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Class 11 BSEH Geography Previous Year Annual Paper 2024 (Code No. 2614) - Solution

Class 11th Geography Annual Paper 2024 (Code No. 2614)

[वस्तुनिष्ठ प्रश्न] [Objective Type Questions]

1. क्रमबद्ध भूगोल किसने प्रचलित किया? 1

(A) हार्टशोन

(B) रिटर

(C) हम्बोल्ट

(D) स्टैम्प

 

Who introduced systematic geography?

(A) Hartshone

(B) Ritter

(C) Hambolt

(D) Stamp

 

2. लाप्लास ने निहारिका सिद्धान्त कब प्रस्तुत किया? 1

(A) 1795

(B) 1797

(C) 1796

(D) 1798

 

When Laplace did present Nebular Theory?

(A) 1795

(B) 1797

(C) 1796

(D) 1798

 

3. जलयोजन प्रक्रिया निम्नलिखित पदार्थों में से किसे प्रभावित करती है? 1

(A) ग्रेनाइट

(B) क्वार्टज

(C) चीका (क्ले) मिट्टी

(D) लवण

 

Which one of the following materials is affected by hydration process?

(A) Granite

(B) Quartz

(C) Clay

(D) Salts

 

4. निम्न में से किस अक्षांश पर 21 जून की दोपहर सूर्य की किरणें सीधा पड़ती हैं? 1

(A) विषुवत वृत्त पर

(B) 23.5° उत्तर

(C) 66.5° दक्षिण

(D) 66.5° उत्तर

 

The sun is directly overhead at noon on 21st June at:

(A) The equator

(B) 23.5° N

(C) 66.5° S

(D) 66.5° N

 

5. निम्न में से कौन सा सबसे छोटा महासागर है? 1

(A) हिंद महासागर

(B) अटलांटिक महासागर

(C) आर्कटिक महासागर

(D) प्रशांत महासागर

 

Which one of the following is the smallest ocean?

(A) Indian Ocean

(B) Atlantic Ocean

(C) Arctic Ocean

(D) Pacific Ocean

 

6. पृथ्वी उपसौर की स्थिति कब होती है? 1

(A) अक्टूबर

(B) जुलाई

(C) सितम्बर

(D) जनवरी

 

The earth reaches its perihelion in

(A) October

(B) July

(C) September

(D) January

 

7. निम्नलिखित याम्योत्तर में से कौन-सा भारत का मानक याम्योत्तर है? 1

(A) 69°30’ पूर्व

(B) 75°30’ पूर्व

(C) 82°30’ पूर्व

(D) 90°30’ पूर्व

 

Which one of the following longitudes is the standard meridian of India?

(A) 69°30’ East

(B) 75°30’ East

(C) 82°30’ East

(D) 90°30’ East

 

8. लोकताक झील किस राज्य में स्थित है? 1

In when State Loktak lake situated

Ans. मणिपुर (Manipur)

9. नंदादेवी जीवमंडल निचय किस राज्य में स्थित है? 1

In which State Nanda Davi Biosphere located?

Ans. उत्तराखंड (Uttrakhand)

10. भूकंप की तीव्रता किस पैमाने पर मापी जाती है? 1

On which scale is the Earthquake intensity measured?

Ans. रिक्टर स्केल अथवा मरकेली स्केल (Richter scale or Mercalli scale)

 

[अतिलघु उत्तरीय प्रश्न] [Very Short Answer Type Questions]

 

11. मानव भूगोल के उपक्षेत्रों के नाम लिखें। Name sub-divisions of Human Geography. 2

Ans. आर्थिक भूगोल (Economic Geography), राजनीतिक भूगोल (Political Geography), ऐतिहासिक भूगोल (Historic Geography), सामाजिक भूगोल (Social Geography), जनसंख्या भूगोल (Population Geography) और अधिवास भूगोल (Settlements Geography) आदि।

 

12. सुनामी क्या हैं? What are Tsunami? 2

Ans. वे तरंगें जिन की उत्पत्ति ज्वालामुखी, भूकंप या महासागरों में भूस्खलन के कारण होती है, प्रलयकारी तरंगें कहलाती हैं। इन्हें सुनामी (Tsunami) भी कहा जाता है। सुनामी एक जापानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ हैA great harbour wave. खुले समुद्रों में ऐसी तरंगों की लंबाई 100 से 150 किलोमीटर और गति 640 से 960 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। तटों के उथले जल पर इन तरंगों की ऊंचाई 15 मीटर से अधिक हो सकती है। यह तरंगे भयंकर, अत्यंत विनाशकारी, आकस्मिक किंतु अस्थाई होती है।

Those waves which originate due to volcanoes, earthquakes or landslides in the oceans are called catastrophic waves. These are also called Tsunami. Tsunami is a Japanese word which means – A great harbor wave. In open seas, the length of such waves is 100 to 150 kilometers and the speed is 640 to 960 kilometers per hour. The height of these waves can exceed 15 meters in the shallow waters of the coast. These waves are terrible, extremely destructive, sudden but temporary.

 

13. ज्वार-भाटा क्या हैं? What are Tides? 2

Ans. समुद्र के जल का दिन में एक बार या दो बार ऊपर चढ़ना और नीचे उतरना ज्वार - भाटा कहलाता है। तटीय किनारों पर समुद्री जल के ऊपर चढ़ने को ज्वार तथा नीचे उतरने को भाटा कहते हैं।

The rising and falling of sea water once or twice a day is called tide. On the coastal shore, the rise of sea water is called tide and its descent is called ebb.

 

14. भारत के पश्चिमी तट पर स्थित तटीय राज्यों के नाम लिखें। Name the Coastal states located on the west coast of India. 2

Ans. गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल। Gujarat, Maharashtra, Goa, Karnataka and Kerala.

 

15. मानसूनी वर्षा की दो मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें। अथवा सामाजिक वानिकी से आपका क्या अभिप्राय है? Explain two main characteristics of monsoon rainfall. OR What do you mean by Social Forestry? 2

Ans. मानसूनी वर्षा अस्थाई और अनियमित होती है। यह लगातार न होकर, रुक रुक कर होती है, इसे मानसून अंतराल के रूप में जाना जाता है। Monsoon rains are temporary and irregular. This happens intermittently rather than continuously, this is known as monsoon interval.

अथवा OR

पर्यावरणीय, सामाजिक व ग्रामीण विकास में मदद के उद्देश्य से वनों का प्रबंधन और सुरक्षा तथा उसर भूमि पर वनारोपण करना ‘सामाजिक वानिकी’ कहलाता है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गरीब लोगों के लिए ग्रामीण विकास है। सामाजिक वानिकी का नारा है – “वानिकी लोगों की, लोगों द्वारा और लोगों के लिए है”।

Management and protection of forests and afforestation of wasteland with the aim of helping in environmental, social and rural development is called ‘social forestry’. The main objective of this program is rural development for the poor people. The slogan of social forestry is – “Forestry is of the people, by the people and for the people”.

 

16. सूखे के दो प्रभाव लिखें। अथवा तराई से आप क्या समझते हैं? Write two effects of Drought. OR What do you understand by the term Terai? 2

Ans.

