफ़ोर्मेंस बढ़ती है।