Skip to main content

Uttarakhand Avalanche (एवलांच) (Glacier Burst): चमोली में ग्लेशियर (नंदा हिमखंड) फटने से भारी तबाही; ऋषि गंगा और तपोवन हाईड्रो प्रोजेक्ट पूरी तरह ध्वस्त, 150 लोगों के लापता होने की आशंका, फंसे लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी, हरिद्वार में खाली कराया जा रहा गंगा के किनारे का इलाका।

 Uttarakhand Avalanche (एवलांच) (Glacier Burst): चमोली में ग्लेशियर (नंदा हिमखंड) फटने से भारी तबाही; ऋषि गंगा और तपोवन हाईड्रो प्रोजेक्ट पूरी तरह ध्वस्त, 150 लोगों के लापता होने की आशंका, फंसे लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी, हरिद्वार में खाली कराया जा रहा गंगा के किनारे का इलाका। केदारनाथ आपदा से भी नहीं लिया सबकऋषिगंगा आपदा ने याद कराया मंजर

Sun, 07 Feb 2021

 

चमोली: उत्तराखंड के चमोली जिले के रैनी में रविवार सुबह ग्लेशियर फटने से बड़ा हादसा हुआ और चमोली नंदा देवी नेशनल पार्क के अंतर्गत कोर जोन में स्थित ग्लेशियर टूटने की वजह से रैणी गांव के पास चमोली जनपद में निर्माणाधीन ऋषि गंगा प्रोजेक्‍ट (24 मेगावाट) और रैणी से करीब 10 किमी दूर तपोवन में धौलीगंगा नदी पर निर्माणाधीन 520 मेगावाट की विद्युत परियोजना तपोवन हाईड्रो प्रोजेक्ट (बैराज) पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं तथा बांध टूट गया यहां था। इसके बाद हालात बिगड़ गए। दोनों प्रोजेक्ट पर काम कर रहे बड़ी संख्या में मजदूरों के बहने की आशंका है। जब यह हादसा हुआ, तब दोनों प्रोजेक्ट पर काफी संख्या में मजदूर कार्य कर रहे थे। इस हादसे में करीब 150 लोगों के लापता होने की आशंका है, जबकि दो लोगों के शव मिलने की खबर है। ग्लेशियर फटने से धौली नदी में बाढ़ आ गई है। इससे गंगा और उसकी सहायक नदियों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है।इससे चमोली से हरिद्वार तक खतरा बढ़ गया है। हादसे में इस प्रोजेक्ट में काम कर रहे कई मजदूरों के अलावा घरों के बहने की आशंका जताई जा रही है, हालांकि प्रशासन की ओर से आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं दी गई है।

टाइम सैलाब

§  सुबह 10:40 बजे: चमोली जिले के ऋषिगंगा नदी में हिमखंड टूटने से नदी ने लिया रौद्र रूप

§  सुबह 10:55 बजे: रेणी में ऋषिगंगा-2 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का एक बड़ा हिस्सा तोड़कर आगे बढ़ा पानी का सैलाब

§  सुबह 11:10 बजे: ऋषिगंगा-1 और देवडी बांध को क्षतिग्रस्त कर बहाव आगे बढ़ा।

§  सुबह 11:25 बजे: धौलीगंगा और ऋषिगंगा के संगम के बाद तपोवन पहुंचा अलकनंदा नदी का पानी, तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना को भारी नुकसान कर सैलाब आगे बढ़ा।

§  सुबह 11:45 बजे: जोशीमठ को पार कर विष्णुगाड-पिपलकोटी परियोजना तक पहुंचा बाढ़ का पानी।

§  दोपहर 12.12 बजे: चमोली को पार कर नंदप्रयाग पहुंचा पानी।

§  दोपहर 1:00 बजे: चमोली जिले में कर्णप्रयाग पार करने के बाद पानी के बहाव में आई कुछ कमी।