किसी क्षेत्र में वहां की औसत वार्षिक वर्षा के 75% से कम होने की दशा को उस वर्ष का सूखा (Drought) कहा जाता है। सामान्य शब्दों में पीने योग्य तथा घरेलू उपयोग के जल की कमी तथा मिट्टी में फसलों के उत्पादन के लिए आवश्यक नमी का अपर्याप्त होना सूखा कहलाता है। सूखे की स्थिति में धरातलीय तथा भूमिगत जल के भंडार कम होने लगते हैं। सूखा एक जटिल परिघटना है जिसमें कई प्रकार के मौसम विज्ञान संबंधित तथा अन्य तत्वों जैसे वृष्टि वाष्पीकरण वाष्पोत्सर्जन भौम जल मृदा में नमी जल भंडारण व भरण कृषि पद्धतियां विशेषत उगाई जाने वाली फसलें सामाजिक आर्थिक गतिविधियां तथा पारिस्थितिकी शामिल हैं।

सूखे के परिणाम एवं प्रभाव: -

भारत की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी है। मानसून जलवायु वाले देश में जहां कृषि हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग बन चुकी है, वहां बिन पानी सब सून वाली कहावत चरितार्थ होती है। कृषि के माध्यम से यहां अर्थव्यवस्था के सभी खंड सूखे से प्रभावित होते हैं। जैसे - कृषि उत्पादन अन्य दशाएं संबंध रहने पर जल और कृषि उत्पादन की मात्रा में सकारात्मक सहसंबंध पाया जाता है। सूखे के चलते कहीं तो फसलों की बुआई नहीं हो पाती और कहीं बुवाई देर से हो पाती है। इससे कृषि उत्पादन घटता है, परिणाम स्वरूप देश की सकल राष्ट्रीय आय और सकल घरेलू उत्पाद घटते हैं।

The condition of less than 75% of the average annual rainfall in an area is called drought of that year. In general terms, lack of water for potable and domestic use and insufficient moisture in the soil required for the production of crops is called drought. In case of drought, the reserves of surface and underground water start decreasing. Drought is a complex phenomenon which includes many types of meteorological and other elements such as rainfall, evaporation, transpiration, groundwater, soil moisture, water storage and storage, agricultural practices, especially the crops grown, socio-economic activities and ecology.

Consequences and effects of drought:-

The climate of India is tropical monsoon. In a country with monsoon climate, where agriculture has become an integral part of our culture, the saying that without water everything is deserted comes true. All segments of the economy through agriculture are affected by drought. For example, if agricultural production and other conditions are related, a positive correlation is found between the amount of water and agricultural production. Due to drought, at some places crops are not sown and at other places sowing is done late. Due to this agricultural production decreases, as a result the gross national income and gross domestic product of the country decrease.

 

अथवा OR

 

तराई प्रदेश (Terai Region) -

हिमालय के गिरिपद में भाबर के दक्षिण में उत्तर भारतीय मैदान का वह भाग, जहां भाबर की विलुप्त हुई नदियां पुन: धरातल पर प्रकट हो जाती हैं । इन प्रकट होने वाली नदियों की कोई निश्चित वाहिका (Channels) नहीं होती। इस क्षेत्र में अनेक अनूप (Lagoon) बन जाते हैं, जिसे 'तराई' कहते हैं । तराई की रचना बारीक कंकड़, पत्थर, रेत और चिकनी मिट्टी से हुई है। पहले यहां घने वन और वन्य प्राणी पाए जाते थे परंतु अब अधिकांश क्षेत्र में कृषि होने लगी है । यहां ऊंची घास, कांस, हाथी घास, भाबर घास और वृक्ष इत्यादि पाए जाते हैं।

Terai Region -

That part of the North Indian plain, south of the Bhabar in the foothills of the Himalayas, where the extinct rivers of the Bhabar reappear on the surface. These emerging rivers do not have any definite channels. Many lagoons are formed in this area, which is called 'Terai'. The Terai is composed of fine pebbles, stones, sand and clay soil. Earlier, dense forests and wild animals were found here, but now agriculture has started in most of the area. Tall grass, bamboo, elephant grass, bhabar grass and trees etc. are found here.

 

[लघु उत्तरीय प्रश्न] [Short Answer Type Questions]

 

17. पार्थिव व जोवियन ग्रहों में अन्तर स्पष्ट करें। Differentiate between Terrestrial and Jovian planets. 3

Ans.

पार्थिव ग्रह या आंतरिक ग्रह (Inner Planet) - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल। (ये ग्रह सूर्य व छूद्रग्रहों की पट्टी के बीच स्थित हैं, इन्हें पार्थिव (Terrestrial) ग्रह भी कहा जाता है, क्योंकि ये सब पृथ्वी की भाँति शैलों और धातुओं से बने हैं, इनका घनत्व अपेक्षाकृत अधिक है।

 

जोवियन ग्रह या बाह्य ग्रह (Outer Planet) - बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण को जोवियन ग्रह कहा जाता है, क्योंकि ये सब बृहस्पति की भाँति गैसों से बने हैं, इनका घनत्व अपेक्षाकृत कम है। ये विशाल आकार के गैसीय ग्रह हैं। इन ग्रहों पर हाइड्रोजन और हीलियम का वायुमण्डल मिलता है।

 

Terrestrial planets or inner planets – Mercury, Venus, Earth, Mars. (These planets are located between the Sun and the asteroid belt, they are also called terrestrial planets, because like the Earth, all of them are made of rocks and metals, their density is relatively high.

 

Jovian planets or outer planets - Jupiter, Saturn, Uranus, Neptune are called Jovian planets, because like Jupiter, all of them are made of gases, their density is relatively low. These are gaseous planets of huge size. An atmosphere of hydrogen and helium is found on these planets.

 

18. अपक्षय क्या है? भौतिक अपक्षय का वर्णन करें। What is Weathering? Explain physical weathering. 3

Ans. अपक्षय (Weathering):- अपक्षय शब्द दो शब्दों अप (स्वयं) तथा क्षय (ह्रास या पतन) से मिलकर बना है अर्थात चट्टानों का स्वयं ही टूट - फूट जाना 'अपक्षय' कहलाता है।

भौतिक या यांत्रिक अपक्षय - जब चट्टानें प्राकृतिक कारणों से टूट - फूट जाती हैं। इसमें चट्टानों की टूट - फूट का कारण तापमान, वर्षा, हिमपात, दिन - रात की अवधि, तुषार (पाला) तथा गुरुत्वाकर्षण बल आदि हैं।

 

Weathering:- The word weathering is made up of two words, Ap (self) and Kshaya (degradation or fall), that is, the breakdown of rocks on their own is called 'weathering'.

Physical or mechanical weathering – when rocks break down due to natural causes. In this, the reasons for breakage of rocks are temperature, rain, snowfall, duration of day and night, frost and gravitational force etc.

 

19. जैव विविधता के विभिन्न स्तर क्या हैं? What are the different levels of Biodiversity? 3

Ans. Biodiversity (बायोडायवर्सिटी) दो शब्दों से मिलकर बना है Bio का अर्थ है जीव तथा Diversity का अर्थ है विविधता। इस प्रकार पृथ्वी अथवा किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और उनकी विविधता को 'जैव विविधता' (Biodiversity) कहते हैं

जैव विविधता को स्तर: -

1. अनुवांशिक जैव विविधता (Genetic biodiversity)

हमारे अनुवांशिक गुणों के लिए जीन उत्तरदायी होते हैं। वे जीवन के विभिन्न रूपों के निर्माण के लिए उत्तरदायी तत्व होते हैं। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी के जो लक्षण हस्तांतरित होते हैं वे इन्हीं जीनों के माध्यम से ही होते हैं।

2. प्रजातीय जैव विविधता (Species biodiversity)

प्रजातियों में अनेकरूपता (Verity) का बोध होता है। किसी निश्चित क्षेत्र में प्रजातियों की संख्या कितनी है। प्रजातियों की विविधता, उनकी प्रचुरता (Richness), बहुलता (Abundance) और प्रकार (Types) से आंकी जा सकती है।

3. पारितंत्रीय जैव विविधता (Ecosystem Diversity)

पारितंत्र की विविधता, पारितंत्र के प्रकारों की व्यापक भिन्नता,पर्यावासों (Habitats) की विविधता और प्रत्येक पारितंत्र में घटित हो रही पारिस्थितिक क्रियाओं से नजर आती है।

Biodiversity is made up of two words: Bio means organism and Diversity means variety. Thus, “the number and diversity of organisms found on Earth or in a certain geographical area is called ‘Biodiversity’”.

