👉हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदान दिवस (National Voters' Day) मनाया जाता है, जिसका उदेश्य युवाओं को मतदान के लिए जागरुक करना है।
👉किसी भी लोकतांत्रिक देश की ताकत उसके मतदाता (Voter) होते हैं।
👉जिस देश में मतदाता अपने मतदान को लेकर जितने जागरूक होते हैं, वो देश उतना ही विकसित होता है।
👉जिस देश में मतदाता अपने मतदान को लेकर जितने जागरूक होते हैं, वो देश उतना ही विकसित होता है।
👉राष्ट्रीय मतदान दिवस को देश के लोकतंत्र का त्योहार भी कहते हैं।
👉भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा युवा मतदाता हैं।
👉ऐसे में मतदान के महत्व को समझते हुए लोगों को जागरूक करने के लिए राष्ट्रीय मतदान दिवस की शुरूआत की गई।
👉पहली बार राष्ट्रीय मतदाता दिवस की शुरूआत 25 जनवरी 2011 में हुई थी।
👉जिसके बाद हर साल 25 जनवरी राष्ट्रीय मतदान दिवस के तौर पर मनाया जाने लगा।
👉25 जनवरी, भारत निर्वाचन आयोग (ECI, Election Commission of India) का स्थापना दिवस है जो 1950 को अस्तित्व में आया था।
👉इस दिन को पहली बार 2011 में मनाया गया था ताकि युवा मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
Important of ONE VOTE👉भारत में एक वोट से हारने वालों में सबसे पहला रिकॉर्ड AR Krishan Murthy के नाम दर्ज है। वे 2004 के असेंबली इलेक्शन में अपने प्रतिद्वंद्वी ध्रुव नारायण से मात्र एक वोट से हार गए थे। कृष्ण मूर्ति को 40751 वोट मिले थे, जबकि ध्रुव नारायण को 40752 वोट मिले थे। यहाँ रोचक बात यह है कि इसी इलेक्शन में कृष्णमूर्ति ने अपने ड्राइवर को वोट डालने से स्वयं ही रोक दिया था।
👉 In 1998 Vajpayee government last by One Vote, which cast by Giridhar Goomango (Cm of Orissa) who had not resigned his MP Seat.
* वर्ष 2009 के छावनी परिषद के चुनावों में भाजपा की रचना विजयवर्गीय (3994 वोट), काँग्रेस की साधना जयसवाल से (3995 वोट) केवल एक वोट से हार गई थी।
*राजस्थान विधान सभा चुनाव में सी.पी. जोशी, नाथद्वार सीट से भाजपा उम्मीदवार कल्याण सिंह चौहान से एक वोट से हार गए
[Note:-Surprisingly, his mother, wife and driver reportedly didn't turn up to vote on the polling day)
An Example of One Vote Importance, Where I have given my Duty as a Presiding Officer
👉पहले मतदाता की पात्रता आयु 21 वर्ष थी लेकिन 1988 में इसे घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया था. 1998 के साठवें संशोधन विधेयक ने भारत में मतदाता पात्रता की आयु कम कर दी।
- आपकी आवाज
- आपका कर्तव्य
* भारत में एक वोट से हारने वालों में सबसे पहला रिकार्ड
*in 1923, one vole gave Adolf Hitler control of the Naji party. *In 1645, one vote gave aliver Cromwell control of England.
👉Lok Sabha चुनाव 2013 में काँग्रेस के जयतीर्थ ने राई क्षेत्र (Sonipat) से INLD के इन्द्रजीत को मात्र 3 वोट से हराया।
* मत देना अपना अधिकार, बदले में ना लो उपहार ।
* जाए, बोट डालने जाएं।
*घर - घर में साक्षरता ले जाएंगे, मतदाता को जागरूक बनाएंगे।
* कंट्री फर्स्ट वोट मस्ट (COUNTRY FIRST VOTE MUST)
MY VOTE MY IDENTY
MY VOTE MY GOVERNMENT
एक वोट से होता है जीत-हार का फैंसला
चानन जीते महज एक वोट से
रोचक मुकाबला गांव बीड़ सौंटी में भी रहा। अंत तक कांटे की टक्कर चाननराम व सुरेश के बीच रही। गांव में करीब 350 वोट हैं। चाननराम ने 99 तो सुरेश ने 98 मत पाए। चाननराम महज एक वोट से जीते।
पंचायत चुनाव 2016 में कुरुक्षेत्र जिले के लाडवा ब्लॉक के बीड़ सौंटी गाँव में 24-01-2016 को हुए सरपंची इलेक्शन में 'श्री चाननराम' केवल 1 वोट से विजयी हुए थे। वहाँ खुद मेरी पीठासीन अधिकारी के रूप में Duy थीं।
इतिहास में आज का दिन
67 साल पहले हुआ था चुनाव आयोग का गठन, इस दिन हर साल मतदाता दिवस मनाया जाता है 1950- में आज ही के दिन दिन भारतीय चुनाव आयोग का गठन हुआ था। संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन आने वाला चुनाव आयोग स्वायत्त, अर्द्धन्यायिक, संवैधानिक निकाय है। इसका मुख्य काम स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना है। इसके तहत उसे निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण करना, मतदाता सूची तैयार करना, राजनीतिक दलों को मान्यता और चुनाव चिह्न देना, नामांकन पत्रों की जांच करना, उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की जांच करना होता है। उसके काम में कार्यपालिका का कोई हस्तक्षेप नहीं होता। जबकि, आयोग को यह अधिकार है कि वह सरकार को ऐसे काम करने या घोषणाएं करने से रोक दे, जिससे मतदाता प्रभावित हो सकते हों। भारत के पहले चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे। अक्टूबर 1989 तक सिर्फ एक ही चुनाव आयुक्त हुआ करते थे। पर अब आयोग तीन सदस्यीय होता है।
खास >>> आयोग ने एक दिन पहले ही केंद्र को निर्देश दिया है कि वह 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट में पांच चुनावी राज्यों के लिए कोई विशेष योजना घोषित न करें
Mock trials of remote voting project soon: CEC
Poll panel to launch e-EPIC today, voters will be able to download photo ID card
SPECIAL CORRESPONDENT
NEW DELHI
Chief Election Commissioner Sunil Arora said on Sunday the trials of the Election Com- mission's remote voting pro- -ject would be carried out soon. In his television and ra- dio address on the eve of the National Voters Day, Mr. Aro- ra highlighted the vision of the EC going forward.
