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You start dying slowly (आप धीरे धीरे मरने लगते हैं) Motivational Poem (प्रेरणादायक कविता)

नोबेल पुरस्कार विजेता ब्राजीली कवयित्री मार्था मेरिडोस की कविता "You Start Dying Slowly" का हिन्दी अनुवाद पढ़ें:-
You start dying slowly - Motivational Poem (प्रेरणादायक कविता)

आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप 
करते नहीं कोई यात्रा,
पढ़ते नहीं कोई किताब,
सुनते नहीं जीवन की ध्वनियां,
करते नहीं किसी की तारीफ़।

आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, जब आप 
मार डालते हैं अपना स्वाभिमान
नहीं करने देते मदद अपनी और न ही करते हैं मदद दूसरों की।

आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप 
बन जाते हैं गुलाम अपनी आदतों के,
चलते हैं रोज़ उन्हीं रोज़ वाले रास्तों पे,
नहीं बदलते हैं अपना दैनिक नियम व्यवहार,
नहीं पहनते हैं अलग-अलग रंग, या
आप नहीं बात करते उनसे जो हैं अजनबी अनजान।

आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप 
हीं महसूस करना चाहते आवेगों को,
और उनसे जुड़ी अशांत भावनाओं को,
वे जिनसे नम होती हों आपकी आंखें,
और करती हों तेज़ आपकी धड़कनों को।

आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप 
 हीं बदल सकते हों अपनी ज़िन्दगी को,
जब हों आप असंतुष्ट अपने काम और परिणाम से,
अग़र आप अनिश्चित के लिए नहीं छोड़ सकते हों निश्चित को,
अगर आप नहीं करते हों पीछा किसी स्वप्न का,
अगर आप नहीं देते हों इजाज़त खुद को,
अपने जीवन में कम से कम एक बार,
किसी समझदार सलाह से दूर भाग जाने की
तब आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं


इस कविता को ब्राज़ील की कवयित्री मार्था मेरिडोस (Martha Medeiros) ने लिखा है। इसे कई सालों से पाब्लो के नाम पर प्रसारित किया गया और किया जा रहा है। लेकिन पाब्लो नेरूदा फ़ाउंडेशन ने स्पष्ट किया कि इस कविता को उन्होंने नहीं लिखा है। 

यह कविता जीवन की आपाधापी के बीच प्रेरणा देती है। इसे पढ़कर आप उत्साहित महसूस करते हैं, अपनी इसी ख़ूबी के चलते यह कविता बहुत जल्दी लोकप्रिय भी हो गयी। लेकिन असल मुद्दा यह है कि इसे चिली के प्रसिद्ध कवि पाब्लो नेरुदा (Pablo Neruda) ने नहीं लिखा है।

'Muere lentamente' नाम से लिखी गयी कविता किस तरह पाब्लो के नाम से चर्चित हुई यह किसी को नहीं पता। हालांकि यह पहली बार नहीं है कि कोई कविता उसके असल रचनाकार की जगह अन्य प्रसिद्ध कवि के नाम वायरल हो गयी। पहले भी ऐसे कई उदाहरण हैं। यह बात संज्ञान में आने के बाद मार्था ने पाब्लो फ़ाउंडेशन से संपर्क कर बताया कि यह कविता उन्होंने लिखी है। इसके लिए उन्होंने अपने पूर्व प्रकाशित काम को भी दिखाया कि कैसे यह कविता उनकी अन्य रचनाओं से मिलती जुलती है। फ़ाउंडेशन भी इस मुद्दे को स्पष्ट कर ही चुका है। 
हालांकि, आज भी इंटरनेट पर ढ़ूंढ़ने पर यह कविता पाब्लो के नाम से आती है। जबकि असल रचनाकार को उनका इतना हक़ तो मिलना चाहिए कि उनकी लिखी कविता उनके ही नाम पर प्रसिद्ध हो।