§  दोपर 1:20 बजे: रुद्रप्रयाग जनपद को पार कर श्रीनगर के करीब पहुंचा बाढ़ का पानी।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट कर लोगों से अफवाहों से बचने की सलाह दी है। उन्होंने जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और आपदा प्रबंधन को इस आपदा से निपटने की आदेश दे दिए हैं। सरकार सभी जरूरी कदम उठा रही है।' दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'मैं स्वयं घटनास्थल के लिए रवाना हो रहा हूं - मेरी सभी से विनती है कि कृपया कोई भी पुराने वीडियो शेयर कर अफवाह ना फैलाएं। स्थिति से निपटने के सभी जरूरी कदम उठा लिए गए हैं। आप सभी धैर्य बनाए रखें। '

SDRF की टीम ने शुरू किया रेस्क्यू ऑपरेशन

SDRF की टीम मौके पर पहुंच गई और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है। इसके साथ ही ITBP के जवान भी राहत के लिए घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया, 'अलकनंदा के पास के इलाकों से लोगों को निकाला जा रहा है। एहतियात के तौर पर भागीरथी नदी के प्रवाह को रोक दिया गया है। अलकनंदा के पानी के प्रवाह को रोकने के लिए श्रीनगर बांध (डैम) और ऋषिकेश बांध (Dam) को खाली कर दिया गया हैश्रीनगर जल विद्युत परियोजना को झील का पानी कम करने के निर्देश जारी किए गए हैं। ताकि अलकनंदा का जल स्तर बढ़ने पर अतिरिक्त पानी छोड़ने में दिक्कत न हो।

टिहरी बांध में टरबाइनों का संचालन बंद 

चमोली में बांध टूटने के बाद टीएचडीसी के टिहरी बांध में भी टरबाइनों का संचालन बंद कर दिया गया है। टिहरी बांध से इन दिनों 200 क्यूमेक्स पानी भागीरथी नदी में छोड़ा जा रहा था, लेकिन अब एडीसी प्रशासन ने भागीरथी में पानी छोड़ना बंद कर दिया है। इस संबंध में टीएचडीसी प्रशासन ने नेशनल ग्रिड को भी अवगत करा दिया है। अब कुछ समय तक टिहरी बांध से बिजली उत्पादन नहीं हो पाएगा।

टिहरी प्रशासन ने कीर्तिनगर, देवप्रयाग में नदी किनारे अलर्ट जारी किया। देवप्रयाग संगम पर भी लोगों की आवाजाही बंद कर दी गई है, वही नदी किनारे जितनी भी बस्तियां हैं सभी में लोगों को ऊंचाई वाले इलाकों में जाने के लिए कहा गया है। प्रशाशन द्वारा नदी किनारे खनन पट्टों पर कार्य कर रहे लोगों को हटाया जा रहा है।

एसडीआरएफ अलर्ट पर है.' पुलिस लाउडस्पीकर से अलर्ट कर रही है। कर्णप्रयाग में अलकनंदा नदी किनारे बसे लोग मकान खाली करने में जुटे। लोगों से अपील की जा रही है कि गंगा नदी के किनारे न जाएं। नदी के आसपास के लोगों से अपील है कि बेचैन न हों। शांत दिमाग़ से और सूझबूझ से काम लें। ख़ुद को किसी सुरक्षित स्थान पर ले जाएँ जबतक ख़तरे का अंदेशा है। केंद्रीय जल आयोग ने अपनी सभी चौकियों पर अलर्ट जारी किया है।





उत्तराखंड सरकार ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर

ग्लेशियर फटने की वजह से कई घरों के बहने और लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है. उत्तराखंड सरकार ने हादसे को लेकर हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट कर बताया, 'अगर आप प्रभावित क्षेत्र में फंसे हैं, आपको किसी तरह की मदद की जरूरत है तो कृपया आपदा परिचालन केंद्र के नंबर 1905, 1070 या 9557444486, +911352410197, +9118001804375, +919456596190 पर संपर्क करें

हरिद्वार में खाली कराया जा रहा गंगा का किनारा

चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद एहतियात के तौर पर हरिद्वार समेत कई जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। ऋषिकेश में भी अलर्ट जारी किया गया है। नदी से बोट संचालन और राफ्टिंग संचालकों को तुरंत हटाने के निर्देश  दिए गए हैं। हरिद्वार के डीएम ने खतरे को देखते हुए गंगा के किनारे के इलाकों को खाली करने का निर्देश दिया है। बता दें कि इस महीने से हरिद्वार में कुंभ की शुरुआत होने वाली है और इसकी तैयारियां चल रही हैं।

