झरिया कोयला क्षेत्र झारखंड में दामोदर नदी घाटी में स्थित है। यह एक बड़ा कोयला क्षेत्र है जो लगभग 110 वर्ग मील (280 वर्ग किमी) में फैला है। झरिया भारत में सबसे बड़े कोयला भंडार का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें 19.4 बिलियन टन कोकिंग कोयले का अनुमानित भंडार है और यह कोक के लिए उपयुक्त बिटुमिनस कोयले का उत्पादन करता है। भारत का अधिकांश कोयला झरिया से आता है। झरिया कोयला खदानें ब्लास्ट फर्नेस में इस्तेमाल होने वाले प्राइम कोक कोयले का भारत का सबसे महत्वपूर्ण भंडार हैं, इसमें 23 बड़ी भूमिगत और नौ बड़ी खुली खदानें शामिल हैं।
झारखंड के धनबाद जिले में दामोदर नदी के एक छोर पर बसा झरिया सौ साल से भी अधिक समय से धधक रहा है। कम से कम 1916 से कोयला क्षेत्रों में आग लगी हुई है, जिसके परिणामस्वरूप आग से 37 मिलियन टन कोयले की खपत हुई, और झरिया शहर सहित स्थानीय समुदायों में महत्वपूर्ण भूमि धंसाव और जल और वायु प्रदूषण हुआ। वर्ष 1936 में पहली बार भौरा कोलियरी में आग लगने का पता चला था। साल 1973 में जब कोलफील्ड को राष्ट्रीयकृत किया गया, तब यहां 70 स्थानों पर जमीन के नीचे कोयले में आग सक्रिय थी, लेकिन तब उन इलाकों में आबादी नहीं थी। आग का पहला सर्वे 1986 में हुआ तो पता चला कि आग 17 वर्ग किमी में फैल चुकी है। आग से हर साल झरिया की एक बस्ती का अस्तित्व खाक हो रहा है। पिछले कुछ सालों में जमीनी आग ने झरिया के 6.82 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को वीरान बना दिया है। 2.18 वर्ग किमी क्षेत्र अब भी आग का दरिया बना हुआ है।
India creates a record, allows Jharia coalmine fires to burn for a century. |
1890 में पहली बार धनबाद में कोयला होने का पता चला था। 1930 में अंग्रेजों द्वारा यहाँ पहली कोयला खदान शुरू की गई थी। सुरंग बनाकर खनन की प्रक्रिया अवैज्ञानिक थी, जिसे आजादी के बाद निजी खदान मालिकों ने जारी रखा।
केन्द्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) के वैज्ञानिको मानना है कि सुरंग के रास्ते कोयला खदान को ऑक्सीजन मिली जाती है और वह धधक उठती है। झरिया की कोयला खदान की आग का मुदा 1997 में पहली बार देश के सामने आया था।
Central Institute of Mining and Fuel Research (CIMFR) |
The Jharia coalfield is located in the Damodar River valley in Jharkhand. It is a large coalfield covering approximately 110 square miles (280 km²). Jharia represents the largest coal reserves in India, with estimated reserves of 19.4 billion tonnes of coking coal and produces bituminous coal suitable for coke. Most of India's coal comes from Jharia. Jharia Coal Mines India's most important deposit of prime coke coal used in blast furnaces, it consists of 23 large underground and nine large opencast mines.
Jharia, situated on one end of Damodar River in Dhanbad district of Jharkhand, has been burning for more than a hundred years. The coal fields have been on fire since at least 1916, resulting in the consumption of 37 million tons of coal from the fires, and significant land subsidence and water and air pollution in local communities, including the city of Jharia. For the first time in the year 1936, a fire was detected in Bhaura Colliery. When the coalfields were nationalized in 1973, there were active underground coal fires at 70 places, but those areas were uninhabited. When the first survey of the fire was done in 1986, it was found that the fire had spread over 17 sq km. Every year a township of Jharia is being destroyed by fire. In the last few years, ground fire has made 6.82 square kilometer area of Jharia desolate. An area of 2.18 sq km is still a river of fire.
For the first time in 1890 coal was discovered in Dhanbad. The first coal mine was started here by the British in 1930. The process of mining by making tunnels was unscientific, which was continued by private mine owners after independence.
Scientists of the Central Institute of Mining and Fuel Research (CIMFR) believe that the coal mine gets oxygen through the tunnel and it ignites. The issue of Jharia coal mine fire came before the country for the first time in 1997.