Uneven Weather and Pollution in Delhi and India in 2020-21, What are the causes behind this uneven behavior of weather and climate?
मौसम विभाग के अनुसार, पिछला सितंबर करीब दो दशकों में सबसे गर्म साबित हुआ। औसत अधिकतम तापमान 36.2 डिग्री रहा।
अक्टूबर में ठीक इसका उलटा देखने को मिला जब 58 सालों का रेकॉर्ड टूटा। उस महीने औसत न्यूनतम तापमान केवल 17.2 डिग्री दर्ज हुआ।
नवंबर में उससे भी पुराना रेकॉर्ड धराशायी हो गया। औसत न्यूनतम तापमान 10.2 डिग्री रहा जो कि 1949 के बाद सबसे कम था।
दिसंबर का महीना पिछले 15 साल में सबसे ठंडा साबित हुआ। जनवरी में भी ठंड जारी रही। पिछले महीने शीतलहर वाले 7 दिन दर्ज किए गए जो 2008 के बाद सबसे ज्यादा रहे।
फरवरी में फिर मौसम गर्मी में चरम पर पहुंच रहा है।14 साल में फरवरी में इतना अधिक गर्म दिन नहीं देखा गया। इससे पहले 2006 में 26 फरवरी को गर्मी का ऑलटाइम रेकार्ड बना था। तब अधिकतम तापमान 34.1 डिग्री दर्ज किया गया था। उस दिन को छोड़ दें, तो 1993 से अब तक का यह (25 Feb. 2021 बुधवार का दिन पिछले 15 सालों में फरवरी का सबसे गर्म दिन साबित हुआ। सफदरजंग बेस स्टेशन स्टेशन पर 32.5 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज हुआ जो कि सामान्य से सात डिग्री ज्यादा है। नजफगढ़ और पीतमपुरा में तो पारा 33.3 डिग्री तक पहुंच गया जबकि स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में अधिकतम तापमान 33.9 डिग्री रहा।) फरवरी का तीसरा सबसे गर्म दिन है। 17 फरवरी 1993 को तापमान 33.9 डिग्री तक पहुंच गया था।
2021 Feb में पिछले पांच दिनों से अधिकतम तापमान में लगातार इजाफा हो रहा है। इस साल फरवरी में यह तीसरा दिन है, जब तापमान 30 डिग्री से अधिक दर्ज हुआ है। जबकि 2006 में 11 दिन फरवरी का तापमान 30 डिग्री से अधिक रहा था।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह फरवरी भी दशकों के रेकॉर्ड को तोड़ सकती है। आने वाले तीन दिनों तक तापमान 33 डिग्री के करीब बने रहने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले तीन दिनों तक अधिकतम तापमान 33 डिग्री के आसपास बना रहेगा। न्यूनतम तापमान भी 14 डिग्री के आसपास पहुंच जाएगा। 28 फरवरी को बादल छा सकते हैं।
मार्च की शुरुआत भी 30 डिग्री के साथ हो सकती है।
मौसम के इस टर्न की वजह क्या है?
IMD के वैज्ञानिक और रीजनल वेदर फोरकास्टिंग सेंटर के मुताबिक, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में आमतौर पर तीन से चार पश्चिमी विक्षोभ देखने को मिलते हैं, जनवरी और फरवरी में 5 से 6 बार पश्चिमी विक्षोभ आता है।
जनवरी 2021 में पश्चिमी विक्षोभ केवल एक बार आया और फरवरी में भी अब तक एक ही। अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में भी पश्चिमी विक्षोभ कम ही रहे।" पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) की कमी से आसमान साफ रहता है जिससे न सिर्फ दिन के वक्त तापमान ज्यादा रहता है बल्कि रात के वक्त, तापमान बेहद कम हो जाता है।
सेंटर फॉर साइंस ऐंड एन्वायर्नमेंट (CSE) के एक एनालिसिस के अनुसार, इस बार सर्दियों में उत्तर भारत का इलाका सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा। दिल्ली-एनसीआर के शहरों में सबसे ज्यादा प्रदूषण देखने को मिला।
वहीं, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटरोलॉजी (IITM) की एक स्टडी बताती है कि प्रदूषण इतना बढ़ने के पीछे मौसम की कई स्थितियां भी जिम्मेदार रहीं। इनमें हवा की कम रफ्तार के अलावा मॉनसून का देरी से जाना भी शामिल है।
For More Details - visit the below link