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विश्व जनसंख्या वितरण घनत्व और वृद्धि - महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर World Population Distribution Density and Growth - Important Questions and Answers

Que 1 जनसंख्या किसे कहते हैं ?
ANS.
जनसंख्या :- जन + संख्या अर्थात् लोगों की संख्या।
किसी स्थान पर लोगों की संख्या, वहाँ की जनसंख्या (Population) कहलाती है।

Que 2 जनसंख्या का वितरण किसे कहते हैं ? विश्व में जनसंख्या के सामान्य वितरण का वर्णन कीजिए।
ANS.
जनसंख्या वितरण :- जनसंख्या वितरण (Population Distribution) का अर्थ है धरातल पर लोग (जनसंख्या) किस प्रकार वितरित हैं अर्थात् किस प्रकार रहते हैं।

विश्व में जनसंख्या वितरण सम्बन्धी तथ्य :-
1. विश्व में इस समय 7 अरब से ज्यादा जनसंख्या है जिसका 90% भाग, धरातल के 10% भाग पर बसा है। जबकि 90% स्थल भाग पर विश्व की केवल 10% जनसंख्या निवास करती है।
2. विश्व की 61% (3.50 अरब) जनसंख्या अकेले एशिया महाद्वीप में, 12.9% जनसंख्या अफ्रीका में तथा 12.5% जनसंख्या यूरोप में पाई जाती है।

3. देशों के आधार पर देखें तो विश्व की 47% जनसंख्या, कुल चार देशों, जैसे - 21% जनसंख्या (134 करोड़) चीन में, 17% जनसंख्या (121 करोड़) भारत में, 5% जनसंख्या (32 करोड़) USA में तथा 4% जनसंख्या (21 करोड़) इंडोनेशिया में पाई जाती है।
4. विश्व जनसंख्या का 90% भाग उत्तरी गोलार्द्ध में और शेष 10% भाग, दक्षिण गोलार्द्ध में पाया जाता है।
5. विश्व की 50% जनसंख्या 20 डिग्री उत्तर अक्षांश से 40 डिग्री उत्तर अक्षांश के बीच पाई जाती है।


6. विश्व की 77% (तीन चौथाई) जनसंख्या विकाशील देशों में तथा शेष 23% (एक चौथाई) जनसंख्या विकसित देशों में पाई जाती है।
विश्व की 38% जनसंख्या तो केवल दो देशों चीन और भारत में बसती है।

Que 3 जनांकिकीय संक्रमण के विभिन्न चरणों या अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
ANS.
जनांकिकीय संक्रमण (Demographic Transition) :- जनांकिकीय संक्रमण सिद्धांत का उपयोग किसी क्षेत्र की जनसंख्या के वर्णन तथा भविष्य की जनसंख्या के पुर्वानुमान के लिए किया जाता है। जनांकिकीय संक्रमण के कई मॉडल हैं, लेकिन आमतौर पर निम्न चार चरणों को स्वीकार किया गया है :-
1. प्रथम चरण में, जन्म-दर और मृत्यु-दर दोनों ही उच्च होते हैं। इसमें जनसंख्या वृद्धि धीरे-धीरे होती है। इसमें अधिकांश लोग कृषि कार्य करते हैं। इन समाजों में निम्न उत्पादकता, निम्न आयु प्रत्याशा, बड़े आकार के परिवार, अल्पविकसित कृषि वाली मुख्य आर्थिक गतिविधि, निम्न स्तरीय साक्षरता और प्रौद्योगिकीय विकास तथा निम्न शहरीकरण होता है।
एक समय (200 वर्ष पूर्व) विश्व के लगभग सभी देश इस स्थिति में थे, लेकिन अब जनांकिकीय संक्रमण की इस स्थिति में किसी देश का मिलना असंगत प्रतीत होता है।
2. दूसरी अवस्था में, उच्च जन्म-दर और निम्न मृत्यु-दर होती है। स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि और खाद्य सुरक्षा मृत्यु-दर में कमी करते हैं। लेकिन शिक्षा का अपर्याप्त स्तर प्राप्त न करने के कारण, जन्म-दर बेहद ऊची होती है।
3. तीसरी अवस्था में, प्रजनन दर धीरे-धीरे कम होने लगती है और मृत्यु-दर तेजी से गिरने लगती है। हालांकि जनसंख्या धीमी दर से बढ़ती है। विश्व के अधिकतर कम विकसित देश जनांकिकीय संक्रमण की इस विस्फोटक अवस्था से गुजर रहे हैं।
4. अंतिम अवस्था में, मृत्यु-दर और जन्म-दर दोनों में उत्साहजनक रूप से कमी आती है। इसमें जनसंख्या या तो स्थायी हो जाती है या धीमी गति से बढ़ती है।
इस अवस्था में जनसंख्या उच्च रूप से औद्योगिकीकृत और शहरीकृत हो जाती है। प्रौद्योगिकीय विकास संतोषजनक होता है और परिवार के आकार को नियंत्रित करने के इच्छा से प्रयास किए जाते हैं। उच्च साक्षरता स्तर होता है।
यह अवस्था एंग्लो-अमेरिका, पश्चिम यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान इत्यादि में है। पांचवीं अवस्था में, जन्म-दर, मृत्यु-दर से नीची होती है, जिस कारण जनसंख्या घटने लगती है। पश्चिम यूरोप के कुछ देश इस अवस्था के मुहाने पर खड़े प्रतीत होते हैं।