Research project
Chief Election Commissioner Sunil Arora. THE HINDU 25/01/21 ject will begin soon," he said.
We have already started a research project on remote voting using cutting-edge technology with IIT-Chennai and other leading institutions and it has made good pro- gress] Mock trials of this pro-
The system being deve loped by the IIT-M uses block chain for two-way remote voting at designated centres, an EC official had said when the project was started in
2020. Mr. Arora said "anoth- er significant change we can look forward to is grant of postal ballot facility to over seas electors"
He said the proposal under "active consideration" of the Union Law Ministry.
Digital move
In another development, electors will be able to down the elector photo ID card, or e-EPIC, from Monday with the Election Commission launching it during the Na- tional Voter Day celebration.
The EC said in a statement on Sunday that Law Minister Ravi Shankar Prasad would
hand out the e-EPICs to five new voters at the function.
The digital version of EP- ICs would be available for download from the voter hel- waspline app, voterportal.eci.go-
v.in and nvsp.in, the EC said. The e-EPIC would be a non-editable PDF version of the EPIC that can be down loaded on the phone and stored on the DigiLocker app or printed from a computer.
All general voters who have valid EPIC numbers would be able to do so from February 1 and those who ap plied in November and De- cember will be able to down- load it from Monday till January 31.
The Constitution (Sixty-first Amendment) Act, 1988 (Bill No. 129 of 1988)
which was enacted as THE CONSTITUTION (Sixty-first Amendment) Act, 1988 STATEMENT OF OBJECTS AND REASONS Article 326 of the Constitution provides that the elections to the House of the People and to the Legislative Assembly of every State shall be on the basis of adult suffrage, that is to say, a person should not be less than 21 years of age.
It has been found that many of the countries have specified 18 years as the voting age. In our country some of the State Governments have adopted 18 years of age for elections to the local authorities. The present-day youth are literate and enlightened and the lowering of the voting age would provide to the unrepresented youth of the country an opportunity to give vent to their feelings and help them become a part of the political process. The present-day youth are very much politically conscious. It is, therefore, proposed to reduce the voting age from 21 years to 18 years.
The 9th December, 1988.
THE CONSTITUTION (SIXTY-FIRST AMENDMENT) ACT, 1988 [28th March, 1989.]
An Act further to amend the Constitution of India.
BE it enacted by Parliament in the Thirty-ninth Year of the Republic of India as follows:-
1. Short title.- This Act may be called the Constitution (Sixty-first Amendment) Act, 1988.
2. Amendment of article 326.-In article 326 of the Constitution, for the words "twenty-one years", the words "eighteen years" shall be substituted.
Note:- चुनाव में जमानत जब्त होना किसे कहते हैं?
जब चुनाव में कोई उम्मीदवार कुल वैध मतों का 1/6 हिस्सा प्राप्त करने में नाकाम रहता है तो उसके द्वारा जमा की गयी जमानत राशि चुनाव आयोग द्वारा जब्त कर ली जाती है। दरअसल चुनाव का पर्चा भरते समय प्रत्याशियों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 34(1) के अनुसार ‘संसदीय निर्वाचन क्षेत्र’ के लिए चुनाव लड़ने के लिए 25 हजार रुपये की सिक्यूरिटी राशि और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लड़ने के लिए 10 हजार रुपये की राशि जमा करनी होती है।
जमानत राशि निम्न परिस्तिथियों में वापस की जाती है;
1. उम्मीदवार को चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची में नहीं दिखाया गया है, अर्थात, या तो उसका नामांकन खारिज कर दिया गया था या उसके नामांकन स्वीकार किए जाने के बाद, उसने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है। या
2. उम्मीदवार मतदान शुरू होने से पहले मर जाता है; या
3. वह चुनाव जीत जाता है; या
4. वह निर्वाचित नहीं है, लेकिन चुनाव में सभी उम्मीदवारों द्वारा मतदान किए गए कुल वैध मतों में से 1/6 से अधिक प्राप्त करता है।
5. यदि उम्मीदवार चुनाव जीत जाता है लेकिन वह कुल वैध मतों के 1/6 मत प्राप्त नहीं कर पाता है तो भी उसकी जमानत राशि वापस कर दे जाती है।
जी हैं हमारे देश में ऐसे भी कई मामले आ चुके हैं जब व्यक्ति कुल मतों का 1/6 मत भी प्राप्त नहीं कर पाता है तो भी उसे जीता हुआ माना जाता है क्योंकि उसने सबसे अधिक वोट प्राप्त किये होते हैं।
नोट: यदि उम्मीदवार ने कुल वैध मतों की कुल संख्या का ठीक ठीक1/6 वाँ हिस्सा प्राप्त कर लेता है तो भी जमानत जब्त मानी जाती है।