Biodiversity level:-

1. Genetic biodiversity

Genes are responsible for our genetic characteristics. They are the elements responsible for the creation of various forms of life. The traits that are transferred from one generation to the next are through these genes only.

 

2. Species biodiversity

There is a sense of diversity in species. What is the number of species in a certain area? Diversity of species can be measured by their richness, abundance and types.

3. Ecosystem Diversity

The diversity of ecosystems is reflected in the wide variety of ecosystem types, diversity of habitats, and ecological functions occurring in each ecosystem.

20. डेल्टा तथा ज्वारनदमुख में अन्तर स्पष्ट करें। Distinguish between a Delta and an Estuary. 3

Ans.

डेल्टा (Delta):- किसी समुद्र या झील में गिरने से पहले नदी अनेक वितरिकाओं में बंट जाती है तथा अपने साथ बहाकर लाए अवसाद को त्रिभुज जैसी आकृति में निक्षेपित कर देती है जिसे डेल्टा कहते हैं। गंगा - ब्रह्मपुत्र नदी द्वारा निर्मित सुन्दरवन डेल्टा (भारत -बंग्लादेश में) विश्व में सबसे बड़ा (125000 वर्ग किमी।) डेल्टा है।

ज्वारनदमुख :-

ज्वारनदमुख के निर्माण में नदियां अपने साथ लाए हुए अवसाद को मुहाने पर जमा नहीं करतीं, बल्कि अवसाद को समुद्र में अंदर तक ले जाती हैं। नदी में इस तरह बना मुहाना, ज्वारनदमुख या एस्चुअरी कहलाता है।

 

Delta:- Before falling into a sea or lake, the river divides into many distributaries and deposits the sediment brought with it in a triangular shape which is called delta. The Sundarban delta (in India-Bangladesh) formed by the Ganga-Brahmaputra river is the largest (125000 sq. km.) delta in the world.

Estuaries :-

In the formation of estuaries, rivers do not deposit the sediment brought with them at the mouth, but carry the sediment deep into the sea. The mouth formed in a river in this way is called an estuary.

 

21. भूमंडलीय तापन के प्रभाव का वर्णन करें। अथवा वन संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? Explain the impact of Global Warming. OR What steps have been taken up to conserve forests? 3

Ans.

ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण पृथ्वी की सतह के औसत तापमान में वृद्धि को भूमंडलीय तापन कहा जाता है। यह पृथ्वी की सतह पर हवा और समुद्र के औसत तापमान में वृद्धि को भी संदर्भित करता है जो जलवायु परिवर्तन का कारण बनता है। भूमंडलीय तापन ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण होती है। इसके कारण मौसम और जलवायु की दशाएं परिवर्तित हो रही हैं। हिमन्दियाँ पीछे हट रही हैं।

 

The increase in the average temperature of the Earth's surface due to the greenhouse effect is called global warming. It also refers to an increase in the average temperature of air and sea on the Earth's surface that causes climate change. Global warming occurs due to the greenhouse effect. Due to this, weather and climate conditions are changing. The glaciers are retreating.

 

अथवा OR

 

वन नीति के अंतर्गत वन संरक्षण के लिए उठाए गए प्रमुख कदम निम्नलिखित हैं:-

1. सामाजिक वानिकी (Social Forestry) – सामुदायिक वानिकी में सार्वजनिक भूमि; जैसे गांव चरागाह, मंदिर - भूमि, सड़कों के दोनों ओर, नहर किनारे के दोनों ओर, रेल पलटी के दोनों किनारों पर, विद्यालयों में पेड़ लगाना आदि शामिल है।

2. वृक्षारोपण (Tree Plantation) करना।

3. देश के एक - तिहाई भागों को वनों से ढकने के उद्देश्य से अगस्त 1999 में National Foresting Action Programme (NFAP) आरंभ किया गया।

4. कम होते जंगलों के संरक्षण हेतु ग्रामीण समुदाय की प्रतिभागिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ज्वाइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट (JFM – Joint Forest Management) की संकल्पना तैयार की गई है।

5. अनुसंधान एवं प्रबंधन (Research and Management) - देहरादून स्थित फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट और भोपाल में स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ फारेस्ट मैनेजमेंट न केवल भारत की बल्कि एशिया की लब्ध-प्रतिष्ठित संस्था है। जो देश में वनों की उन्नति के लिए न केवल अनुसंधान करती है, बल्कि मार्गदर्शन और प्रशिक्षण भी देती है।

 

Following are the major steps taken for forest conservation under the Forest Policy:-

1. Social Forestry – Community forestry in public land; Such as village - pasture, temple - land, planting trees on both sides of roads, both sides of canal banks, on both sides of railway crossings, in schools etc.

2. Tree plantation.

3. National Foresting Action Program (NFAP) was started in August 1999 with the aim of covering one-third of the country with forests.

4. The concept of Joint Forest Management (JFM) has been prepared with the aim of ensuring participation of the rural community in the conservation of depleting forests.

5. Research and Management - Forest Research Institute located in Dehradun and Indian Institute of Forest Management located in Bhopal are prestigious institutions not only in India but also in Asia. Which not only conducts research for the progress of forests in the country, but also provides guidance and training.

 

22. भूस्खलन क्या है? भृस्खलन के प्रभावों का वर्णन करें। अथवा अन्तः उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र क्या है? What are landslides? Explain their effects. OR What is Inter Tropical Conversion Zone? 3

Ans. भूस्खलन - पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव अधीन पर्वतीय क्षेत्रों में छोटी सिलाओ से लेकर काफी बड़े भूभाग के ढलान से नीचे की ओर खिसकना याद रखना भूस्खलन कहलाता है। यह एक प्राकृतिक आपदा है जो मुख्यत पर्याप्त वर्षा वाले पर्वतीय प्रदेशों में आती है।

 

भूस्खलन का प्रभाव अपेक्षाकृत सीमित क्षेत्र में होता है और यह एक स्थानीय समस्या है, फिर भी भूस्खलन के प्रमुख दुष्परिणाम निम्नलिखित हैं: -

1. जान-माल की हानि होना।

2. नदी मार्गों का अवरोध होना।

3. बाढ़ों का आना।

4. नदी के मार्ग का बदल जाना। (उदाहरण के लिए अगस्त 1998 में पिथौरागढ़ का लाभ मारी गांव भूस्खलन में अवरोध हुई काली नदी के जल में डूब कर नष्ट हो गया था)

5. कई बार सड़क मार्गों पर अवरोध और रेल पटरियों के टूटने से पर्वतीय क्षेत्र, देश के दूसरे क्षेत्रों से कट जाते हैं।

6. भूस्खलन से न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है बल्कि उपजाऊ मिट्टी के रूप में प्राकृतिक संसाधनों का विनाश भी होता है।

7. हरित आवरण विहीन ढलानों पर बहते जल का अवशोषण होने की स्थिति में जलीय स्रोत सूख जाते हैं।

 

Landslide - Remember, the sliding down the slope of small to very large pieces of land in mountainous areas under the influence of the earth's gravitational force is called landslide. It is a natural disaster which mainly occurs in mountainous regions with sufficient rainfall.

The impact of landslides occurs in a relatively limited area and is a local problem, yet the major ill effects of landslides are as follows:-

1. Loss of life and property.

2. Blockage of river routes.

3. Occurrence of floods.

4. Change in the course of the river. (For example, in August 1998, Labh Mari village of Pithoragarh was destroyed by drowning in the waters of the blocked Kali River in a landslide.)

5. Many times, hilly areas become cut off from other areas of the country due to obstructions on roadways and breakage of railway tracks.