हरिद्वार में मेला अधिकारी दीपक रावत और जिलाधिकारी सी रविशंकर ने अलर्ट जारी किया। नदी किनारे सभी क्षेत्रों में बाढ़ चौकियों को अलर्ट कर दिया गया है। लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थान पर जाने की सलाह दी गई है। जिलाधिकारी श्री रविशंकर ने गंगा किनारे सभी क्षेत्रों को खाली करने के और खाली कराने के निर्देश जारी किए हैं। डूब क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगों को सुरक्षित इलाकों के स्कूल व अन्य सरकारी इमारतों में शिफ्ट किया जा रहा है। सभी गंगा घाटों को खाली करने के निर्देश दे दिए गए हैं।

इसके अलावा नदी किनारे हो रहे सभी कार्यों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया गया है। कार्य कर रहे, कर्मियों को जगह खाली करने के आदेश दिए गए हैं। हरिद्वार शहर को सुरक्षित रखने के लिए गंगा नहर को तत्काल प्रभाव से बंद करने के निर्देश उत्तराखंड सिंचाई विभाग और उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग को दिए गए हैं, स्थिति पर नजदीक नजर रखी जा रही है और सभी को अलर्ट कर दिया गया है। पूरी प्रशासनिक मशीनरी इस कार्य में लग गई है। स्नान करने आए लोगों को स्नान छोड़कर गंगा घाटों को खाली करने को कहा जा रहा है।

हालांकि 3 बजे तक पानी का बहाव अब थोड़ा कम हुआ। इस कारण निचले इलाकों में रहने वालों को घबराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन सचेत रहने की जरूरत है।





पीएम मोदी ने किया ट्वीट, उत्तराखंड के साथ खड़े देश 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, उत्तराखंड में आपात स्थिति की लगातार निगरानी कर रहे हैं। देश उत्तराखंड के साथ खड़ा है और राष्ट्र सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है। वरिष्ठ अधिकारियों से लगातार बात की जा रही है और एनडीआरएफ की तैनाती, बचाव कार्य और राहत कार्यों की लगातार जानकारी ली जा रही है।

गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, 'इस संबंध में सीएम त्रिवेंद्र रावत से बात की गई है। डीजी आइटीबीपी और डीजी एनडीआरएफ से भी बात की गई है। सभी संबंधित अधिकारी लोगों को सुरक्षित करने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। एनडीआरएफ बचाव कार्य के लिए निकल गई है। देवभूमि को हर संभव मदद दी जाएगी।वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस पूरे मामले पर रिपोर्ट मांगी है।

चमोली में आपदा के बाद वाडिया की टीम जोशीमठ के लिए रवाना, ग्लेशियर से आई तबाही का अध्ययन करेंगे विज्ञानी

ग्लेशियर से निकली तबाही का आकलन करने के लिए वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने जोशीमठ क्षेत्र के लिए अपनी टीम रवाना कर दी है। वाडिया के विज्ञानी इस बात का आकलन करेंगे कि तबाही की असल वजह क्या रही और भविष्य के लिहाज से यह क्षेत्र कितना संवेदनशील है।

वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ. कालाचांद साईं ने बताया कि जोशीमठ के लिए वरिष्ठ विज्ञानी प्रदीप श्रीवास्तव, मनीष मेहता, अमित कुमार, विनीत कुमार, अक्षय व सुमित तिवारी की टीम को रवाना किया गया है। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक ऋषि गंगा क्षेत्र में स्थित ग्लेशियर से एवलॉन्च आया और उसी के चलते ऋषिगंगा व धौलीगंगा में भीषण बाढ़ के हालात पैदा हो गए। हालांकि, यह बात भी सामने आ रही है कि ऋषिगंगा क्षेत्र के किसी ग्लेशियर की झील फटी है।

वास्तविक स्थिति अध्ययन के बाद भी स्पष्ट हो पाएगी। संबंधित क्षेत्र में कई ग्लेशियर हैं और वहां एवलॉन्च आना सामान्य बात है। वाडिया की टीम इस बात का पता लगाएगी कि वहां कितने एवलॉन्च जोन हैं और उनकी स्थिति क्या है। साथ ही मौजूदा ग्लेशियर झीलों का आकलन भी किया जाएगा। ताकि भविष्य के लिए राज्य व केंद्र सरकार को सचेत किया जा सके।