Que 4 भारत की जनसंख्या के जनांकिकीय संक्रमण के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
ANS.
भारत की जनांकिकीय संक्रमण अवस्थाएँ :-
1. प्रथम चरण 1901-1921 - यह स्थायी जनसंख्या का काल था, जिसमें जन्म और मृत्यु-दर दोनों उच्च थीं। चेचक, प्लेग, इफ्लुएंजा जैसी महामारियों के कारण इस काल में मृत्यु दर बेहद ऊंची थी। अकाल के कारण खाद्यान्न की कमी के कारण अनेक लोगों की जान गई।

2. दूसरी अवस्था 1921-51 - यह धीमी गति से वृद्धि का काल था, जिसमें उच्च जन्म-दर थी, लेकिन मृत्यु-दर में, रोगों के नियंत्रण और खाद्य आपूर्ति के बेहतर प्रबंधन के कारण कमी आई।1921 को जनाकिकीय विभाजन वर्ष माना जाता है। इस वर्ष के पश्चात् मृत्यु दर में कमी होना शुरू हो गई और जनसंख्या वृद्धि में तेजी आने लगी। इसे मृत्यु प्रेरित वृद्धि भी कहा जा सकता है।
3. तीसरी अवस्था 1951-81 - इसे जनसंख्या में तीव्र एवं उच्च संवृद्धि का काल कहा जा सकता है। इसमें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और त्वरित विकासपरक गतिविधियों के कारण मृत्यु-दर में बेहद कमी आई। हालांकि जन्म-दर, उच्च बनी रही। इसके परिणामस्वरूप जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई, जिसे जनसंख्या विस्फोट का नाम दिया गया। इसे प्रजनन प्रेरित वृद्धि भी कहा जा सकता है।
4. चौथी अवस्था 1981 के पश्चात का काल, को संवृद्धि की घटती हुई प्रवृत्ति के साथ उच्च जनसंख्या वृद्धि का काल कहा जा सकता है। हालांकि जनसंख्या में वृद्धि निरंतर जारी रहती है, वृद्धि दर में घटने की प्रवृति दिखाई देती है। शिक्षा प्रसार, छोटे परिवार के लाभों के प्रति जागरूकता, यहां तक की सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार जैसे सभी कारकों ने 1981-91 से आगे के दशक में जनसंख्या की दशकीय वृद्धि में घटने की प्रवृति में योगदान किया। 2001 से 2011 के दशक में दशकीय वृद्धि का प्रतिशत स्वतंत्रता के समय से बेहद कमी के साथ दर्ज किया गया। भारत को जनसंख्या वृद्धि की घटती हुई अवस्था में कहा जा सकता है। स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता, निम्न शिशु मृत्यु-दर, महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन, शिक्षा प्रसार, परिवार नियोजन, और जीवन स्तर में बढ़ोतरी जैसे कारकों ने इस बदलाव में योगदान किया।