6. Landslides not only cause damage to the environment but also cause destruction of natural resources in the form of fertile soil.

7. In case of absorption of flowing water on slopes without green cover, water sources dry up.

 

अथवा OR

 

अंतः उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) पृथ्वी पर भूमध्य रेखा के पास स्थित एक निम्न दबाव का क्षेत्र है। उच्च सूर्यातप व निम्न वायुदाब होने से अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) पर वायु संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती हैं।  उष्णकटिबंधों से आने वाली पवनें इस निम्न दाब क्षेत्र में अभिसरण करती हैं। विषुवत वृत्त के दोनों तरफ से प्रवाहित होने वाली पूर्वी पवनें अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) पर मिलती हैं।

 

The Inter-tropical Convergence Zone (ITCZ) is a low pressure area located near the equator on Earth. Due to high insolation and low air pressure, air rises in the form of convection currents over the Inter Tropical Convergence Zone (ITCZ). Winds coming from the tropics converge in this low pressure area. The easterly winds blowing from both sides of the equator meet at the Inter Tropical Convergence Zone (ITCZ).

 

[दीर्घ उत्तरीय प्रश्न] [Long Answer Type Questions]

 

23. कार्स्ट प्रदेश में भूमिगत जल के कार्यों का वर्णन करें। अथवा पृथ्वी की आन्तरिक संरचना का वर्णन करें। Describe the work of underground water in Karst Regions. OR Explain the interior structure of the earth. 5

Ans.

भूमिगत जल (Ground Water), चूना - प्रदेशों की पारगम्य, संधियुक्त और दरारी चट्टानों में मुख्य अपरदनकारी तत्व होता है। चूना - पत्थर और डोलोमाइट से बने प्रदेशों में भौम जल रासायनिक क्रियाओं द्वारा अनेक प्रकार के स्थलरूपों का निर्माण करता है। कैल्शियम कार्बोनेट से युक्त भौम जल विलयन और निक्षेपण के द्वारा अनेक प्रकार की कार्स्ट भू आकृतियाँ (Karst Topography) बनता है।

कार्स्ट शब्द पूर्वी एड्रियाटिक तट से जुड़े बाल्कन प्रदेश से लिया गया है, जहाँ वर्षा जल भारी प्रभाव देखने को मिलता है।

 

भौम जल द्वारा बने अपरदनात्मक स्थलरूप (Erosional Landforms):-

1. विलय रंध्र (Swallow Holes):- जब चूना प्रदेशों में वर्षा होती है तो पानी चूना चट्टानों से रासायनिक अभिक्रिया करता है जिससे धरातल पर अनेक छोटे - छोटे गोल एवं उथले यानि कम गहरे गर्त (सुराक) बन जाते हैं जिन्हें विलय रंध्र कहते हैं।

2. घोल रंध्र (Sink Holes):- डोलोमाइट, जिप्सम और चूने की चट्टानों में खड़ी संधियों के बीच जब कार्बन डाइऑक्साइड युक्त जल प्रवेश करता है तो उनमें अनेक छोटे - बड़े ऊपर से गोलाकार और नीचे से कीपाकार छिद्र बन जाते हैं जिन्हें घोल रंध्र कहते हैं।

3. डोलाइन (Dolines):- घोल रंध्रों और विलय रंध्रों के आपस में मिल जाने से तथा उनके नीचे धँस जाने से बने बड़े - बड़े छिद्रों को डोलाइन अथवा निपात रंध्र कहते हैं। यूरोप के पिरेनीज़ क्षेत्र में अनेक डोलाइन देखने को मिलते हैं।

4. युवाला अथवा घाटी रंध्र (Uvalas OR Valley Sinks):- भौम जल के पार्श्विक (किनारों के) अपरदन से अनेक डोलाइनों के बीच की दीवारें घुलकर गिर जाती हैं जिससे विशाल गर्त का निर्माण होता है जिसे युवाला अथवा घाटी रंध्र कहते हैं।

5. पोनोर (Ponors):- जब अनेक युवाला अथवा घाटी रंध्र अपरदन के द्वारा एक घाटी का रूप धारण कर लेते हैं तो इस भू आकृति को पोनोर कहते हैं।

6. कंदरा (Cavern):- कहीं - कहीं चूना प्रदेशों में कठोर चट्टानें भी होती हैं, कोमल चट्टानें भौम जल अपरदन से कट जाती हैं जबकि कठोर चट्टानें कंदराओं या गुफाओं के रूप में बची रहती हैं।

7. लेपीज या लेपीस (Lapies):- समय के साथ - साथ चूनायुक्त चट्टानें खाइयों, गर्तों और कंदराओं में बदलते जाते हैं। परिणामस्वरूप ये प्रदेश अत्यधिक अनियमित, पतले, नुकीले और सीधी दीवारों वाले कटकों के रूप में शेष बच जाते हैं जिन्हें लेपीस अथवा अवकूट कहा जाता है।

 

भौम जल द्वारा बने निक्षेपणात्मक स्थलरूप (Depositional Landforms):-

1. स्टैलेक्टाइट (Stalactite):- चूना प्रदेशों में भूमिगत कंदराओं की छतों से जब पानी नीचे टपकता है तो चूने का कुछ अंश छत पर नीचे की ओर नुकीले आकार में चिकता रहता है तथा यह प्रक्रिया चलती रहती है तो इस स्तम्भ का छत वाला भाग मोटा और नीचे का भाग नुकीला बनता रहता है जिसे स्टैलेक्टाइट (Stalactite) कहते हैं।

2. स्टैलेग्माइट (Stalagmite):- कंदराओं की छत से गिरने वाला पानी वाष्पीकृत हो कर उड़ता रहता है तथा उसके साथ नीचे टपका चूना कंदराओं की तली में मोटे बेलनाकार स्तम्भ के रूप में ऊपर की ओर उभरने लगता है जिसे स्टैलेग्माइट (Stalagmite) कहते हैं। स्टैलेग्माइट, स्टैलेक्टाइट की अपेक्षा अधिक मोटे होते हैं जबकि ये आकार में छोटे होते हैं।

3. कंदरा स्तम्भ (Cave Pillars):- जब समय के साथ - साथ स्टैलेग्माइट और स्टैलेक्टाइट का आकार बढ़ते - बढ़ते ये आपस में मिल जाते हैं तो इन्हें कंदरा स्तम्भ कहते हैं।

Ground water and lime are the main erosive elements in the permeable, jointed and cracked rocks of the regions. In areas made of limestone and dolomite, groundwater creates many types of landforms through chemical reactions. Many types of karst topography are formed by the dissolution and deposition of groundwater containing calcium carbonate.

The word karst is derived from the Balkan region adjacent to the eastern Adriatic coast, where rainwater has a heavy impact.

 

Erosional landforms formed by ground water:-

1. Swallow Holes:- When it rains in lime areas, water reacts chemically with lime rocks due to which many small round and shallow holes are formed on the surface, which are called swallow holes. Are.

2. Sink Holes:- When water containing carbon dioxide enters between the vertical joints in dolomite, gypsum and lime rocks, many small and big holes, circular from top and funnel shaped from the bottom, are formed in them, which are called sink holes. They say.

3. Dolines:- Large holes formed by the merging of solution pores and merger pores and their sinking below are called dolines or collapse pores. Many dolines can be seen in the Pyrenees region of Europe.

4. Uvalas OR Valley Sinks:- Due to lateral (edge) erosion of ground water, the walls between many dolines dissolve and fall, due to which huge depressions are formed which are called Uvalas or Valley Sinks.

5. Ponors:- When several ravines or valleys take the form of a valley through erosion, then this landform is called Ponor.

6. Cavern:- At some places, hard rocks are also present in lime areas, soft rocks are cut by ground water erosion while hard rocks remain in the form of caverns or caves.

