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04 फरवरी 2021 को चौरी चौरा कांड (Chauri Chaura incident) के 100 वर्ष पूरे (Stamp on Chauri Chaura Centenary Celebrations)

 

04 फरवरी 2021 को चौरी चौरा कांड (Chauri Chaura incident) के 100 वर्ष पूरे

                                                      

चौरी चौरा कांड 4 फरवरी 1922 को ब्रिटिश भारत में संयुक्त राज्य (वर्तमान उत्तर प्रदेश) के गोरखपुर जिले के चौरी चौरा में हुई थी, जब असहयोग आंदोलन, जो गांधी जी के द्वारा जनवरी 1921 में शुरू किया गया एक प्रमुख आंदोलन था, में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह पुलिस के साथ भिड़ गया था। जवाबी कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों ने हमला किया और एक पुलिस स्टेशन (चौकी) में आग लगा दी थी, जिससे उनके सभी कब्जेधारी मारे गए।

इस घटना के कारण तीन नागरिकों और 22 पुलिसकर्मियों की जिंदा जलने से मौत हुई थी। इस घटना को चौरी चौरा काण्ड के नाम से जाना जाता है।

महात्मा गांधी, जो हिंसा के सख्त खिलाफ थे, ने इस घटना के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में गांधी जी ने दु:खी होकर 12 फरवरी 1922 को राष्ट्रीय स्तर पर असहयोग आंदोलन को रोक दिया था तथा गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन को समाप्त करने की घोषणा कर दी। बहुत से लोगों को गांधी जी का यह निर्णय उचित नहीं लगा। विशेषकर क्रांतिकारियों ने इसका प्रत्यक्ष या परोक्ष विरोध किया। 1922 की गया कांग्रेस में प्रेमकृष्ण खन्ना व उनके साथियों ने रामप्रसाद बिस्मिल के साथ कन्धे से कन्धा भिड़ाकर गांधी जी का विरोध किया।

महात्मा गांधी

प्रेमकृष्ण खन्ना

रामप्रसाद बिस्मिल

चौरी चौरा, उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के पास का एक कस्बा था (वर्तमान में तहसील है।



हालांकि ब्रिटिश हुकुमत ने 228  लोगों पर मुकदमा चलाया था जिनमें 225 को सजा दी गई थी। चौरी-चौरा कांड के अभियुक्तों का मुक़दमा पंडित मदन मोहन मालवीय ने लड़ा और उन्हें बचा ले जाना उनकी एक बड़ी सफलता थी। 


 




चौरी-चौरा का शहीद स्मारक

चौरी चौरा की घटना के अमर बलिदानियों की याद में Kanpur Anwarganj - Gorakhpur - Hisar (चौरा चोरी स्पेशल) Train  भी चलाई जा रही है। 



 

04 फरवरी 2021 (गुरुवार) को प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चौरी चौरा शताब्दी समारोह की शुरूआत की। उन्होंने इस मौके पर डाक टिकट भी जारी किया।


चौरी चौरा का संदेश बहुत बड़ा था - 

चौरी चौरा में जो हुआ वो सिर्फ एक थाने में आग लगाने की घटना नहीं थी,  आग थाने में नहीं लगी थी, आग जन-जन के दिलों में प्रज्ज्वलित हो चुकी थी। इससे एक बड़ा संदेश अंग्रेजी हुकूमत को दिया गया।

देश को कभी चौरा चौरी की घटना नहीं भूलनी चाहिए, अमर बलिदानियों ने देश के लिए अपनी जान दी है। चौरी चौरा की पवित्र भूमि पर देश के लिए बलिदान होने वाले, देश के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा देने वाले वीर शहीदों के चरणों में मैं प्रणाम करता हूं, आदरपूर्वक श्रद्धाजंलि देता हूं।