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कौन हैं निगार शाजी, जिनका नाम आज किसी पहचान का मोहताज नहीं ? Motivational Personality

निगार शाजी (Nigar Shaji), इसरो के महत्वपूर्ण मिशन आदित्य - एल 1 की प्रोजेक्ट डायरेक्ट हैं। जिनकी लीडरशीप में इसरो ने अंतरिक्ष में एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। देश की पहली सोलर ऑबजर्वेटरी आदित्य-एल1 लैंगरेंज प्वाइंट एल1 पर स्थापित हो चुकी है। यहां से अब अंतरिक्ष यान सूर्य की विभिन्न प्रकार की जानकारियां एकत्रित करेगा। 

निगार शाजी, एक सौम्य स्वभाव और मुस्कुराते हुए चहरे वाली 59 वर्षीया महिला हैं, जिन्होंने इस मिशन को सफल बनाने के लिए अपनी टीम के साथ आठ वर्षों तक अथक परिश्रम किया।
निगार शाजी, मिशन आदित्य - एल 1 की प्रोजेक्ट डायरेक्ट

निगार शाजी और उनकी टीम ने 2016 में आदित्य एल1 परियोजना पर काम करना शुरू किया। हालांकि 2020 के आसपास कोविड महामारी ने उनके काम को रोक दिया। उस समय इसरो की गतिविधियां लगभग रुक गईं, लेकिन प्रोजेक्ट का काम कभी नहीं रुका। उन्होंने और उनकी टीम ने सात वैज्ञानिक उपकरणों वाली सोलर ऑब्जर्वेटरी पर काम करना जारी रखा। मिशन आदित्य एल1 को 2 सितंबर 2023 को लॉन्च किया गया था। शाजी और उनकी टीम ने कई अभ्यासों के बाद पृथ्वी से L1 बिंदु की ओर अपनी पूरी यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यान पर कड़ी नजर रखी। उनकी कड़ी मेहनत के कारण, आदित्य-एल1 अंततः अपने गंतव्य, हेलो कक्षा (एल1 प्वाइंट के चारों ओर मौजूद ऑर्बिट को सोलर हैलो ऑर्बिट या सौर प्रभामंडल कक्षा कहा जाता है) तक पहुंच गया है। यहां से अंतरिक्ष यान बिना किसी बाधा या रुकावट के सूर्य का निरीक्षण करेगा।

Note - क्या होते हैं लैगरेंज बिंदु?

सूर्य और पृथ्वी और उसके जैसे खगोलीय पिंडों की परिक्रमा में गुरुत्वाकर्षण के लिहाज से 5 स्थान विशेष होते हैं, जिन्हें लैगरेंज बिंदु कहा जाता है। इनमें से तीन अस्थिर और दो स्थिर बिंदु होते हैं। 

एल1, एल2 और एल3 अस्थिर बिंदु कहलाते हैं, जो सूर्य और पृथ्वी के बीच की सीधी रेखा मे पड़ते हैं। इनमें एल1 सूर्य और पृथ्वी के बीच, एल2 पृथ्वी के पीछे सूर्य की विपरीत दिशा में और एल 3 सूर्य के पीछे पृथ्वी की कक्षा का बिंदु होता है। वहीं एल4 और एल5 पृथ्वी की कक्षा में ऐसे बिंदु होते हैं जो पृथ्वी और सूर्य के साथ मिलकर  समकोण त्रिभुज बनाते है। 

लैगरेंज बिंदु

आदित्य एल1 को पृथ्वी और सूर्य के अंडाकार परिक्रमा पथ के लैगरेंज बिंदु L1पर स्थापित करेगा। इस बिंदु सूर्य और पृथ्वी, दोनों का गुरुत्वाकर्षण एक दूसरे को कम कर एक तरह का संतुलन ला देता है। लैगरेंज बिंदु, एल1 पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित है। 

निगार शाजी ने 1987 में विशिष्ट अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO - Indian Space Research Organisation) को जॉइन किया था। उन्होंने इसरो में अपना कार्यकाल आंध्र तट के पास श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष बंदरगाह पर काम के साथ शुरू किया था। बाद में उन्हें बेंगलुरु के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया, जो उपग्रहों के विकास के लिए प्रमुख केंद्र है। निगार शाजी ने इसरो के साथ कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक पूरा किया। शाजी इसरो में भरोसे का प्रतीक बन गईं। 

इसके बाद उन्हें भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 का परियोजना निदेशक बनाया गया। शाजी पहले रिसोर्ससैट-2ए के सहयोगी परियोजना निदेशक भी रह चुकी हैं। यह प्रोजेक्ट अभी भी चालू है। शाजी सभी निचली कक्षा और ग्रहीय मिशनों के लिए प्रोग्राम डायरेक्टर भी हैं।

पिता की प्रेरणा से बढ़ीं आगे

शाजी का जन्म तमिलनाडु के तेनकासी जिले के सेनगोट्टई में एक मुस्लिम तमिल परिवार में हुआ। शाजी की स्कूली शिक्षा सेनगोट्टई में ही हुई। उन्होंने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय के तहत तिरुनेलवेली के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। उन्होंने यहां से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। बाद में, उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मिसरा से इलेक्ट्रॉनिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। शाजी के पिता शेख मीरान भी मैथ में ग्रेजुएट थे। हालांकि, उन्होंने अपनी पसंद से खेती की ओर रुख किया। हाल ही में एक इंटरव्यू में शाजी ने बताया था कि मेरे पिता ने मुझे हमेशा जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित किया। मेरे माता-पिता दोनों ने मेरे पूरे बचपन में बहुत सहयोग किया। उनके निरंतर समर्थन के कारण, मैं इतनी ऊंचाइयों तक पहुंची।

साथ ही उनका कहना है कि अपने सीनियर्स के लगातार सहयोग के कारण ही वो आज इस मुकाम तक पहुंच पाई हैं। शाजी कहती हैं कि टीम लीडर होने के नाते, अब कई लोग मेरे अधीन काम करते हैं। इसलिए, मैं उसी तरह तैयार होती हूं जैसे मेरे सीनियर्स ने मुझे तैयार किया। उनका कहना है कि इसरो एक ऐसी संस्था है जहाँ किसी भी प्रकार का लैंगिक भेदभाव नहीं होता है। 

इसरो के कई मिशनों में अहम भूमिका निभा रही 59 वर्षीया निगार शाजी अब उन कई महिलाओं के लिए आदर्श बन गई हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान में अपना करियर बनाना चाहती हैं।


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