7. Lapies:- With time, calcareous rocks change into ditches, troughs and caves. As a result, these regions remain in the form of highly irregular, thin, sharp and straight walled ridges which are called Lapis or Avakoot.

 

Depositional Landforms formed by groundwater:-

1. Stalactite:- When water drips down from the roofs of underground caves in lime areas, some part of lime remains stuck on the roof in a pointed shape downwards and if this process continues, then the roof portion of this pillar The thick and lower part remains sharp which is called stalactite.

2. Stalagmite:- The water falling from the roof of the caves gets vaporized and keeps flying away and along with it, the lime dripping down starts emerging upwards in the form of a thick cylindrical pillar at the bottom of the caves, which is called Stalagmite. . Stalagmites are thicker than stalactites even though they are smaller in size.

3. Cave Pillars:- When stalagmites and stalactites grow in size over time and merge together, they are called cave pillars.

 

अथवा OR

 

पृथ्वी की आंतरिक संरचना के तीन मुख्य भाग हैं :-

1. भूपर्पटी (The Crust)

2. मैंटल (The Mantle)

3. क्रोड (The Core)

भूपर्पटी (The Crust) :- यह पृथ्वी का सबसे बाहरी व ऊपरी भाग है। भूपर्पटी की औसत मोटाई महासागरों के नीचे 5 km तथा महाद्वीपों के नीचे 30 km तक है। मुख्य पर्वतीय शृंखलाओं के नीचे यह और भी अधिक है। हिमालय पर्वत के नीचे इसकी मोटाई 70 km है।      

भूपर्पटी भारी चट्टानों की बनी तथा इसका घनत्व 3 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है। महासागरों के नीचे भूपर्पटी की चट्टानें बेसाल्ट से निर्मित हैं तथा इनका घनत्व 2.7 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है।

 

भू पर्पटी के दो भाग हैं :-

1. सियाल (SI+AL) - यह भू पर्पटी का ऊपरी भाग है जो सिलिका (Silica) और एल्युमीनियम (Aluminium) से मिलकर बना है। इसका औसत घनत्व 2.75 से 2.90 है। महाद्वीपों की रचना सियाल से मानी जाती है।

2. साइमा (SI+MA) - यह भू पर्पटी का निचला भाग है जो सिलिका (Silica) और मैग्नीशियम (Magnesium) से मिलकर बना है। इसका औसत घनत्व 2.90 से 3.4 है। महासागरों की रचना साइमा से मानी जाती है। 

सियाल और साइमा दोनों का आयतन, पृथ्वी के कुल आयतन का मात्र 0.5 % भाग है जो प्रकृति और मनुष्य दोनों का कर्मक्षेत्र है।

मैंटल (The Mantle) :- भूगर्भ में पर्पटी के नीचे का भाग मैंटल कहलाता है। यह मोहो असांतत्य या मोहो अथवा मोहोराविसि असंतति (Mohorovicic Discontinuity) से आरम्भ होकर 2900 km की गहराई तक पाया जाता है। मैंटल का ऊपरी भाग दुर्बलतामण्डल (Asthenosphere) कहा जाता है। 'एस्थेनो' शब्द का अर्थ दुर्बलता से है। इसका विस्तार 400 km तक आँका गया है। ज्वालामुखी उदगार के दौरान जो लावा धरातल तक पहुँचता है उसका मुख्य स्रोत यही है।

इसका घनत्व 3.4 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर से अधिक है। भूपर्पटी एवं मैंटल का ऊपरी भाग मिलकर स्थलमण्डल (Lithosphere) कहलाते हैं। इसकी मोटाई 10 से 200 km है।

क्रोड (The Core) :- क्रोड का विस्तार मैंटल की सीमा 2900 km से लेकर 6371 km पृथ्वी के केंद्र तक है। बाह्य क्रोड (Outer Core) तरल अवस्था में है जबकि आंतरिक क्रोड (Inner Core) ठोस अवस्था में है। मैंटल की सीमा पर चट्टानों का घनत्व 5 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है जबकि 6300 km की गहराई पर यह 13 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है। इससे पत्ता चलता है कि पृथ्वी का केंद्रीय भाग निकिल व लोहे जैसे भारी पदार्थों से बना है। इस परत को NIFE {Nickle + Ferrum (लोहा)} के नाम से जाना जाता है।

 

The internal structure of the Earth has three main parts: -

1. The Crust

2. The Mantle

3. The Core

 

The Crust:- This is the outermost and upper part of the Earth. The average thickness of the earth's crust is 5 km under the oceans and 30 km under the continents. It is even higher below the main mountain ranges. Its thickness below the Himalayan Mountains is 70 km.

The earth's crust is made of heavy rocks and its density is 3 grams per cubic centimeter. The rocks of the earth's crust beneath the oceans are made of basalt and their density is 2.7 grams per cubic centimeter.

There are two parts of the earth's crust: -

1. Sial (SI+AL) - This is the upper part of the earth's crust which is made up of silica and aluminium. Its average density is 2.75 to 2.90. The continents are believed to be formed from sial.

2. Siama (SI+MA) - This is the lower part of the earth's crust which is made up of silica and magnesium. Its average density is 2.90 to 3.4. The oceans are believed to be formed from Saima.

The volume of both Sial and Saima is only 0.5% of the total volume of the Earth, which is the field of action for both nature and man.

The Mantle:- The part below the crust in the earth's crust is called the mantle. It starts from Moho discontinuity or Moho or Mohorovicic Discontinuity and is found up to a depth of 2900 km. The upper part of the mantle is called asthenosphere. The word 'astheno' means weakness. Its extension has been estimated to be 400 km. This is the main source of lava that reaches the surface during volcanic eruption.

Its density is more than 3.4 grams per cubic centimeter. The crust and the upper part of the mantle together are called lithosphere. Its thickness is 10 to 200 km.

The Core: The extent of the core extends from 2900 km to the center of the Earth at 6371 km. The outer core is in liquid state while the inner core is in solid state. The density of rocks at the boundary of the mantle is 5 grams per cubic centimeter while at a depth of 6300 km it is 13 grams per cubic centimeter. This shows that the central part of the Earth is made of heavy materials like nickel and iron. This layer is known as NIFE {Nickle + Ferrum (Iron)}.

 

24. वायुमंडल के संघटन की व्याख्या करें। अथवा संघनन के कौन-कौन-से प्रकार हैं? ओस एवं तुषार बनने की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिए। Describe the composition of the atmosphere. OR What are the forms of condensation? Describe the process of dew and frost formation. 5

Ans.

वायुमण्डल - पृथ्वी के चारों ओर पाया जाने वाला गैसों का आवरण वायुमंडल कहलाता है। "वायुमण्ड़ल, गैस की एक पतली परत है, जो गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी के साथ सटी हुई है।"

 

वायुमण्डल का संघटन - वायुमण्डल गैसों, जलवाष्प एवं धूलकणों से बना है।

वायुमण्डल के निचले भागों में गैसों का वितरण सघन होता है। वायुमण्डल का 99% दो गैसों नाइट्रोजन (78%) और ऑक्सीजन (21%) से बना है। वायुमण्डल में ऑक्सीजन 120 किलोमीटर तक तथा कार्बन डाइऑक्साइड एवं जलवाष्प पृथ्वी की सतह से 90 किलोमीटर की ऊंचाई तक मिलते हैं। इन गैसों के अतिरिक्त वायुमंडल में ऑर्गन Ar 0.93%, कार्बन डाईऑक्साइड CO2 0.036%, नियॉन Ne 0.002%, हीलियम He 0.0005%, क्रिप्टॉन Ke 0.001%, जेनन Xe 0.00009% और हाइट्रोजन H2 0.00005% आदि गैसें मिलती हैं।

 