Que 5 जनसंख्या घनत्व किसे कहते हैं ? जनसंख्या घनत्व के प्रकार बताइए।
ANS.
जनसंख्या का घनत्व :- किसी क्षेत्र की जनसंख्या तथा वहाँ के क्षेत्रफल के बीच अनुपातिक सम्बन्ध को, वहाँ का जनसंख्या घनत्व (Density of Population) कहते हैं।
इसे प्रति इकाई क्षेत्रफल पर व्यक्तियों की संख्या द्वारा व्यक्त किया जाता है।
जनसंख्या घनत्व के प्रकार :-
1. गणितीय घनत्व (Arthmetic Density) :- किसी प्रदेश, देश या क्षेत्र की कुल जनसंख्या तथा उसके कुल क्षेत्रफल के अनुपात को वहाँ की जनसंख्या का गणितीय घनत्व कहते हैं। जैसे
                           कुल जनसंख्या
गणितीय घनत्व = ------------------
                           कुल क्षेत्रफल
                                                         121 करोड़
जैसे – भारत का जनसंख्या घनत्व = ------------------- = 382 व्यक्ति प्रति वर्ग Km 2
                                                       32.8 लाख Km2
Note: जन घनत्व मापने का यह संवेदनशील माप नहीं है क्योंकि इसमें मापे गये क्षेत्र का समस्त क्षेत्रफल लिया जाता है; जबकि उस में ऐसे क्षेत्र भी होते हैं, जहाँ मनुष्य निवास नहीं करते हैं। जैसे जलाशय, दुर्गम क्षेत्र, दलदल, सघन वन आदि।
2. कायिक (Physioiogical) या पोषक घनत्व (Nutritional Density) :- किसी प्रदेश, देश या क्षेत्र की कुल जनसंख्या तथा वहाँ की कुल कृषि भूमि (Cultivated Land) के अनुपात को वहाँ की जनसंख्या का कायिक या पोषक घनत्व कहते हैं।
जैसे –


                                         कुल जनसंख्या
कायिक या पोषक घनत्व = ------------------
                                       कुल कृषि क्षेत्रफल
जैसे – भारत के कुल क्षेत्रफल 32,87,263 Km 2 में से कृषि भूमि का क्षेत्रफल 14.26 लाख वर्ग Km है। इस प्रकार भारत का कायिक या पोषक घनत्व निम्नलिखित होगा -
                                                                 121 करोड़
जैसे – भारत का कायिक या पोषक घनत्व = -------------- = 848 व्यक्ति प्रति वर्ग Km 2
                                                           14.26 लाख Km2
Note: यह एक परिष्कृत विधि है, क्योंकि इसमें गैर-कृषि भूमि, जैसे वन, चरागाह, दलदल, मरुस्थल,गाँव व नगर आदि के क्षेत्रफल को निकाल दिया जाता है।
हालांकि इसमें एक कमी रहती है कि समस्त कृषि भूमि को एक समान उत्पादक मान लिया जाता है, जो सम्भव नहीं है।

Que 6 जनसंख्या वृद्धि के प्रकार बताइए।
ANS.
जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि :- किसी क्षेत्र विशेष में दो समय बिन्दुओं के बीच जन्म दर और मृत्यु दर के अंतर से बढ़ने वाली जनसंख्या को उस क्षेत्र की प्राकृतिक वृद्धि कहते हैं। प्राकृतिक वृद्धि (Natural Growth) = जन्म (Birth) - मृत्यु (Death)

जनसंख्या की वास्तविक वृद्धि :- इसमें किसी क्षेत्र विशेष में दो समय बिन्दुओं के बीच जन्म दर और मृत्यु दर के अंतर के साथ साथ आप्रवास व उत्प्रवास जनसंख्या की भी गणना की जाती है। वास्तविक वृद्धि (Actual Growth) = जन्म (Birth) - मृत्यु (Death) + आप्रवासी (In Migrants) – उत्प्रवासी(Out Migrants)

जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि (Positive Growth):- किसी क्षेत्र विशेष में दो समय बिन्दुओं के बीच जन्म दर ,मृत्यु दर से अधिक हो; या वहाँ पर लोग अन्य क्षेत्रों से आकर स्थाई रूप से बस जाएँ तो जनसंख्या बढ़ती है और यह जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि कहलाती है।

जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धि (Negative Growth):- किसी क्षेत्र विशेष में दो समय बिन्दुओं के बीच जन्म दर ,मृत्यु दर से कम हो; या वहाँ से अन्य क्षेत्रों को लोग स्थाई रूप से चले जाएँ तो जनसंख्या घटती है और यह जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धि कहलाती है।
Que 7 प्रवास किसे कहते हैं ? प्रवास के प्रकार बताइए।
ANS.
प्रवास (Migration) – प्रवास का शाब्दिक अर्थ होता है प्र (दूसरा) + वास (निवास)। अर्थात् किसी व्यक्ति या समूह का दूसरे स्थान पर जाकर बसना, प्रवास कहलाता है।
प्रवास से केवल स्थान परिवर्तन ही नहीं होता है, बल्कि उदगम व गन्तव्य स्थान, दोनों स्थानों के जनसंख्या सम्बन्धी तथा सामाजिक आंकड़े भी परिवर्तित होते हैं।
उदगम स्थान (Source) :- वह स्थान जहाँ से लोग प्रवास या गमन करके जाते हैं। जैसे बिहार से मुंबई चले जाना।
गन्तव्य स्थान (Destination) :- वह स्थान जहाँ पर लोग प्रवास या आगमन करके आते हैं। जैसे मुंबई में बिहार से आना।
NOTE :- उदगम स्थान (Source) पर जनसंख्या में कमी आती है जबकि गन्तव्य स्थान (Destination) पर जनसंख्या बढ़ती है।
अवधि के आधार पर प्रवास :-
A. स्थाई प्रवास
B. अस्थाई प्रवास अथवा मौसमी
1. स्थाई प्रवास स्थाई प्रवास मुख्यतः दो प्रकार का होता है :-

A. बाह्य प्रवास (देश से बाहर) अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से पार किया जाने वाला प्रवास
a) उत्प्रवास (Emmigration) :- जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले जाते हैं तो यह प्रक्रिया उत्प्रवास या आउट माइग्रेशन कहलाती है। प्रवास करने वाले लोग उत्प्रवासी कहलाते हैं।
b) आप्रवास (Immigration) :- जब लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर आते हैं तो यह प्र क्रिया आप्रवास या इनमाइग्रेशन कहलाती है। प्रवास करके आने वाले लोग आप्रवासी कहलाते हैं।
B. आंतरिक प्रवास (देश के भीतर) किसी देश के विभिन्न राज्यों या क्षेत्रों के बीच किया जाने वाला प्रवास
a) अन्त: राज्यीय प्रवास (Intra – State Migration) :- जब लोग किसी एक राज्य के एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास करते हैं।
b) अन्तर्राज्यीय प्रवास (Inter – State Migration) :- जब लोग एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवास करते हैं।

2. अस्थाई प्रवास अस्थाई प्रवास निम्नलिखित प्रकार का होता है :-
a) दिक्परिवर्तन या दैनिक प्रवास (सुबह जाकर सायं वापिस आना)

b) साप्ताहिक प्रवास (सोमवार को जाकर शुक्रवार या शनिवार को वापिस आना )
c) अर्द्धवार्षिक या मौसमी अथवा ऋतूप्रवास ( छह माह के लिए किया गया प्रवास)
d) वार्षिक प्रवास (वर्ष के लिए प्रवास)

दिशा के आधार पर प्रवास या प्रवास की धाराएँ :- दिशा के आधार पर आंतरिक प्रवास की चार प्रमुख धाराएँ होती हैं
1) गाँव से गाँव को प्रवास (Rural to Rural)
2) गाँव से शहर को प्रवास (Rural to Urban)
3) शहर से गाँव को प्रवास (Urban to Rural)
4) शहर से शहर को प्रवास (Urban to Urban)
NOTE :- ग्रामीण से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर स्त्रियों का प्रवास, विवाह के कारण अधिक होता है; जबकि ग्रामीण से नगरीय क्षेत्रों की ओर पुरुषों का प्रवास, रोजगार के कारण अधिक होता है।

Que 8 प्रवास को निर्धारित करने वाले कारक कौन से हैं ? प्रवास के प्रतिकर्ष कारक और अपकर्ष कारक बताइए।
ANS.
लोग बेहतर आर्थिक और सामाजिक जीवन के लिए प्रवास करते हैं।
प्रवास को प्रभावित करने वाले कारकों को दो समूहों में बाँटा जा सकता है :-
1. प्रतिकर्ष कारक (PUSH FACTORS) - वे कारक जो किसी स्थान को छोड़ने को मजबूर करते हैं। जैसे -

1. बेरोजगारी
2. रहन सहन की निम्न दशाएँ
3. राजनीतिक उपद्रव
4. प्रतिकूल जलवायु
5. प्राकृतिक विपदाएं
6. महामारी
7. सामाजिक आर्थिक पिछड़ापन

2. अपकर्ष कारक (PULL FACTORS) - वे कारक जो किसी स्थान पर आने के लिए आकर्षित करते हैं। जैसे -
1. रोजगार के अवसर

2. रहन सहन की उचित दशाएँ
3. शांतिपूर्ण माहौल
4. अनुकूल जलवायु
5. प्राकृतिक रूप से अनुकूल क्षेत्र
6. महामारी रहित क्षेत्र
7. आर्थिक अवसरों की अधिकता