केदारनाथ आपदा से भी नहीं लिया सबक, ऋषिगंगा आपदा ने याद कराया मंजर

जून 2013 में आई आपदा में 4 हजार से ज्यादा की जान गई थी। 16-17 जून 2013 को बादल फटने से रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जिलों में भारी तबाही मची थी। इस आपदा में 4,400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए4,200 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया। इनमें 991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगह पर मारे गए11,091 से ज्यादा मवेशी बाढ़ में बह गए या मलबे में दबकर मर गए। ग्रामीणों की 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई2,141 भवनों का नामों-निशान मिट गया100 से ज्यादा बड़े व छोटे होटल ध्वस्त हो गए। आपदा में 9 नेशनल हाई-वे, 35 स्टेट हाई-वे और 2385 सड़कें 86 मोटर पुल, 172 बड़े और छोटे पुल बह गए या क्षतिग्रस्त हो गए थे।
आज 07-02-2021 रविवार को ऋषिगंगा-तपोवन में हुई तबाही ने केदारनाथ आपदा की याद दिला दी। नदियों (प्रकृति) ने रौद्र रूप धारण कर अपने रास्ते में आई हर चीज को कागज की तरह बहा दिया। सैकड़ों घर, होटल, दुकानें वाहन नदी में समा गए।

यही नहीं तब सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आइटीबीपी की टीमों ने महा अभियान चलाकर यात्रा मार्ग में फंसे 90 हजार यात्रियों को, जबकि स्थानीय पुलिस ने 30 हजार यात्रियों को सकुशल रेस्क्यू किया।

इस आपदा में गौरीकुंड से केदारनाथ जाने वाला पैदल मार्ग रामबाड़ा और गरुड़चट्टी पड़ाव से निकलता था, लेकिन मंदाकिनी नदी के विकराल रूप ने रामबाड़ा को नक्शे से ही मिटा दिया। इस तबाही के बाद सरकारी मशीनरी को सालों यहां पुनर्निर्माण और बसागत में लग गए। हजारों करोड़ के नुकसान की भरपाई अभी तक नहीं हो सकी। लेकिन, सिस्टम और मानव प्रवृत्ति की हठधर्मिता देखिए कि सबक लेने की बजाय संवेदनशील इलाकों में निर्माण कार्य, नदियों पर बांध बनाने का कार्य नहीं थमा। सबसे बड़ी बात कि इसमें ग्लेशियरों को लेकर कोई अध्ययन नहीं किया गया। यह किसकी लापरवाही है? क्यों केदारनाथ आपदा से सबक नहीं लिया गया?

यहाँ Geography के मूल सिद्धांत “प्रकृतिवाद” के मूल कथन “मनुष्य प्रकृति का दास है” को प्रकृति ने पुन: चरितरार्थ कर दिखाया है। यहीं पर जहाँ बांध निर्माण में Geography के एक अन्य सिद्धांत “संभाववाद” की परिकल्पना के अंतर्गत मानव नदी को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा था। तो प्रकृति की मात्र कुछ पलों की घटना Glacier Burst (Avalanche / एवलांच) ने Geography के तीसरे सिद्धांत “नव निश्चयवाद” के तहत मानव जगत, वैज्ञानिक, इंजीनियर और सरकारों को अलर्ट भी कर दिया है, कि मानव को कोई भी कार्य प्रकृति की सीमाओं में रहकर ही करना चाहिए। अन्यथा प्रकृति मानव को यह बार – बार अहसास कराती रहेगी कि “आखिरकार जहाँ मानव अपनी बुद्धि बल से मनुष्य नदियों पर बांध बनाकर प्रकृति को नियंत्रित करने की ताकत रखता है। वहीं प्रकृति मात्र एक एवलांच से उस पूरे बांध सहित सम्पूर्ण नदी – घाटी में मात्र कुछ पलों में ही तबाही मचाने में सक्षम है”। यानि “प्रकृति ही महान है और मनुष्य उस पर विजय, उसका आज्ञापालक बनकर ही प्राप्त कर सकता है”