वायुमण्डल में विभिन्न गैसों का महत्व अलग - अलग है। जैसे - नाइट्रोजन, आग के जलने को नियंत्रित करती है, अगर वायुमण्डल में यह गैस नहीं होती तो वस्तुएँ इतनी तेजी से जलती कि उनको नियंत्रित कर पाना मुश्किल होता। नाइट्रोजन के आभाव में मनुष्य और जीव जंतुओं के शरीर के ऊतक भी जलकर नष्ट हो जाते। मिटटी में नाइट्रोजन की उपस्थिति पौधों और वनस्पति को भोजन बनाने में सहायक होती है।

नाइट्रोजन की उपस्थिति के कारण ही वायुदाब, पवनों की गति तथा प्रकाश के परावर्तन का आभास होता है।

ऑक्सीजन, वायुमण्डल में दूसरी सर्वाधिक मात्रा में मिलती है। यह एक जीवनदायिनी गैस है। इसके बिना आग को नहीं जलाया जा सकता। ऑक्सीजन, ऊर्जा का प्रमुख साधन व औद्योगिक सभ्यता का आधार है। शैलों के रासायनिक अपक्षय में सहयोग देकर ऑक्सीजन, अनेक प्रकार के भू - आकार बनाने में सहायता करती है।

     

कार्बन डाईऑक्साइड पौधों के लिए भोजन होती है। हरे पौधे वायुमण्डल की कार्बन डाईऑक्साइड से मिलकर स्टार्च व शर्करा का निर्माण करते हैं। कार्बन डाईऑक्साइड, सूर्य से आने वाली लघु तरंगों यानी सौर विकिरण को धरती तक आने देती है, जबकि धरातल द्वारा परावर्तित दीर्घ तरंगों वापिस वायुमण्डल में नहीं जाने देती है। परिणामस्वरूप यह पृथ्वी के लिए कंबल यानी "काँच का घर प्रभाव" का कार्य करती है। हालांकि औद्योगिक क्रांति के बाद जीवाश्म ईंधनों (जैसे - पेट्रोल, डीजल, LGP आदि) के जलने से वायुमण्डल इसकी मात्रा बढ़ती जा रही है। जिससे ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। वर्षा के जल के साथ मिलकर यह चूना प्रदेशों में कार्स्ट स्थलाकृतियों की रचना करती है।

  

ओजोन, वायुमण्डल में 50 किलोमीटर की ऊंचाई पर समतापमंडल में पाई जाती है।

ओजोन एक फिल्टर की तरह काम करती है। यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर उनको पृथ्वी की सतह पर पहुँचने से रोकती है। यह पृथ्वी के लिए एक "सुरक्षा कवच" का काम करती है। अगर यह गैस वायुमण्डल में न होती तो सभी जीवों को त्वचा कैंसर होने का डर रहता।

 

जलवाष्प, वायुमण्डल में सबसे अधिक परिवर्तनशील और असमान गैस है।

अति ठण्डे तथा शुष्क क्षेत्रों में यह वायु के कुल आयतन के एक प्रतिशत से भी कम होता है, जबकि भूमध्यरेखीय उष्ण और आर्द्र प्रदेशों में यह 4% तक हो सकता है।

जलवाष्प, संघनित होकर ओस, कुहासा, कोहरा तथा बादलों का सृजन करते हैं।

पृथ्वी पर वर्षा, ओलावृष्टि और हिमपात आदि जलवाष्प के कारण ही होता है। वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प के कारण ही इन्द्रधनुष तथा प्रभामण्डल जैसी मनोभावन प्राकृतिक घटनाएँ होती हैं। जलवाष्प द्वारा संघनन के दौरान छोड़ी गई गुप्त ऊष्मा विभिन्न मौसमी दशाओं को जन्म देती है।

 

वायुमण्डल में कुछ सूक्ष्म ठोस कण मिलते हैं, जैसे - धुएँ की कालिख, ज्वालामुखी की राख, उल्कापात के कण, ठोस लवण तथा अपरदित मृदा के कण आदि, इन्हें धूलकण कहते हैं। धूलकणों के कारण किरणों का परावर्तन और प्रकीर्णन होता है, जिनके प्रभाव से हमें आकाश नीला दिखाई देता है। धूलकणों से टकराकर होने वाले प्रकीर्णन के कारण ही सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय आकाश में लाल और नारंगी रंग की छटाएँ दिखाई देती हैं। धूलकणों के कारण ही धुंध एवं धूम कोहरा बनता है।

नमक और धुएँ जैसे आर्द्रताग्राही धूलकणों के चारों ओर संघनन आरम्भ होता है।

 

Atmosphere - The cover of gases found around the earth is called atmosphere. "The atmosphere is a thin layer of gas, which is attached to the Earth due to gravity."

 

Composition of the atmosphere – The atmosphere is made up of gases, water vapor and dust particles.

The distribution of gases is denser in the lower parts of the atmosphere. 99% of the atmosphere is made up of two gases: nitrogen (78%) and oxygen (21%). In the atmosphere, oxygen is found up to 120 kilometers and carbon dioxide and water vapor are found up to a height of 90 kilometers from the earth's surface. Apart from these gases, other gases like Argon Ar 0.93%, Carbon Dioxide CO2 0.036%, Neon Ne 0.002%, Helium He 0.0005%, Krypton Ke 0.001%, Xenon Xe 0.00009% and Hydrogen H2 0.00005% etc. are found in the atmosphere.

 

Different gases have different importance in the atmosphere. For example, nitrogen controls the burning of fire, if this gas was not present in the atmosphere then things would burn so fast that it would be difficult to control them. In the absence of nitrogen, the body tissues of humans and animals would also get burnt and destroyed. The presence of nitrogen in soil helps in making food for plants and vegetation.

Due to the presence of nitrogen, air pressure, wind speed and reflection of light are felt.

Oxygen is found in the second highest quantity in the atmosphere. It is a life-giving gas. Without this fire cannot be lit. Oxygen is the main source of energy and the basis of industrial civilization. By helping in the chemical weathering of rocks, oxygen helps in creating many types of landforms.

     

Carbon dioxide is food for plants. Green plants combine carbon dioxide from the atmosphere to produce starch and sugar. Carbon dioxide allows the short waves, i.e. solar radiation, coming from the Sun to reach the earth, while it does not allow the long waves reflected by the surface to go back into the atmosphere. As a result, it acts as a blanket for the Earth i.e. “glass house effect”. However, after the Industrial Revolution, its quantity in the atmosphere is increasing due to the burning of fossil fuels (such as petrol, diesel, LGP etc.). Due to which global warming is increasing. Together with rain water, it creates karst topography in lime areas.

  

Ozone is found in the stratosphere at an altitude of 50 kilometers in the atmosphere.

Ozone works like a filter. It absorbs the ultraviolet rays coming from the Sun and prevents them from reaching the earth's surface. It acts as a "protective shield" for the Earth. If this gas were not in the atmosphere then all living beings would be afraid of skin cancer.

 

Water vapor is the most volatile and unequal gas in the atmosphere.

In very cold and dry areas it is less than one percent of the total volume of air, whereas in equatorial hot and humid regions it can be up to 4%.

Water vapor condenses and creates dew, mist, fog and clouds.

On Earth, rain, hailstorm and snowfall etc. occur due to water vapor. Due to the water vapor present in the atmosphere, fascinating natural phenomena like rainbow and halo occur. The latent heat released during condensation of water vapor gives rise to various weather conditions.

 

Some microscopic solid particles are found in the atmosphere, such as smoke soot, volcanic ash, particles of meteorite fall, solid salts and particles of eroded soil etc., these are called dust particles. Dust particles cause reflection and scattering of rays, due to which the sky appears blue to us. Due to scattering due to collision with dust particles, shades of red and orange are visible in the sky at the time of sunrise and sunset. Mist and fog are formed due to dust particles.

Condensation begins around moisture-holding dust particles such as salt and smoke.

 

अथवा OR

 

जलवाष्प का जल के रूप में बदलना संघनन (Condensation) कहलाता है। ऊष्मा का ह्रास ही संघनन का कारण होता है। जब आर्द्र हवा ठंडी होती है, तब उसमें जलवाष्प को धारण रखने की क्षमता समाप्त हो जाती है। तब अतिरिक्त जलवाष्प द्रव में संघनित हो जाता है और यह सीधे ठोस रूप में परिवर्तित होने लगता है। इस स्थिति को ऊर्ध्वपातन (Sublimation) कहते हैं।

स्वतंत्र हवा में, छोटे -छोटे कणों जैसे - धूलकण, धुएँ के कण और महासागरीय नमक आदि के चारों ओर ठंडा होने के कारण संघनन होता है। इन छोटे - छोटे कणों को 'संघनन केन्द्रक' (Condensation Nuclei) अथवा आर्द्रताग्राही कण (Hydroscopic Nuclei) कहा जाता है। संघनन केन्द्रक, जलवाष्प को अच्छे ढंग से अवशोषित करते हैं। संघनन (Condensation) उस अवस्था में भी होता है जब आर्द्र हवा कुछ ठंडी वस्तुओं के सम्पर्क में आती है तथा यह उस समय भी हो सकता है जब तापमान ओसांक के नजदीक हो।

इस प्रकार संघनन ठंडा होने की मात्रा तथा हवा के आयतन, ताप, दाब तथा आर्द्रता पर निर्भर होता है। संघनन तब होता है जब

1. वायु का आयतन नियत हो एवं तापमान ओसांक तक गिर जाए।

2. वायु का आयतन तथा तापमान दोनों ही कम हो जाएँ।

3. वाष्पीकरण द्वारा वायु में और अधिक जल वाष्प प्रविष्ट हो जाए।

फिर भी हवा के तापमान में कमी संघनन के लिए सबसे अच्छी अवस्था है।

संघनन के बाद, वायुमंडल की जलवाष्प या आर्द्रता निम्नलिखित में से एक रूप में परिवर्तित हो जाती है - ओस, कोहरा, तुषार एवं बादल।

स्थिति एवं तापमान के आधार पर संघनन के प्रकारों को वर्गीकृत किया जा सकता है। संघनन तब होता है जब ओसांक जमाव बिंदु से नीचे होता है तथा तब भी संभव है जब ओसांक जमाव बिंदु से ऊपर होता है।

ओस (DEW) :- जब आर्द्रता धरातल के ऊपर हवा में संघनन केंद्रकों पर संघनित न होकर ठोस वस्तु जैसे पत्थर, घास तथा पौधों की पत्तियों की ठंडी सतहों पर पानी की बूंदों के रूप में जमा होती है, तब इसे ओस के नाम से जाना जाता है। इसके बनने के लिए सबसे उपयुक्त अवस्थाएँ साफ आकाश, शांत वायु, उच्च सापेक्ष आर्द्रता तथा ठंडी एवं लम्बी रातें हैं। ओस बनने के लिए यह आवश्यक है कि ओसांक जमाव बिंदु से ऊपर हो।

 

तुषार (FROST) :- तुषार या पाला ठंडी सतहों पर बनता है जब संघनन तापमान के जमाव बिंदु (0) से नीचे चले जाने पर होता है। अतिरिक्त नमी पानी की बूँदों की बजाय छोटे - छोटे बर्फ के रवों के रूप में जमा होती है। उजले तुषार के बनने की सबसे उपयुक्त अवस्थाएँ, ओस के बनने की अवस्थाओं के समान है, केवल हवा का तापमान जमाव बिंदु पर या उससे नीचे होना चाहिए।

 

Conversion of water vapor into water is called condensation. Heat loss is the cause of condensation. When humid air cools, it loses its ability to hold water vapor. Then the excess water vapor condenses into liquid and it starts converting directly into solid form. This situation is called sublimation.

In free air, condensation occurs due to cooling around small particles like dust particles, smoke particles and ocean salt etc. These small particles are called 'Condensation Nuclei' or Hydroscopic Nuclei. Condensation nuclei absorb water vapor well. Condensation also occurs when moist air comes in contact with cold objects and can also occur when the temperature is near the dew point.

Thus condensation depends on the amount of cooling and the volume, temperature, pressure and humidity of the air. Condensation occurs when

1. The volume of air should be constant and the temperature should fall to the dew point.

2. Both the volume and temperature of the air decrease.

3. More water vapor enters the air through evaporation.

Still, low air temperature is the best condition for condensation.

After condensation, water vapor or moisture in the atmosphere is converted into one of the following forms – dew, fog, frost and clouds.

Types of condensation can be classified on the basis of conditions and temperature. Condensation occurs when the dew point is below the freezing point and is also possible when the dew point is above the freezing point.

Dew (DEW): - When moisture does not condense on condensation centers in the air above the surface but accumulates in the form of water droplets on the cold surfaces of solid objects like stones, grass and plant leaves, then it is known as dew. goes. The most suitable conditions for its formation are clear sky, calm air, high relative humidity and cool and long nights. For dew to form it is necessary that the dew point be above the freezing point.

 

FROST: - Frost forms on cold surfaces when condensation occurs when the temperature drops below the freezing point (0). The excess moisture accumulates in the form of small ice crystals instead of water droplets. The optimal conditions for the formation of white frost are similar to those for the formation of dew, only the air temperature must be at or below freezing point.

 

25. उत्तर भारतीय नदियों की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ क्या हैं? ये प्रायद्वीपीय नदियों से किस प्रकार भिन्न हैं ? अथवा भारत के प्रायद्वीपीय पठार का वर्णन करें। What are the important characteristics/features of North Indian rivers? How are these different from peninsular rivers? OR Explain the peninsular plateau of India. 5

Ans.

हिमालय पर्वत की नदियां: -

1.       हिमालय पर्वत की नदियां अधिक लंबी व इनके बेसिन बड़े हैं।

2.       हिमालय पर्वत की नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र अधिक विशाल हैं।

3.       हिमालय की नदियों के उद्गम हिमाच्छादित प्रदेश अथवा हिमनदों में स्थित हैं। जहां बर्फ पिघलने व वर्षा होने से उन्हें वर्ष भर जल प्राप्त होता रहता है।

4.       इन नदियों की प्रवृत्ति हिमानी और मानसूनी दोनों हैं।

5.       नवीन मोड़ दार पर्वतों से निकलने के कारण हिमालय की नदियां तेज धाराओं के कारण गहरे खड्ड तथा तंग घाटियां बनाती हैं।

6.       हिमालय की नदियां अभी अपनी युवावस्था में हैं तथा अपनी घाटियों के विस्तार में संलग्न हैं।

7.       हिमालय की नदियों के मार्ग में पर्वतीय, मैदानी और डेल्टा आदि की अलग-अलग अवस्थाएं पाई जाती हैं।

8.       हिमालय की नदियां विसर्प बनाती हैं तथा मार्ग भी बदल लेती हैं।

9.       सततवाहिनी होने के कारण हिमालय की नदियां सिंचाई व नौकारोहण के लिए विशेष उपयोगी हैं।

10.     हिमालय की नदियों के प्रवाह क्षेत्र में तलछटी चट्टानें बाढ़ के जल को अवशोषित कर पाती हैं जिससे इन नदियों के किनारे बड़े नगरों का विकास हो पाया है।

11.     हिमालय की नदियां बहुत कम जलप्रपात बनाती हैं अतः जलविद्युत के उत्पादन में इन नदियों का कम महत्व है।

12.     हिमालय की नदियां पूर्ववर्ती हैं।

13.     कम ढाल के कारण हिमालय की नदियों द्वारा बनाए गए डेल्टा बड़े होते हैं।

14.     हिमालय की नदियों में विशाल उपजाऊ मैदानों की रचना की जाती है जो सघनता से आबाद हैं। 

 

प्रायद्वीपीय पठार की नदियां: -

1.       प्रायद्वीपीय पठार की नदियां कम लंबी हैं तथा इनके बेसिन छोटे हैं।

2.       प्रायद्वीपीय नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र अपेक्षाकृत छोटे हैं।

3.       दक्षिण भारत अर्थात प्रायद्वीपीय पठार की नदियां मुख्यत: वर्षा पर निर्भर करती हैं और ग्रीष्म ऋतु में सूख जाती हैं।

4.       इन नदियों की प्रवृत्ति केवल मानसूनी है।

5.       प्रायद्वीपीय पठार की नदियां चौड़ी व उथली घाटियों का निर्माण करती हैं। ये नदियां अपने आधार तल तक जा पहुंची हैं।

6.       प्रायद्वीपीय पठार की नदियां प्रौढ़ावस्था में पहुंचकर अपने आधार तल के निकट पहुंच चुकी हैं।

7.       दक्षिण पठार की नदियों में मैदानी भाग बहुत ही छोटा होता है।

8.       प्रायद्वीपीय पठार की नदियां अपेक्षाकृत सीधा मार्ग अपनाती हैं तथा अपना मार्ग भी नहीं बदलती हैं।

9.       दक्षिण भारत की नदियां केवल डेल्टा भागों में ही सीमित रूप से सिंचाई व नौकारोहण के लिए उपयोगी होती हैं।

10.     प्रायद्वीपीय प्रदेश की नदियों के प्रवाह क्षेत्र में कठोर शैलें बाढ़ के जल को अवशोषित नहीं कर पाती हैं। इससे इनके तटों पर बड़े नगरों का विकास कम हो पाया है।

11.     प्रायद्वीपीय पठार की प्राय: सभी नदियां पठार से उतरते समय जलप्रपात बनाती हैं जिनका उपयोग जल विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है।

12.     प्रायद्वीपीय नदियां अनुवर्ती नदियां हैं।

13.     प्रायद्वीपीय नदियां अपेक्षाकृत छोटे डेल्टा का निर्माण करती हैं।

14.     दक्षिण भारत की नदियों के पठारी भाग कम आबाद और डेल्टाई भाग अधिक आबाद हैं।

Rivers of Himalayan Mountains:-

1. The rivers of the Himalayan Mountains are longer and their basins are larger.

2. The catchment areas of the rivers of the Himalayan mountains are larger.

3. The origins of Himalayan rivers are located in snow covered regions or glaciers. Where they get water throughout the year due to melting snow and rainfall.

4. The tendency of these rivers is both glacial and monsoon.

5. Originating from the mountains with new curves, the Himalayan rivers form deep ravines and narrow valleys due to the strong currents.

6. The rivers of the Himalayas are still in their youth and are busy expanding their valleys.

7. Different conditions like mountains, plains and delta etc. are found in the course of Himalayan rivers.

8. Himalayan rivers form meanders and also change their course.

9. Being continuous channels, Himalayan rivers are especially useful for irrigation and boating.

10. Sedimentary rocks in the flow area of Himalayan rivers are able to absorb flood water, due to which big cities have developed on the banks of these rivers.

11. Himalayan rivers produce very few waterfalls, hence these rivers have less importance in the production of hydroelectricity.

12. The rivers of the Himalayas are the former.

13. Deltas formed by Himalayan rivers are large due to low gradient.

14. The rivers of the Himalayas create vast fertile plains which are densely populated.

 

Rivers of Peninsular Plateau:-

1. The rivers of the peninsular plateau are less long and their basins are smaller.

2. The catchment areas of peninsular rivers are relatively small.

3. The rivers of South India i.e. peninsular plateau mainly depend on rainfall and dry up in summer.

4. The trend of these rivers is only monsoon.

5. The rivers of the peninsular plateau create wide and shallow valleys. These rivers have reached their base level.

6. The rivers of the peninsular plateau have reached maturity and have reached near their base level.

7. In the rivers of the southern plateau, the plain area is very small.

8. The rivers of the peninsular plateau follow a relatively straight path and do not change their course.

9. The rivers of South India are useful for irrigation and boating to a limited extent only in the delta parts.

10. Hard rocks in the flow area of rivers of peninsular region are not able to absorb flood water. Due to this, the development of big cities on their banks has reduced.

11. Almost all the rivers of the peninsular plateau form waterfalls while descending from the plateau which are used for hydroelectric power generation.

12. Peninsular rivers are secondary rivers.

13. Peninsular rivers form relatively small deltas.

14. The plateau parts of the rivers of South India are less populated and the deltaic parts are more populated.

 

अथवा OR

 

प्रायद्वीपीय पठार: -

1.       प्रायद्वीपीय पठार भारत के दक्षिणी भाग में स्थित है।

2.       प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण एक उत्खंड के रूप में हुआ है, जो सागर से एक बार उभरने के बाद दौबारा कभी पानी में नहीं डूबा है।

3.       प्रायद्वीपीय पर्वत श्रेणियां प्राचीनतम भूखंड गोंडवानालैंड का जीर्ण - शीर्ण कठोरतम पठारी एवं पहाड़ी क्षेत्र हैं, इनमें पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट, सतपुड़ा, विंध्याचल, कैमूर, मैंकाल आदि पहाड़ियां प्रमुख हैं।

4.       प्रायद्वीपीय पठार में अधिकतर आग्नेय चट्टानें पाई जाती हैं।

5.       प्रायद्वीपीय पर्वत श्रेणियां कम ऊंची चोटियां हैं, जैसे अनाईमुडी, दोदाबेट्टा, धूपगढ़ आदि।

6.       प्रायद्वीपीय पर्वत श्रेणियां खनिज संपन्न क्षेत्र या प्रदेश हैं, जैसे -छोटानागपुर प्रदेश, भारत में सर्वाधिक खनिज संपदा से परिपूर्ण क्षेत्र है।

7.       इनका विस्तार दक्षिण के प्रायद्वीपीय भाग पर है।

8.       प्रायद्वीपीय भारत की पहाड़ियों में हिमनदी व महाखंड नहीं पाए जाते हैं।

9.       इन पहाड़ियों से निकलने वाली अधिकांश नदियां मौसमी हैं तथा ग्रीष्म काल में वे सूख जाती हैं अथवा उनमें पानी की कमी हो जाती है।

 

Peninsular Plateau:-

1. The Peninsular Plateau is located in the southern part of India.

2. The peninsular plateau has been formed in the form of an uplift, which once emerges from the ocean, is never submerged in water again.

3. Peninsular mountain ranges are the oldest landmasses of Gondwanaland and are the dilapidated, harshest plateaus and hilly areas, among which the Western Ghats, Eastern Ghats, Satpura, Vindhyachal, Kaimur, Mankal etc. hills are prominent.

4. Mostly igneous rocks are found in the peninsular plateau.

5. Peninsular mountain ranges have less high peaks, like – Anaimudi, Dodabetta, Dhupgarh etc.

6. Peninsular mountain ranges are mineral rich areas or regions, such as - Chhotanagpur region is the region richest in mineral wealth in India.

7. They extend over the peninsular part of the south.

8. Glaciers and continents are not found in the hills of peninsular India.

9. Most of the rivers originating from these hills are seasonal and during summer they dry up or lack water.

 

26. दिए गए भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दर्शाएँ: 5

Show the following on the given outline map of India:

(i) महानदी (Mahanadi)

(ii) चिल्का झील (Chilka lake)

(iii) अरावली पर्वत (Aravalli Mountain)

(iv) सुंदरवन (Sundarbans)

(v) K2 शिखर (K2 Peak)

11th BSEH Annual Paper 2024 - Geography Map Solution

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